छत्तीसगढ़

कबीरधाम जिले के इस गांव में मना संपर्क आजादी का जश्नRajiv Gandhi Kisan Nyay Yojana – The second installment of Kharif year 2020-21 will be released on August 20, Rajiv Gandhi Kisan Nyay Yojana – The second installment of Kharif year 2020-21 will be released on August 20,

। समाचार।।

कबीरधाम जिले के इस गांव में मना संपर्क आजादी का जश्न

ग्रामीणों ने कहा – नदी में पुल बनने से गांव का ब्लाक और जिला से जुड़ा संपर्क

स्कूली बच्चों ने कहा – अब हम बरसात के दिनों में भी स्कूल जा सकेंगे पढ़ने 

 

कवर्धा, 19 अगस्त 2021। कबीरधाम जिले के सुदूर और दुर्गम पहाड़ियों के बीच बसा है एक छोटा का गांव भैंसबोड़। भैसबोड़ ग्राम पंचायत वामी का आश्रित गांव है। यह गांव जिला मुख्यालय कवर्धा से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है। यह गांव

 

 

 सहसपुर लोहारा विकासखण्ड के अंतिम ग्राम हैं। इस छोटे से गांव में आदिवासी और विशेष पिछड़ी बैगा परिवार भी निवास करते है। इस गांव में हर साल देश का राष्ट्रीय पर्व मनाए जाते है, लेकिन इस बार आजादी का जश्न का माहौल ही कुछ खास था। गांव के ग्रामीणों ने इस बार संपर्क आजादी का जश्न

 

 

 मनाकर आजादी का पर्व मनाया। गांव के पहुंचमार्ग खर्रा नाला में पुलिया बनने से ग्रामीण और स्कूली बच्चे साल के बारह महीनें अपने विकासखण्ड और जिला मुख्यालय से जुड़ गए है। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के 18 बरस बाद इस गांव के लोग आज विकास के मुख्यधारा से जुड़ रहे है। बच्चों के स्कूल जाने से लेकर ग्रामीणों को राशन समाग्री लाने में अब गांव के लोगों को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होती।
दरअसल कबीरधाम जिले के सहसपुर लोहारा विकासखण्ड़ में जिले का सुतियापाठ मध्यम जलाशय है। इस जलाशय का उलट हिस्सें में पहाड़ियांं के बीच खर्रा नदी का बहाव होता है। इस नदी के उस पार मैकल पर्वत श्रृंख्ला की तलहटी पर छोटा सा गांव भैसबोड है। इस गांव के आदिवासी और बैगा परिवार सदियों में इस नदी पर पुलिया बनाने के लिए संघर्ष करते आ रहे थे। संघर्ष के समय के साथ-साथ गांव के कई लोग बुजुर्ग हो गए और कईयों की सांसे भी थम गई। पर इस नदी पर एक पुलिया नहीं बन पाया था।
भैंसबोड के बुजूर्ग ग्रामीण अमर सिंह गोड़ बताते है कि उनकी पूरी जिंदगी इस गांव के पुलिया बनाने के मांग में गुजर गई। वह भी अच्छे से पढ़ाई करना चाहता था, लेकिन आसपास स्कूल और गांव के इस नदी में पुलिया नहीं होने से उनके सपने आज अधूरे हो गए है। वह इस गांव के हर बच्चें को शिक्षित और पढ़ा लिखा देखना चाहता है। बरसात के दिनों में गांव में किसी भी ग्रामीण की जब तबियत खराब होती थी तब बरसात के दिनों में नदीं पार कर कोई यहां आना भी पंसद नहीं करते थे, लेकिन आज पुलिया बनने से गांव का सपना पूरा हो रहा है।
गांव के अन्य ग्रमीण जन जोहन धुर्वे, धरमलाल, प्रेमलाला और लक्ष्मीधुर्वें ने बताया कि ग्रामीणों की साथ मिलकर क्षेत्रीय भ्रमण में पहुंचे क्षेत्र के विधायक श्री मोहम्मद अकबर से भेट कर खर्रा नाला में पुलिया बनाने के लिए फिर से मांग की। वनमंत्री श्री अकबर ने ग्रामीणों की मांग को समझते हुए अधिकारियों को शीघ्र स्थल निरीक्षण का पुलिया निर्माण के लिए प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए। मांग के महज दो दिन बाद ही अधिकारियों की टीम गांव पहुंची और नदी का नॉप-जोख शुरू हो गया। ग्रामीणों को भरोसा नहीं हुआ, क्योंकि इस नदी का ना जाने कितने बार नांप-जोख होते ग्रामीणों ने देखा था। लेकिन कुछ महीनों बाद फिर से अधिकारी की टीम गांव पहुंची और सचमुच नदीं में पुलिया बनाने का काम शुरू महात्मागांधी राष्ट्रीय रोजगार गांरटी योजना के तहत इस नदी में पुलिया सह रपटा बनाने के लिए 44 लाख रूपए की स्वीकृति दी गई है। इस लिए यहां गांव के लोगों को पुरा रोजगार भी मिलेगा। गा्रमीणों में उस समय अजब की खुशियां थी। पुलिया बनाने के लिए सब एकजुट हुए। देखते ही देखतें महज 17 महीनों में 80 मीटर का यह पुल बनकर तैयार हो गया। गांव के मजदूरों में रोजगार में पूरे 9 लाख रूपए कमाए है। गांव के प्रेमलाल ने बताया कि पुलिया बनने से गांव के लोग अब मोटर साईकिल भी ले रहे है।
भैसबोड के कक्षा साववीं के स्कूली छात्र ब्रजलाल धुर्वे, कक्षा ग्यारहवीं के छात्र लुकेश मरकाम ने बताया कि गांव की नदी में पुलिया बनने से गांव के लोंगों के साथ-साथ स्कूली बच्चें बहुत खुश है। यहां के बच्चें ग्रामीण ग्राम वामी के स्कूल में पड़ते है। बच्चांं ने बताया कि बरसात के दिनों में यहां के हम सब बच्चे स्कूल नहीं जा पाते थे। यहां के नदी का बहाब बहुत तेज है और अक्सर बाढ आ जाता है। अब पुलिया बन जाने से हमे पढाई करने में बाढ़ भी बाधा नहीं बन सकता।

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