धर्ममनोरंजनसमाज/संस्कृति
बैर बैर सा फिर क्यूँ Why do you hate me again?
*बैर बैर सा फिर क्यूँ*
इन्शानियत मरती मनुष्यों में,
धर्म जाती का परवान चढ़ा है!
अखण्ड भारत पिरोये जिसने,
परिश्रम वह क्या? धूल हुआ है।।
पानी की कोई जाती नही ,
रंग खून का एक ही है।
नफरत द्वेष आपस की छोंड़ दो,
मुश्किल से स्वतंत्र भारत मिला है।
मुश्किल से स्वतंत्र भारत मिला है।
जल,अग्नि, पृथ्वी, आकाश,वायु,
प्राणियों का इनसे ही जीवन है।
प्राणदेयक है इस धरा पर प्रकृति,
बैर बैर स फिर क्यूँ? जग हुआ है!
हृदयतल से देव!क्यो? विलाप है!
व्यथित रवि,अम्बर पर प्रकाश है!
कोह कोह की आवाज गिद्धों की!
मेरा भारत यह अटल खड़ा है
गर्वित करता वह हर शीश माँ को
समर्पित जिनका लाल हुआ है।
हे!माँ सौगंध मुझे इस आँचल की,
आज भी तलवार ,ढाल पड़ा है।
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