छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

कुरूद के बाद अब कचांदुर में भी कब्रगाह के लिए दिये जाने वाले जमीन पर करने लगे आपत्ति:After Kurud, now in Kachandur also started raising objections to the land given for the cemetery

भिलाई। भिलाई के केम्प क्षेत्र में भिलाई इस्पात संयंत्र के स्थापना के समय मुस्लिम समाज के लिए कब्रिस्तान के लिए जमीन आबंटित किया गया था। जो पूरी तरह पिछले दस पन्द्रह साल पूर्व से ही भर गया है। अब वहां दफनाने के लिए थोड़ी भी जगह नही है। दूसरों के कब्र को पलटी कर उसी में दुबारा दफनाना पड़ रहा है। भिलाई के कब्रिस्तान इंतेजामिया कमेटी और मुस्लिम समाज द्वारा पिछले 20 सालों से कब्रिस्तान के लिए जमीन आबंटन के लिए लगातार महापौर, विधायक, मंत्रियों, कलेक्टर से लेकर तमाम लोगों से मांग करते और आवेदन सौँपते रहे है। शासन प्रशासन द्वारा जबसे मुस्लिम समाज को कब्रिस्तान आबंटन के लिए जहां भी प्रयास किया जा रहा है, वहां सुनियोजित तरीके से विरोध करवाया जा रहा है। मुस्लिम समाज को कब्रिस्तान के लिए जमीन दिये जाने का ऐसा विरोध होने लग रहा है जैसे कही शराब दुकान खुलने का विरोध होता है। ये यहां के लोगों की बदनसीबी ही है कि जीतेजी जगह मिले चाहे ना लेकिन मरने के बाद भी दो गज जमीन न मिले इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है। कुछ लोगों में इंसानियत मर चुकी है तभी तो लोग शव दफनाने जैसे कार्योँ के जमीन आबंटन का विरोध करवा रहे हैं। गत तीन साल पूर्व निगम द्वारा कुरूद में कब्रिस्तान के जमीन आबंटन के लिए एमआईसी से पास होने के बाद वहां की पार्षद ने विरोध प्रदर्शन कर उसको निरस्त करवा दिया। अब जब भिलाई और आसपास में शासकीय जमीन नही होने के कारण शहर से दूर कचांदुर में जिला प्रशासन द्वारा खाली जमीन को कब्रिस्तान के आबंटन के लिए प्रक्रिया प्रारंभ हुआ तो साइंस कॉलेज के प्रोफेसर भिलाई के सेक्टर दस निवासी रविन्द्र सिंह खुलकर इसका विरोध वहां के ग्रामीणों को कबिस्तान के कारण चारागाह की जमीन कम हो जाने और पूर्व में वहां रोड रास्ता प्रस्तावित बताकर कचांदुर के ग्रामीणों को उकसाने और विरोध करवाने का कार्य कर रहे है। इसके लिए बकायदा ग्राम पंचायत कचांदुर का भी सहयोग लेते हुए बकायदा ग्राम पंचायत कचांदुर की बैठक भी करवा कर उसमें इसका विरोध के लिए प्रस्ताव पारित करवाया गया और इसकी प्रतिलिपि अतिरिक्त तहसीलदार भिलाई के नाम से कार्यालय प्रतिलिपि शाखा तहसील कार्यालय दुर्ग में दिया गया है।

रविन्द्र सिंह ने कचांदुर के कुछ ग्रामीणों के साथ रविवार को पत्रकारवार्ता लिया जिसमें सरपंच झामिन साहू के प्रतिनिधि विसम्बर साहू के अलावा पंचगण रामचरण यादव ,दुलारी वर्मा, पीाम्बर निर्मलकर , उदय वर्मा एवं जनपद पंचयत सदस्य  क्षेत्र 10 की जनपद सदस्य योगिता बंजारे के पति अनिल बंजारे सहित कई लोग उपस्थित थे। इस दौरान उन्होंने कचांदुर के खसरा नंबर 767 रकबा 2.440 हेक्टेयर जिस पर सड़क बना हुआ है एवं चारागाह की भूमि है। इस जमीन को कब्रिस्तान के लिए दिये जाने का षडयंत्र बताते हुए कहा कि यहां कब्रिस्तान के लिए जमीन आबंटित किये जाने से शासन प्रशासन के प्रति 20 ग्रामों में भारी नाराजगी है। यहां कब्रिस्तान के लिए जमीन आबंटन पर आपत्ति करने सोमवार 13 सितंबर को प्रात: 11 बजे ग्राम कचांदुर के बड़ी संख्या मे लोग नगर निगम परिसर में स्थित तहसील कार्यालय में जायेंगे और आबंटन प्रक्रिया निरस्त करने तहसीलदार से मांग करेंगे। इस दौरान उन्होंने आगे कहा कि तहसीलदार का रवैय्या एंव स्थिति की गंभीरता को देख ग्राम पंचायत कचांदुर में ग्राम सभा की बैठक 27 अगस्त को रखी गई और चारागाह की कमी है और आसपास के ग्रामीणों के लिए उक्त भूमि पर रास्ता बना है, इसलिए इस जमीन के आबंटन के खिलाफ सर्वसम्मति से आपत्ति पारित किया गया और इस आपत्ति को कलेक्टर, अनुविभागीय अधिकारी दुर्ग, तहसीलदार भिलाई को तत्काल दिया गया। इसके बाद भी इस जमीन के आबंटन किये जाने का पुरजोर प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि ग्राम पंचायत एवं ग्राम सभा में आपत्ति देने के दौरान भी तहसीलदार ने मौखिक रूप से दिनांक 7.09.2021 को आने कहा। लिखित समन मांगने पर नही गया और न ही केस फाईल पढने की अनुमति दी गई। उनके द्वारा कोई भी जानकारी स्पष्ट रूप से नही दी गई। इन्होने तहसीलदार पर आरोप लगाया कि ईश्तहार का प्रकाशन न कराना, अंतिम इश्तहार में 15 दिन का समय देने के बजाय मात्र 3 से 4 दिन का समय दिया गया है।

