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तीसरी लहर का सब कुछ पता है, लेकिन वैक्सीनेशन का अतापता नही- लालू गबेल

जब कोरोना की तीसरी लहर आने वाली है तो इतना ढिलाई और लापरवाही क्यूँ।

छत्तीसगढ़ जांजगीर चाम्पा मालखरौदा-
सामाजिक कार्यकर्ता लालू गबेल ने एकबार फिर कोरोना और कोरोना के उपाय को लेकर जनता के जिम्मेदारों पर बड़ा सवाल खड़ा किया है।
लालू गबेल ने कहा कि कोरोना गया नही, वैक्सीनेशन हुआ नही, ऊपर से तीसरी लहर आने वाली है बावजूद उसके देश प्रदेश के जिम्मेदारों को होश नही और कोरोना को बढ़ाने घोर लापरवाही बरती जा रही। जहाँ बच्चों के स्कूल कॉलेज को छोड़ कर सारे सिस्टम कोरोना के पहले जैसा सामान्य चल रहें है। हाट बाजार तमाम मार्केट, शादी बिहाव, पार्टी और बिना मास्क के भीड़भाड़, कार गाड़ी, बाइक स्कुटी सब चल रही और आगे तीसरी लहर आने वाली है। लेकिन तीसरी लहर के पहले सारा वैक्सीनेशन हो जाये और तीसरी लहर न आये ऐसा कोई क्यूँ नही सोच रहे, कोरोना गया नही सबको पता है कोरोना का अभी तक कोई दवाई नही ये भी सबको पता है, कोरोना से बचने वैक्सीन ही एक मात्र उपाय है ये भी सब जान रहे, तो शासन प्रशासन और जनता के तमाम जिम्मेदार लोग इस ओर ध्यान क्यूँ नही दे रहे। ऐसा क्या कारण है कि कोरोना से जीवन बचाने वाली वैक्सीन समय और नियम से लोगो को नही लग पा रही। आखिर क्यों आम जनता के जीवन के साथ ऐसा खेल खेला जा रहा, चाहे पक्ष हो या विपक्ष हो वैक्सीनेशन पर कोई गंभीर क्यूँ नही है।
आये दिन वैक्सीन नही तो कभी को-वैक्सीन नही तो कभी कोविशिल्ड नही और नही तो 18 प्लस नही तो 45 प्लस नही है। यही हाल है वैक्सीनेशन कार्य का जिसमे लोगो को न तो 28 दिन बाद न 84 दिन बाद भी नियमित वैक्सीन लग रहे हो। लेकिन इस पर आजतक कोई नेता लोग,पार्टी,संगठन के लोग आंदोलन और सड़क की लड़ाई पर क्यूँ नही उतर रहे।
कोरोना की तीसरी लहर भी क्यों नही आएगी इतनी बड़ी लापरवाही में, जहाँ कोरोना गया ही नही और मात्र स्कूल कॉलेज को छोड़ कर सब सामान्य चल रहे हो और ऊपर से इस बरसात और सीलन, सर्दी जुकाम के मौसम में अनलॉक कर सबको अपना अपना तमाम आयोजन करने निपटाने का मौका दिया जा रहा हो तो।
बच्चों को बरसात के मौसम में सर्दी जुकाम आम बात है लेकिन इस सीलन नमी के मौसम में दुनियाभर के आयोजनों में उल्टा सीधा खाना पीना बहुत खतरनाक है और बच्चे तो अभी उत्सवों में ऐसे मस्त नजर आ रहे है जैसे वर्षो बाद आजाद हुए हो और वही तीसरी लहर का कारण भी बनेगा।
कितनी बड़ी विडंबना है जहाँ कोरोना की तीसरी लहर का सब पता है लेकिन उपाय किसी के पास नही।
वैक्सीनेशन पर जागरूकता लाने एक तरफ शिक्षकों को घर घर भेज कर बात सुनवाया जा रहा तो वही दूसरी तरफ नियमित वैक्सीनेशन की कोई व्यवस्था नही। सच बोले तो जनजीवन के लिए इससे बड़ी दुर्भाग्य और कुछ नही है।

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