भिलाई इस्पात संयंत्र में कार्य के दौरान फिर एक ठेका श्रमिक की हुई मौत

सुरक्षा में लापरवाही के कारण हो रही है जन एवं बीएसपी प्रबंधन को धन हानि
भिलाई। भिलाई इस्पात संयंत्र में सुरक्षा में फिर एक हादसे में एक ठेका श्रमिक की मौत हो गई। मेसर्स भिलाई इंजीनियरिंग एंड कंसल्टेंसी संस्थान के कुशल ठेका श्रमिक मोहम्मद मुस्ताक पिता मोहम्मद इशाहक 24 अगस्त को रात्रि 9 बजकर 28 मिनट पर बीबीएम के बिल्लेट यार्ड के क्रेन नं 28 के कॉलम गाइड बॉक्स के वेल्डिंग कार्य में लगे हुए थे। कार्य के दौरान क्रेन नंबर 28 इलेक्ट्रिकल शटडाउन में था, इसके चलते क्रेन में विद्युत प्रवाह बंद था। कार्य के दौरान वह क्रेन केबिन के लेवल पर बनाये गये पिंजरे मे खड़े होकर जो की वेल्डिंग की सुविधा के लिए बनाया गया था, वेल्डिंग का कार्य कर रहा था। दो और व्यक्ति जो क्रेन केबिन में थे, उन्होंने उसे पिंजरे में लेटे हुए अवस्था मे देखा। उसे फायर ब्रिगेड की मदद से उतारा गया और एम्बुलेंस द्वारा मेन मेडिकल पोस्ट भेजा गया। मेन मेडिकल पोस्ट में ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इसके बाद उन्हें आगे की मेडिकोलीगल प्रक्रिया के लिए सेक्टर 9 मुख्य अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया।
रविवार 25 अगस्त को उनके शव को पोस्टमार्टम हेतु ले जाया गया। मृतक के परिवार को 2,50,000 रुपये सहायता राशि का चेक एवं अंतिम संस्कार हेतु 15,000 रुपये नगद प्रदान किया गया। इसके साथ ही मृतक के परिवार को सूचना दी गयी की जाँच पश्चात् नियमानुसार अनुकंपा नियुक्ति के संबंद्ध मे कारवाई की जायेगी। इस साल 8 माह में बीएसपी में करीब 8 से 10 लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें सबसे अधिक मौत ठेका श्रमिकों की हुई है। भिलाई इस्पात संयंत्र में जितनी भी मौते हुई है, उसमें अधिकांशतर मौतों में सुरक्षा में लापरवाही सामने आया है। बीएसपी प्रबंधन को केवल प्रोडक्शन से मतलब है, श्रमिकों की जान की परवाह नही है, इसलिए बिना सुरक्षा उपकरण के ही कार्य के लिए यहां के ठेकेदारों एवं प्रबंधन द्वारा वर्करों को कार्य के लिए उतार दिया जाता है।
उल्लेखनीय है कि बीएसपी अपना अधिकांशतर कार्य पिछले कई सालों से ठेका में देकर करवा रहा है, और ठेकेदार श्रमिकों को सेफ्टी का कोई उपकरण नही देता और कार्य करने भेज देता है, जिसके कारण कभी श्रमिकों की ऊचाई से गिरकर मौत हो जाती है तो कभी करंट लगकर तो कभी गैस लिकेज के कारण। भिलाई इस्पात संयंत्र की ओर से ठेकेदारों के लिए एक सेफ्टी ऑपिसर नियुक्त किया जाता है, लेकिन ठेकेदार और सेफ्टी ऑफिसर आपस में मिलीभगत कर लेते है, कोई हादसा होने पर ठेकेदार और बीएसपी प्रबंधन एक दूसरे पर दोषा रोपण करते है, प्रबंधन कहता है कि ठेकेदार की लापरवाही है और ठेकेदार कहता है कि प्रबंधन सुरक्षा का कोई उपकरण हमें उपलब्ध नही कराया। कुल मिलाकर दोनो की मिलीभगत के कारण यहां जन हानि तो होती ही है, बीएसपी प्रबंधन का धन हानि भी होता है, क्योंकि मृतक के परिजनों को लाखों रूपये मुआवजा देना पडता है और किसी किसी मामले में बीएसपी में नौकरी भी देना पड़ता है। संयंत्र में कार्य के दौरान भिलाई इस्पात संयत्र का सेफ्टी विभाग भारी भरकम खर्च कर सेफ्टी के लिए केवल सेमीनार आयोजित तो करता है और उसमें ठेकेदार, ठेका श्रमिकों, बीएसपी श्रमिकों को बुलाकर प्रशिक्षण देता है, सुरक्षा के उपाय बताया जाता है लेकिन बीएसपी प्रबंधन स्वयं ही उसपर अमल नही करता है। बीएसपी में करीब हर माह एक दो मौते हो रही है, लेकिन यहां का श्रम विभाग भी अपनी आंख मूंदे हुए है, ऐसे मामले में श्रम विभाग द्वारा भी कोई कार्यवाही नही करना शक के दायरे में है।