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314 एन्काउन्टर करने वाले हिन्दुस्तान के पहले जवान को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के दवारा पुलिस वीरता पदक से सम्मानित किया

रायपुर – निरीक्षक संग्राम सिंह धुर्वे पिता श्री कुँवर सिंह धुर्वे जो ग्राम पोस्ट खेतगाँव का निवासी है जो बचपन से ही काफी संघर्ष सील रहा ,एक गरीब परिवार में जन्म होने के कारण 8 वी तक की पढाई गाँव के स्कूल में किया इसके बाद क्रीड़ा परिषर अमरकंटक में 10 वी तक पढाई किया और शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय लखौरा में 12 वी तक और पुष्पराजगढ़ कालेज में पढाई किया संग्राम सिंह एक गरीब परिवार के होने के कारण होस्टल में रहता था और किराया पैसा का व्यवस्था आने,जाने के लिये नही होने के कारण घर से ही 22 किलोमीटर दौड़ते हुऐ जंगल पहाडियों के रास्ते से स्कूल जाता था और कापी किताब खरीदने के लिये गर्मियों के छुट्टियों में रोजी मजदूरी करता था ।

संग्राम सिंह धुर्वे जिला सीधी में 20/8/1997 में आरक्षक के पद पर भर्ती होकर पुलिस अधीक्षक श्री जी.आर.मीणा के अधिनस्थ कार्य किया ।अपनी पहले  पोस्टिंग के दौरान पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में एक खुँखार डैकत देवी सिंह यादव को दो नग पिस्टल के साथ अपना जान का परवाह किये बिना जिन्दा पकड़ने में सफलता हासिल किये।

वर्ष 2003 में मध्यप्रदेश से राज्यस्थानान्तरण के दौरान छत्तीसगढ़ प्रदेश हो गया और पुलिस मुख्यालय में आमद देने के तुरन्त बाद जिला दन्तेवाड़ा स्थानांतरण कर दिया गया जिला दन्तेवाड़ा में आमद के बाद जिले के सबसे खतरनाक थाना भेजी में पोस्टिंग किया और नागा बटालियन के 05 जवानों को नक्सली मुड़भेड़ में शहीद होते देखकर यह ठान लिया की अब नक्सलियों से लड़ाई लड़ना जरूरी है । भेजी थाना जिला मुख्यालय से दूर होने के कारण मेन रोड से लगभग 15/20 किलो मीटर पैदल चलना पड़ता था और आने जाने के दौरान हमेशा नक्सलियों से एन्काउन्टर होता रहता था जो आदत में सुमार हो गया । और नक्सलियों के हर गतिविधियों को ध्यान देना शुरू कर दिया ।

वर्ष 2003 से 2008 तक दूसरे कमान्डर के निर्देशन में गस्त सर्चिंग किया और 2008 से 2018 तक आरक्षक होने के बाद भी वरिष्ट अधिकारियों के निर्देशन में नक्सलियों के साथ लड़ाई का कमान खुद संभालकर और नक्सलियों के साथ लोहा लेने लगा बस्तर जिला दन्तेवाड़ा में 15 साल की तैनाती के दौरान एवं जिलों में 16 साल के तैनाती में इस जवान के साथ  कुल 313 एन्काउन्टर हुऐ जिससे में अलग,अलग पुलिस नक्सली मुड़भेड़ में 67 नक्सली शव बरामद करने में सफलता हासिल किया और इस जवान को कोई बडा़ घटना होने हेलीकॉप्टर से जिला दन्तेवाड़ा से बस्तर के दूसरे जिलों में भेजा जाता और दन्तेवाड़ा से जिला राजनांदगांव स्थानांतरण के बाद बुकमरका पहाड़ में 04 नम्बर नक्सली कम्पनी के साथ मुड़भेड़ हुआ और नक्सलियों के कैम्प ध्वस्त करने में सफलता हासिल किये ।

इस जवान के बहादुरी को देखकर छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग के वरिष्ट अधिकारियों के दवारा आरक्षक से निरीक्षक तक 04 बार क्रम से पूर्व परमोशन देकर सम्मान किया गया ।

इस जवान के दवारा बस्तर संभाग के सभी जिलों में एन्काउन्टर किया गया ,दन्तेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर, कांकेर, कोण्डागांव और जगदलपुर में ।

इस ,जवान के साथ निम्न नक्सली संगठनों के साथ 314 एन्काउन्टर हुआ 1, नक्सली बटालियन,2 नक्सली कम्पनी, 3 नक्सली प्लाटून, 4 नक्सली एल .ओ.एस.5 ,नक्सली एल.जी.एस.और नक्सलियों के छोटे बडे़ सभी संगठनों के साथ मुड़भेड़ हुआ है ।

ये जवान 02 बार घायल भी हो गया । एक बार पुलिस नक्सली मुड़भेड़ के दौरान दाहिने हाथ में गोली लगने से दाहिने हाथ के हड्डी टूटजाने के बाद आज भी हाथ में रायड लगा हुआ है ।और दूसरे बार नक्सलियों के पीछा करने के दौरान नक्सलियों दवारा लगाऐ गऐ मूवीटेरेप में  फंसने से लोहे के सरिया पैर से पार हो गया ये जवान 02बार घायल होने के बाद जब 15 दिन रामकृष्णकेयर होस्पिटल रायपुर में ईलाज के भर्ती होकर अपना ईलाज कराया । जिला दन्तेवाड़ा पहुचकर तुरन्त आमद दे दिया और हाथ में पलास्टर लगे होने के बाद भी कभी भी किसी प्रकार के मेडिकल अवकाश या सीक रेस्ट का सहारा नही लिया । और नक्सलियों से घायल होने के बदला लेने के भावना से नक्सलियों की खोजबिन अभियान चालू कर दिया ।

ये जवान नक्सलियों के लिये ऐक काल के सामान है ये जवान नक्सलियों के सपनों में आकर भी नक्सलियों को डराता है नक्सली आज भी इस सदमें से नही उभर पाऐ हैं कई बार जरिये मुखबिरों के सूचना मिला है की सोते समय पुलिस,पुलिस चिल्लाकर और मलांगीर ऐरिया और कटेकल्याण ऐरिया में फायरिंग भी किये हैं और पुलिस मुखबीरी के शक में अपने साथियों का मडर भी किये हैं ।

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