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बैजनाथ मंदिर में 1 क्विंटल घी और मेवों से बनाया शिवलिंग का भव्य घृतमण्डल, जानें क्यों लगाया जाता है माखन का लेप बैजनाथ मंदिर में 1 क्विंटल घी और मेवों से बनाया शिवलिंग का भव्य घृतमण्डल, जानें क्यों लगाया जाता है माखन का लेप

बैजनाथ (कांगड़ा). हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में बैजनाथ के प्राचीन शिव मंदिर में मकर सक्रांति के पावन पर्व के उपलक्ष्य में पवित्र शिवलिंग पर एक क्विंटल से अधिक शुद्ध देशी घी व सूखे मेवों से भव्य घृतमण्डल बनाया गया है. मंदिर में सात दिन तक यानी 14 से 21 जनवरी तक घृतमण्डल पर्व मनाया जाएगा.
मकर संक्रांति पर पवित्र शिवलिंग पर जलाभिषेक के बाद मंदिर पुजारी उमाशंकर की देखरेख में घृत मंडल तैयार किया गया. करीब चार फीट ऊंचा देसी घी व सूखे मेवों से बनाए गया घृत मंडल आगामी सात दिन तक इसी प्रकार पवित्र शिवलिंग पर चढ़ा रहेगा. 21 जनवरी को सुबह नौ बजे के बाद से श्रद्धालुओं में प्रसाद के रूप में वितरित होगा.
108 मर्तबा ठंडे पानी से धोने और सूखे मेवों से सात दिन तक पवित्र शिवलिंग पर सुसज्जित रहने के कारण यह घी औषधि का रूप धारण कर लेता है. चर्म रोगों के उपचार में सहायक रहता है.
भक्तों का लगा तांता
शुक्रवार सुबह से ही मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. घृत मंडल को पुजारी उमाशंकर, सुरेंद्र, आचार्य धर्मेंद्र शर्मा, संजय शर्मा, शांति स्वरूप के अतिरिक्त मंदिर ट्रस्टी गुरबचन चौहान, अनिल शर्मा और अनिल अवस्थी तथा मंदिर का कार्यभार देख रहे विजय कटोच ने तैयार करने में सहयोग किया. घृत मंडल को तैयार करने में कोरोना नियमों की पूरी तरह से पलना की गई और पुजारियों के करोना टेस्ट कर जांच की गई.

 

 

क्या है माखन लगाने के पीछे की मान्यता
मुख्य पुजारी सुरेंद्र आचार्य के अनुसार शास्त्रों में कहा गया है कि सतयुग में भगवान शिव व दैत्य राजा जालन्धर के बीच हुए महायुद्ध के दौरान भगवान शिव के शरीर में कई घाव आए थे. तब महादेव के शरीर पर घी का लेप किया गया था व सात दिन तक महादेव गुफा में रहे थे. इसीलिए यह पर्व प्राचीन काल से सात दिनों तक मनाया जाता है और आठवें दिन शिवलिंग से घृतमण्डल को उतार कर इसे प्रसाद के रूप में शिव भक्तों में बांटा जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस घी का शरीर में लेप करने से चर्म रोग दूर हो जाते हैं.

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