बिना संघर्ष और तपस्या के बड़े बड़ी ज्ञानियों को ईश्वर की प्राप्ति नहीं हुई-शास्त्री जी

तृतीय दिवस की कथा में जड़ भरत कथा ध्रुव कथा के व्याख्यान मे उन्होंने बताया कि भागवत कथा के श्रवण और से अंतःकरण शुद्ध होता है भगवान के चरणों में मन लग जाए तो सारे कष्ट दूर हो जाते हैं कथा के दौरान शास्त्री जी ने बताया कि भगवान आनंद रस सुधा सिंधु हैं भगवान 14 भुवनों के स्वामी हे भगवान ही सब का पोषण करते हैं तर्पण करना गो ग्रास के लाना अतिथि सत्कार करना है यही सनातन संस्कृति है जो सबका हित चाहता है। उसका स्वयं का हित हो जाता है। उन्होंने आगे कहा कि धर्म शास्त्र का बोध कराने वाले लोग अपने साथ दूसरों का भी कल्याण करते हैं भागवत मोक्ष का ग्रंथ है व्यक्ति को याद रखना चाहिए कि शरीर नष्ट हो जाता है जीवन नहीं जीवन चक्र में उसे अपने कर्मों का फल मिलता ही है जीव को मोक्ष के लिए जीवन चक्र से मुक्ति के लिए ही धर्म पद का पालन करना चाहिए शास्त्री जी ने कहा कि सुबह कल्याण व सर्व कल्याण के लिए संत ऋषि महात्मा तब करते हैं जिसका पूरा जीवन दूसरों के लिए होता है पर अमावस से बढ़कर कोई दूसरा धर्म नहीं है। फिर कलयुगी लोगों को आसानी से ईश्वर से कैसे जुड़ा जाए इसका आसान साधन सुखदेव एवं परीक्षित के संवाद से प्राप्त होता है जिसे हम भागवत कहते हैं ।भागवत कथा के श्रवण की महिमा है ।कि यह आपके अंदर की बुराइयों को शोधित करता है ।आपको अपने संस्कार से जोड़ता है। आपको सनातनी होने का भाव दिलाता है। श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन श्रोताओं को संबोधित करते हुए । ग्राम गर्रापार खैरागढ़ के समिप मे स्थित व्यासपीठ से पंडित आचार्य झम्मन शास्त्री जी ने अपने मुखारविंद से उत्तानपाद राजा के पुत्र ध्रूव बालक हट का उल्लेख करते हुए बताया कि ऐसे ब्रह्मज्ञानी को भी 5 वर्ष में वनवास और 36000 वर्ष की तपस्या के बाद भगवान की प्राप्ति हुई आज के बच्चे सत्य से कोसों दूर है । उन्हें तो बस टीवी मोबाइल की आदत पड़ी हुई है। दुख का विषय है ।कि सबसे पुराने और पुरातन सनातन धर्म के अनुयायियों के बच्चे प्रणाम का सलीका भी भूल गए उन्हें पता नहीं की बड़ों के आगे झुकने से कैसे पूरी दुनिया और स्वयं परमपिता परमात्मा आपसे खुश होते हैं ।लोगों को पता ही नहीं कि धर्म और पंथ में क्या अंतर है। परिवारों में शुचिता का भाव कैसे हो मैं समझाता हूं कि इस भागवत का उद्देश्य उसे प्राप्त हो जाएगा देशभर में लोगों को धर्म को बचाने के लिए आगे आना होगा। श्री मति हेमलता तिवारी और उनके परिवार से लोगों को प्रेरणा लेना होगा। तब जाकर सभी विषयों के धनी भागवत घर-घर में सत्संग के साथ श्रवण किया जा सकेगा । कथा उपरांत महा आरती की गई।।