पंजशीर में डटे पूर्व उपराष्ट्रपति सालेह बोले-सिर्फ अल्लाह ही मेरी आत्मा को अफगानिस्तान से निकाल सकता हैOn the occasion of Janmashtami, liquor shops across the state were closed, Chief Minister announced, Yadav society expressed its heartfelt gratitude On the occasion of Janmashtami, liquor shops across the state were closed, Chief Minister announced, Yadav society expressed its heartfelt gratitude
पंजशीर. पूरा अफगानिस्तान (Afghanistan) तालिबान (Taliban) के कब्जे आ चुका है. पंजशीर में लड़ाई जारी है. राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashraf Ghani) और तमाम राजनेता पहले ही भाग चुके हैं. इस बीच अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति और स्वघोषित कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह (Amrullah Saleh) ही एकमात्र नेता हैं, जो तालिबान के खिलाफ डटे हुए हैं. सालेह पंजशीर में डेरा जमाए हुए हैं और अपनी सेना के जरिए तालिबान को कड़ी चुनौती दे रहे हैं. सालेह ने साफ कर दिया है कि वो देश छोड़कर भागेंगे नहीं. उन्होंने कहा, ‘एक दिन सिर्फ अल्लाह ही मेरी आत्मा को यहां से निकाल देंगे, लेकिन फिर भी मेरे अवशेष इसी मिट्टी से मिल जाएंगे.’
अफगानिस्तान (Afghanistan)के उपराष्ट्रपति और स्वघोषित कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह (Amrullah Saleh)ने कहा, ‘चाहे कुछ भी हो जाए मैं तालिबानियों के सामने सिर नहीं झुकाऊंगा. सीने पर गोली खा लेंगे, लेकिन सिर नहीं झुकाएंगे.’
इस सवाल का जवाब है पंजशीर. यह वो जगह है जहां के लोगों को तालिबान मंजूर नहीं है. क्योंकि, ये अफगान इतिहास के सबसे धाकड़ गुरिल्ला लड़ाके रहे अहमद शाह मसूद का पंजशीर प्रांत है. वो अहमद शाह मसूद जिसने सोवियत संघ की तोपों की नाल को अपने जुनून के दम पर मोड़ दिया था. अहमद शाह मसूद ने अपनी गुरिल्ला तकनीक से तालिबान को काबुल में झुका दिया था. उनकी हत्या के बाद अब उनके बेटे अहमद मसूद लोगों को ट्रेनिंग दे रहे हैं.
पंजशीर को कभी जीत नहीं पाया तालिबान?
पंजशीर काबुल से 150 किलोमीटर दूर पंजशीर को तालिबान कभी नहीं जीत पाया. तालिबान 1998 में भी पंजशीर पर कब्जा नहीं कर पाया था. 1995 में अहमद शाह मसूद के नेतृत्व में तालिबान को काबुल में हराया गया था. तालिबान अहमद शाह मसूद को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता था. 9/11 से ठीक दो दिन पहले अहमद शाह मसूद की फिदायीन हमले में हत्या कर दी गई थी.
पंजशीर में लड़ाई जारी
पंजशीर को कब्जा करने के लिए तालिबान की लड़ाई जारी है. तालिबान ने पंजशीर के तीन जिलों पर कब्जे का दावा भी किया है. मगर पेरिस में सोरबोन विश्वविद्यालय के अफगान विशेषज्ञ गाइल्स डोरोनसोरो ने न्यूज़ एजेंसी एएफपी को बताया, “फिलहाल पंजशीर में प्रतिरोध सिर्फ मौखिक है, क्योंकि तालिबान ने अभी तक पंजशीर में प्रवेश करने की कोशिश नहीं की है.”
हालांकि, हथियारबंद लड़ाकों के साथ उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह और अहमद मसूद दोनों ही पंजशीर को तालिबान के खिलाफ लड़ाई में तैयार करने में जुटे हैं. अपने लड़ाकों में जान भरने में लगे हैं, तालिबान को हराने के लिए लगातार बैठकें चल रही हैं.