जनसुविधा की दृष्टि से हमने किया राज्य में 29 नई तहसीलों और 4 नए अनुविभागों का गठनः मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेलMother’s milk is best for children, increases immunity – Municipality President Shri Rishi Sharma From the point of view of public convenience, we have formed 29 new tehsils and 4 new sub-divisions in the state: Chief Minister Bhupesh Baghel
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जनसुविधा की दृष्टि से हमने किया राज्य में 29 नई तहसीलों और 4 नए अनुविभागों का गठनः मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल
मुख्यमंत्री ने लोकवाणी में ‘आदिवासी अंचलों की अपेक्षाएं और विकास’ विषय पर की बातचीत
कवर्धा, 08 अगस्त 2021। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज ‘‘लोकवाणी‘‘ की 20वीं कड़ी में ‘‘आदिवासी अंचलों की अपेक्षाएं और विकास‘‘ विषय पर प्रदेशवासियों से बात-चीत करते हुए सबसे पहले छत्तीसगढ़ी में प्रदेशवासियों को पारंपरिक हरेली तिहार की बधाई और शुभकामनाएं दी। कवर्धा के भारत माता चौक के सामने मुख्यमंत्री लोकवाणी कार्यक्रम को सुनने के लिए नगर पलिका कवर्धा द्वारा विशेष व्यवस्था की जाती है, जहां माह के प्रत्येक द्वितीय रविवार को प्रसारित होने वाली लोकवाणी कार्यक्रम को सुना जाता है। मुख्यमंत्री लोकवाणी कार्यक्रम सुनने के लिए नगर पालिका अध्यक्ष श्री ऋषि शर्मा, उपाध्यक्ष श्री जमील खान, श्री मुकंद माधव कश्यप, पार्षद श्री मोहित महेश्वरी, श्री संतोष यादव, एल्डरमेन श्री जाकिर चौहन, श्री दलतीत पाहुजा, श्री देवराज पाली, सहित गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ी संस्कृति के अनुसार हरेली साल का पहला त्यौहार है। इस दिन अपने गांव-घर, गौठान को लीप-पोत कर तैयार किया जाता है। गौमाता की पूजा की जाती है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़िया भावना को ध्यान में रखते हुए हरेली सहित पांच त्यौहारों में सरकारी छुट्टी घोषित की गई है। उन्होने विश्व आदिवासी दिवस की बधाई देते हुए कहा कि हमारी सरकार बनने के बाद प्रदेश में पहली बार विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है। इससे सभी लोगों को आदिवासी समाज की परंपराओं, संस्कृतियों और उनके उच्च जीवन मूल्यों को समझने का अवसर मिला है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने प्रदेशवासियों को अगस्त माह में आने वाले त्यौहार हरेली, नागपंचमी, राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस, ओणम, राखी, कमरछठ और कृष्ण जन्माष्टमी की भी बधाई दी।
29 नई तहसीलों और 04 अनुविभागों का गठन
मुख्यमंत्री ने कोरिया जिले के श्री सतीश उपाध्याय, बालोद जिले के युवा श्री विनय कुमार मरकाम और बस्तर अंचल के दरभा के रहने वाले श्री सोमनाथ से हुई बातचीत का उत्तर देते हुए कहा कि हमने ढाई वर्षों में 29 नई तहसीलें और 4 नए अनुविभाग गठित किए हैं, उनमें से अधिकतर आदिवासी अंचल में ही हैं। कोरिया जिले में पटना के साथ चिरमिरी और केल्हारी तहसीलें भी गठित की गई हैं। इसके अलावा कबीरधाम जिले में रेंगाखार-कला, सरगुजा जिले में दरिमा, बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में रामचंद्रपुर, सामरी, सूरजपुर जिले में लटोरी, बिहारपुर, जशपुर जिले में सन्ना और सुकमा जिले में गादीरास आदि प्रमुख हैं। इसी तरह चार नवीन अनुविभागों में दंतेवाड़ा का बड़े बचेली और बस्तर का लोहंडीगुड़ा शामिल है। बरसों पुरानी मांग को ध्यान में रखते हुए गौरेला – पेण्ड्रा – मरवाही को जिला ही नहीं बनाया गया बल्कि आदिवासी बहुल