छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

पटरी पार के कांग्रेसी पार्षदों ने की वैशाली नगर को अलग निगम बनाने की मांग महापौर के नाराजगी के बाद बदला मांग करने वाले पार्षदों और जिला कांग्रेस अध्यक्ष का सुर

भिलाई। खैरागढ में उपचुनाव में उसे अलग जिला बनाने और भिलाई निगम से अलग कर रिसाली निगम बनने के बाद भिलाई के पटरी पार के कई पार्षद भी उसी तर्ज पर वैशाली नगर को अलग निगम बनाने की मांग करते हुए इसके लिए बकायदा जिला कांग्रेस अध्यक्ष मुकेश चन्द्राकर से मिले और उनके नाम से ज्ञापन भी सौंपा जिसमें पटरी पार के कई पार्षदों का नाम, हस्ताक्षर और मोबाईल नंबर भी है लेकिन जब इसकी जानकारी भिलाई निगम के महापौर नीरज पाल को हुई तो वे इस मामले को लेकर एक बैठक बुलवाई और इसको लेकर बेहद नाराज हुए। उनकी नाराजगी को देख कर अब वैशाली नगर को अलग निगम बनाने की मांग करने वाले पार्षदों और जिला कांग्रेस अध्यक्ष का सुर बदल गया है और अब दूसरी भाषा बोलते हुए सीधा मुकर रहे है और इस मामले में कोई भी जानकारी होने से सीधा मना कर रहे है और इस मामलें मे कोई बर्सन देने को भी तैयार नही हो रहे है।

बताया जा रहा है कि इस मुद्दे को लेकर जिलाध्यक्ष के साथ सभी पार्षदों की बैठक भी हुई है। अगले दिन जब यह मामला बड़ा मुद्दा बन गया तो जिलाध्यक्ष मुकेश चंद्राकर बैकफुट पर आ गए हैं। उन्होंने तो इस सबंध में कोई जानकारी होने से ही मना कर दिया। उनका कहना था कि पार्षदों के साथ उन्होंने जल समस्या व अन्य समस्या को लेकर चर्चा की है। मेयर नीरज पाल की बैठक और नए नगर निगम की मांग को लेकर दिए पत्र के बारे में कांग्रेस के वरिष्ठ पार्षद केशव चौबे ने भी कुछ बोलने से मना कर दिया। उनका कहना है कि मेयर ने जल समस्या को लेकर बैठक बुलाई थी।

ये मांग भिलाई निगम के कांग्रेसी पार्षद ( इनमें जोन अध्यक्ष और एमआईसी मेंबर) कर रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस के जिलाध्यक्ष के नाम एक पत्र भी दिया है। यह पत्र मंगलवार शाम से वायरल हो रहा है। पत्र में लिखा गया है कि पटरी पार वैशाली नगर विधानसभा के वार्डों में विकास नहीं हो रहा है। इसलिए अलग से निगम बनाने की जरूरत है। इस पत्र में कांग्रेसी पार्षदों समेत कई पूर्व पार्षदों के सिग्नेचर हैं। मामला मेयर नीरज पाल, विधायक देवेंद्र यादव और प्रदेश स्तर तक पहुंचने के बाद अब सभी लोग बैकफुट पर आ गए हैं।

नया निगम बनाने यह दिया गया तर्क
मंगलवार शाम जब पार्षदों की बैठक कांग्रेस जिलाध्यक्ष के साथ हुई तो उन्होंने अपने ज्ञापन में तर्क दिया कि दो विधानसभा भिलाई एवं वैशाली नगर के अंतर्गत भिलाई नगर निगम है। भिलाई नगर निगम में कुल मतदाता लगभग 4,06,833 है जिसमें, वैशाली नगर विधानसभा में 2,43,000 और मिलाई विधानसभा में 1,63,000 है। वर्तमान में दुर्ग जिला में दुर्ग नगर निगम में लगभग 1,85,000 और रिसाली नगर निगम में लगभग 1 लाख मतदाता हैं। इस दृष्टि से दुर्ग जिले में वर्तमान में वैशाली नगर विधानसभा में सघन व सर्वाधिक मतदाता हैं। इस विधानसभा में अत्यधिक विकास की जरूरत को देखते हुए वैशाली नगर को नया नगर निगम बनाया जाना चाहिए।

पटरी पार में विकास के प्रति भेदभाव का आरोप
पटरी पार के पार्षद लगातार इस तरफ विकास न होने का आरोप लगा रहे हैं। खुलकर न सही लेकिन  दबी जुबान में कांग्रेस के पार्षद भी इसे मान रहे हैं। यही मुद्दा आज नए नगर निगम बनाने की मांग तक पहुंच चुका है। कुछ कांग्रेसी पार्षदों ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि पटरी पार की लगातार उपेक्षा की जा रही है। जबकि विकास कार्यों की जरूरत सबसे अधिक अभी पटरी पार को है। टाउनशिप के लिए तो भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन स्वयं बैठा है, फिर वहां पैसा फूंकने की क्या जरूरत है। बीते कार्यकाल में टाउनशिप में खूब पैसा खर्च किया गया है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो हम लोग जनता के सामने किस मुंह से जाएंगे।

कद बढ़ाने की जगह घटाने का काम कर रहे हैं कांग्रेसी नेता
निगम के  वरिष्ठ पार्षद वशिष्ठ नारायण मिश्रा ने इस मामले में कहा है कि यह मांग बहुत ही चिंता का विषय है। चाहे किसी भी पार्टी का नेता क्यों न हो वह नगर निगम का कद बढ़ाने का कार्य करता है, लेकिन कांग्रेस के पार्षद और नेता इसका कद घटाने का कार्य कर रहे हैं। रायपुर, मुंबई जैसे कई बड़े नगर निगम जिनका कद काफी बड़ा है। यहां पहले ही रिसाली को अलग कर भिलाई निगम का कद घटा दिया गया। जबकि इन्हें जामुल, भिलाई तीन व अन्य क्षेत्रों को जोड़कर भिलाई निगम का कद बढ़ाना था। भिलाई नगर निगम खारून से लेकर शिवनाथ तक एक बड़ा नगर निगम बन सकता है, लेकिन कुछ लोगों की मंशा इसे लेकर ठीक नहीं है। उन्हें समझना चाहिए कि जितना बड़ा नगर निगम होगा सरकार से उतना बड़ा ही विकास का बजट मिलता है।

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