इस दौरान उन्होंने पटवारी प्रमोद श्रीवास्तव पर भी आरोप लगाया कि  शासन द्वारा इस जमीन को शव दफन के लिए दिये जाने  का विरोध का ग्राम पंचायत का प्रस्ताव पत्र देने के बाद भी पटवारी द्वारा अपने जांच प्रतिवेदन में चारागाह की कमी नही होना बताया है। इसके कारण ग्रामीणों में भारी आक्रोश होना पत्रवार्ता में बताया गया।
उल्लेखनीय है कि इस जमीन को कब्रिस्तान के लिए आबंटित करने के मामले में पटवारी द्वारा जांच प्रतिवेदन में गत 1 सितंबर को दिया गया है कि इस जमीन को आबंटन के पश्चात चारागाह की कमी नही होगी। ज्ञातव्य हो कि किसी भी क्षेत्र का शासन के राजस्व विभाग का ग्रामीण स्तर पर प्रमुख पटवारी ही होता है और उसके उस क्षेत्र के जमीन के बारे में पूरी जानकारी होती है। चारागाह की कमी नही होने का प्रतिवेदन देने के कारण रविन्द्र सिंह सहित कचांदुर के सरपंच, उपसरपंच सहित कई लोगों द्वारा इस मामले में पटवारी पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए पटवारी के निलंबन की मांग कर जांच करवाने की मांग कर रहे हैं।

जिला प्रशासन की भूमिका को भी बताये संदिग्ध
पत्रकारवार्ता क दौरान इन्होंने जिला प्रशासन के भूमिका को भी संदिग्ध बताते हुए कहा कि किस अधिकारी ने गांव के उक्त जमीन को अवलोकन कर उपलब्धता सुनिश्चित किया है। इन्होंंने आगे कहा कि जिला प्रशासन ने बड़ी चालाकी से इस पूरे प्रकरण को भिलाई नगर विधायक देवेन्द्र यादव विरूद्ध शासन बनाकर राजनैतिक संरक्षण प्राप्त करने की कोशिश कर रहा है।

इस मामले में आखिर क्यों इन्टेस्ट ले रहे हैं रविन्द्र सिंह
कचांदुर में कब्रिस्तान के लिए जमीन आबंटन के विरोध करने वाले प्रमुख नेतृत्वकर्ता एवं वहां के कुछ जनप्रतिनिधियों व ग्रामीणों के साथ पत्रकारवार्ता लेने वाले रविन्द्र सिंह कचांदुर में नही रहते वे सेक्टर 10 में रहते है। लेकिन वे इस मामले में पूरा इन्ट्रेस्ट ले रहे हैं क्योंकि इनका कुछ एकड़ जमीन कचांदुर में जहां कब्रिस्तान के लिए जमीन का आबंटन प्रस्तावित है उसके समीप है। कचांदुर के अधिकांश कृषि के जमीन को प्लाट काटकर बेचने का कार्य किया जा रहा है। यदि भविष्य में रविन्द्र सिंह अपनी जमीन को प्लाटकाटकर या ऐसे भी बेचना चाहेंगे तो उसका दाम सही तरीके से नही मिल पायेगा। जिसके कारण इनको नुकसान हो सकता है। यही कारण है कि रविन्द्र सिंह इस जमीन आबंटन का विरोध करने वालों का नेतृत्व कर रहे हैं।

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