आबादी वाले इस क्षेत्र को उनका हक भी दिया गया। हमारा यह मानना है कि नई प्रशासनिक इकाईयों के गठन से लोगों को अपनी भूमि, खेती-किसानी से संबंधित काम, बच्चों की पढ़ाई, नौकरी या रोजगार से संबंधित कामों के लिए आसानी होगी। सरकारी योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन होगा। इसे ही हमने प्रशासनिक संवेदनशीलता का मूलमंत्र बनाया है। उन्होंने कहा कि जहां तक कोरिया जिले के मेरीन फॉसिल्स पार्क – जैव विविधता पार्क का सवाल है, हम सिर्फ कोरिया ही नहीं, बल्कि प्रत्येक जिले में अपनी ऐतिहासिक और पुरातात्विक धरोहर को सहेजने के सार्थक प्रयास कर रहे हैं।
52 वनोपज की समर्थन मूल्य पर खरीदी
मुख्यमंत्री ने ग्राम पंचायत चेरपाल की सुश्री यशोदा पुजारी, सुकमा जिले के पोलमपल्ली निवासी श्री अजय बघेल और कबीरधाम जिले के श्री दयाल सिंह बैगा के प्रश्नों का उत्तर देते हुए कि छत्तीसगढ़ राज्य गठन से हमें लगा था कि आदिवासी अंचलों और शेष क्षेत्रों के बीच विकास का अंतर दूर कर लिया जाएगा, लेकिन विगत 15 वर्षों में यह अंतर और भी अधिक बढ़ गया है। इसलिए हमने सबसे पहले विश्वास जीतने की बात की। इसके लिए निरस्त वन अधिकार पट्टों के दावों की समीक्षा, जेल में बंद आदिवासियों के प्रकरणों की समीक्षा कर अपराध मुक्ति, बड़े उद्योग समूह के कब्जे से आदिवासियों की जमीन वापस लौटाने का निर्णय, तेंदूपत्ता संग्रहण दर 2500 रुपए से बढ़ाकर 4 हजार रुपए प्रति मानक बोरा करने का निर्णय लिया गया। इससे आदिवासी अंचलों में सरकार और व्यवस्था के प्रति विश्वास का नया दौर शुरू हुआ है। हमने 7 से बढ़ाकर 52 वनोपज को समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था की, पुरानी दरों को भी बदला जिसके कारण वनोपज संग्रह से ही 500 करोड़ रुपए से अधिक अतिरिक्त सालाना आमदनी का रास्ता बन गया। अनुसूचित क्षेत्रों में कोदो, कुटकी, रागी जैसी फसलों को भी समर्थन मूल्य पर खरीदने के इंतजाम किए गए हैं तथा लाख को कृषि का दर्जा दिया गया है। वन अधिकार मान्यता पत्रधारी परिवारों के खेतों में उपजे धान को भी समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था की गई है। देवगुड़ी और घोटुल स्थलों का विकास कर आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा है।
नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में 1637 करोड़ रूपए की लागत से सड़कें
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 16 हजार करोड़ रुपए की लागत से सड़कों का निर्माण किया जा रहा है, जिससे हमारे आदिवासी अंचलों को सैकड़ों ऐसी सड़कें मिलेंगी, जिनका इंतजार वे दशकों से कर रहे थे। नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में संपर्क बहाल करने के लिए हम 1 हजार 637 करोड़ रुपए की लागत से सड़कें बना रहे हैं। आदिवासी अंचलों में बिजली की सुविधा देने के लिए अति उच्च दाब के चार वृहद उपकेन्द्र का निर्माण पूरा कर लिया गया है। नारायणपुर, जगदलपुर, बीजापुर और सूरजपुर जिले के उदयपुर में ये उपकेन्द्र प्रारंभ हो जाने से बिजली आपूर्ति सुचारू हो गई है। इसके अलावा विगत ढाई वर्षों में आदिवासी अंचलों में सौर ऊर्जा से संचालित 74 हजार सिंचाई पम्प, 44 हजार से अधिक घरों में रोशनी और लगभग 4 हजार सोलर पेयजल पम्पों की स्थापना की गई है, जो अपने आप में कीर्तिमान है।
छत्तीसगढ़ को लघु वनोपज की खरीदी के लिए 11 राष्ट्रीय पुरस्कार
कबीरधाम जिले के श्री किशन लाल द्वारा वनोपजों के प्रसंस्करण को आगे बढ़ाने को लेकर पूछे गए प्रश्न के जवाब में मुख्यमंत्री श्री बघेल ने बताया कि बस्तर जिले के लोहंडीगुड़ा में एक बड़े उद्योग की स्थापना के नाम से ली गई आदिवासियों की जमीन वापसी की घोषणा के साथ आदिवासियों को न्याय दिलाने का सिलसिला शुरू हो गया है। 10 गांवों के 1 हजार 707 किसानों को 4 हजार 200 एकड़ जमीन के दस्तावेज प्रदान किए जा चुके हैं। कोण्डागांव में मक्का प्रोसेसिंग इकाई का शिलान्यास किया गया है। प्रदेश में 146 विकासखण्डों में से 110 विकासखण्डों में फूडपार्क स्थापित करने हेतु भूमि का चिन्हांकन तथा अनेक स्थानों पर भूमि हस्तांतरण भी किया जा चुका है। छत्तीसगढ़ में 139 वनधन विकास केन्द्र स्थापित हो चुके हैं, जिनमें से 50 केन्द्रों में वनोपजों का प्रसंस्करण भी हो रहा है। इस काम में लगभग 18 हजार लोगों को रोजगार मिला है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा ‘छत्तीसगढ़ हर्बल ब्रांड’ के नाम से 121 उत्पादों की मार्केटिंग की जा रही है। भारत सरकार की संस्था ट्रायफेड द्वारा 6 अगस्त को छत्तीसगढ़ को लघु वनोपज की खरीदी तथा इससे संबंधित अन्य व्यवस्थाओं के लिए 11 राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए गए हैं। यह हमारे आदिवासी अंचलों के साथ पूरे प्रदेश के लिए भी गौरव का विषय है। दुर्ग जिले में 78 करोड़ रुपए से अधिक लागत पर एक वृहद प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित की जा रही है। राज्य में वनोपज आधारित उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा देने के लिए वनांचल उद्योग पैकेज लागू किया गया है। इसके अलावा दंतेवाड़ा में रेडिमेड कपड़ों का ‘ब्रांड डेनेक्स’ एक सफल प्रयोग साबित हुआ है। नवचेतना बेकरी भी काफी सफल हो रही है। ऐसे कामों से सैकड़ों स्थानीय युवाओं को रोजगार मिला है।
‘मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना’ से बढ़ेंगे ग्रामीणों के आय के साधन
‘मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना’ के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना को वे भविष्य में स्थानीय लोगों, आदिवासी और वन आश्रित परिवारों की आय के बहुत बड़े साधन के रूप में देखते हैं। खुद लगाए वृक्षों से इमारती लकड़ी की कटाई और फलों को बेचकर लोगों की आय बड़े पैमाने पर बढ़ेगी। निजी लोगों को ही नहीं, बल्कि पंचायतों और वन प्रबंधन समितियों को भी पेड़ लगाने और काटने के अधिकार दिए गए हैं।
हाट-बाजारों तक पहुंची स्वास्थ्य सुविधा, एनीमिया और कुपोषण में आई कमी
लोकवाणी के माध्यम से आदिवासी क्षेत्र की मूलभूत आवश्यकताएं अच्छी शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य, रोजगार और स्कूल में शिक्षकों की कमी के प्रश्न पर जवाब देते हुए श्री बघेल ने कहा कि निश्चित तौर पर आदिवासी अंचलों में स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार सबसे बड़ी जरूरत है। इस दिशा में प्राथमिकता से काम शुरू किया गया है। स्वास्थ्य सुविधाओं की जरूरतों को डीएमएफ मद से पूरी करने के लिए आवश्यक नियम बनाए गए हैं। सीएसआर और अन्य मदों की राशि भी इन्हीं प्राथमिकताओं के लिए खर्च करने की रणनीति अपनाई है। इसके कारण बीजापुर, दंतेवाड़ा और जगदलपुर में अब उच्च स्तर की चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हो गई हैं। सुकमा जिले में भी बड़े स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य के सुदूर अंचल में ग्रामीणों को सहजता से स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने हमने मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना शुरू की है। इससे अब आदिवासी भाई-बहनों का उपचार हाट-बाजारों में होने लगा है। इसका लाभ 11 लाख से अधिक लोगों को मिल चुका है।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में पांच वर्ष से कम उम्र के 37.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार थे और 15 से 49 वर्ष तक की 47 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया अर्थात खून की कमी से ग्रस्त थीं। आदिवासी जिलों में हालत और भी खराब थी। इसे देखते हुए हमने मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान शुरू किया, जिसमें डीएमएफ और जनभागीदारी के योगदान को बढ़ावा दिया। योजना के माध्यम से बच्चों को दूध, अण्डा, स्थानीय प्रचलन के अनुसार पौष्टिक आहार दिया, जिसके कारण कुपोषण और एनीमिया की दर में तेजी से कमी आ रही है।
मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान की यूएनडीपी और नीति आयोग ने की सराहना
मुख्यमंत्री ने बताया कि ‘मलेरिया मुक्त बस्तर’ अभियान शुरू होने से एक साल में बस्तर संभाग में मलेरिया के प्रकरण 45 प्रतिशत और सरगुजा संभाग में 60 प्रतिशत कम हो जाना सुखद है। यूएनडीपी और नीति आयोग ने मलेरियामुक्त बस्तर अभियान की तारीफ करते हुए बीजापुर जिले में मलेरिया में 71 प्रतिशत तथा दंतेवाड़ा में 54 प्रतिशत तक कमी करने की सफलता को बेस्ट प्रेक्टिस के रूप में सराहा है और अन्य आकांक्षी जिलों को भी इस अभियान को अपनाने की सलाह दी है।
प्रदेश में 14 हजार 580 शिक्षक-शिक्षिकाओं की नियुक्ति
श्री बघेल ने बताया कि शिक्षा के लिए हमने संकटग्रस्त क्षेत्रों पर ज्यादा फोकस किया। जिसके कारण सुकमा जिले के जगरगुंडा में 13 वर्षों से बंद स्कूल बीते साल खुल चुका है। कुन्ना में स्कूल भवन का पुनर्निर्माण तथा दंतेवाड़ा जिले के मासापारा-भांसी में भी 6 सालों से बंद स्कूल अब खुल गया है। कोरोना काल में पढ़ाई तुंहर पारा अभियान के तहत लाखों बच्चों को उनके गांव-घर-मोहल्लों में खुले स्थानों पर भी पढ़ाया गया। प्रारंभिक कक्षाओं में बच्चों को मातृभाषा में समझाना अधिक आसान होता है इसलिए हमने 20 स्थानीय बोली-भाषाओं में पुस्तकें छपवाईं, जिसका लाभ आदिवासी अंचलों में मिला। बीस साल बाद प्रदेश में 14 हजार 580 शिक्षक-शिक्षिकाओं की नियुक्ति आदेश दे दिए गए हैं। इससे आदिवासी अंचलों में भी शिक्षकों की कमी स्थायी रूप से दूर हो जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कोरोना की ‘तीसरी लहर’ को लेकर सभी से बहुत सावधान रहने की अपील की। उन्होंने कहा कि पर्व-त्यौहार मनाते समय फिजिकल डेस्टिंसिंग का पालन करें, मास्क का उपयोग करें, हाथ को साबुन-पानी से धोते रहें तथा टीका जरूर लगवाएं। खुद को बचाए रखना ही सबसे जरूरी उपाय है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने राम-वन-गमन पथ पर बात करते हुए कहा कि यह बहुत गर्व का विषय है कि भगवान राम का अवतार जिस काम के लिए हुआ था, उन प्रसंगों की रचना छत्तीसगढ़ में हुई। वास्तव में भगवान राम छत्तीसगढ़ में कौशल्या के राम और ‘वनवासी राम’ के रूप में प्रकट होते हैं। यह अद्भुत संयोग है कि भगवान राम का छत्तीसगढ़ में प्रवेश, संचरण और प्रस्थान सघन आदिवासी अंचल में ही हुआ। कोरिया जिले के सीतामढ़ी हरचौका में प्रवेश और सुकमा जिले के अंतिम स्थान कोंटा तक उनकी पदयात्रा। एक बार फिर राम के रास्ते पर चलते हुए अगर हम 2 हजार 260 किलोमीटर सड़कों का निर्माण करते हैं तो इससे पूरे रास्ते में विकास के दीये जल उठेंगे। आस्था के साथ जुड़ी सड़कें, सुविधाओं के साथ आजीविका के नए-नए साधन भी आएंगे। यह समरसता और सौहार्द्र के साथ वनवासी राम के प्रति आस्था का परिपथ बनेगा, जो नदियों, नालों, झरनों, जलप्रपातों, खूबसूरत जंगलों से गुजरते हुए सैकड़ों पर्यटन स्थलों का उद्धार करेगा।
समाचार क्रमांक-584/गुलाब ड़डसेना/ढाले फोटो/01-03