छत्तीसगढ़

हाईकोर्ट ने कहा- यह पूरी तरह गलत भी नहीं, मुख्य सचिव से मांगा जवाब

सबका संदेश न्यूज़ छत्तीसगढ़ बिलासपुर- बिलासपुर.प्रदेशभर में सड़कों के चौड़ीकरण सहित अन्य विकास कार्यों के लिए बड़े पैमाने पर जमीन अधिग्रहण किया जा रहा है, लेकिन प्रभावित लोगों को अपनी जमीन के एवज में मुआवजे के लिए भू अर्जन अधिकारियों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। एक मामले में करीब 6 माह पहले हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश के बाद भी मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया है।

जस्टिस प्रशांत मिश्रा की बेंच ने सख्त टिप्पणी करते हुए मुख्य सचिव से जवाब मांगा है। साथ ही खुद ही परीक्षण कर जरूरी होने पर ईओडब्ल्यू को प्रकरण सौंपने के निर्देश दिए हैं। मुआवजे के लिए 10 फीसदी कमीशन मांगने के आरोप पर हाईकोर्ट ने कहा है कि जिस पैमाने पर मामले प्रस्तुत हो रहे हैं, यह पूरी तरह गलत भी नहीं लगते।

सड़क चौड़ीकरण, नए फोरलेन के निर्माण सहित अन्य विकास कार्यों के लिए आम लोगों की निजी जमीन का अधिग्रहण किया जाता है। जमीन के एवज में भू अर्जन अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक मुआवजे का भुगतान किया जाता है, लेकिन लोगों को इसके लिए संबंधित भू अर्जन अधिकारियों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। पिछले कुछ सालों में भू अर्जन के बाद उचित और समय पर मुआवजा नहीं मिलने को लेकर हाईकोर्ट में रिट पिटीशन सिविल के प्रकरणों में खासा इजाफा हुआ है।

अकलतरा के तरौद में रहने वाले नारायण प्रसाद की जमीन का अगस्त 2016 में अधिग्रहण हुआ था, उन्हें भू अर्जन अधिकारी ने नोटिस जारी कर कहा था कि जमीन के एवज में मुआवजा निर्धारित किया गया है। वे प्रक्रिया पूरी कर अपनी मुआवजा राशि प्राप्त कर लें। नारायण प्रसाद ने कार्यालय में संपर्क किया, लेकिन उन्हें मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया। इस पर उन्होंने एडवोकेट सुशोभित सिंह के जरिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई।

हाईकोर्ट ने 9 जनवरी 2019 को दिए गए आदेश में राशि का भुगतान नहीं होने की स्थिति में अवार्ड पास होने की तारीख यानी 4 अगस्त 2016 से 18 फीसदी वार्षिक ब्याज के साथ राशि का भुगतान करने के निर्देश दिए थे। करीब 6 माह बाद भी आदेश का पालन नहीं होने पर अवमानना याचिका लगाई गई है।

इस पर गुरुवार को जस्टिस प्रशांत मिश्रा की बेंच मेंं सुनवाई हुई, इस दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि मुआवजे का भुगतान करने के लिए भू अर्जन अधिकारी 10 फीसदी कमीशन की मांग करते हैं। प्रदेशभर में अपनी जमीन देने वाले लोग इस अवैध मांग की वजह से परेशानियों का सामना कर रहे हैं।

हाईकोर्ट ने कहा- जिस तरह से मुकदमे बढ़े, आरोप बेबुनियाद भी नहीं
हाईकोर्ट ने कहा कि मुआवजे को लेकर बड़े पैमाने पर प्रस्तुत किए जा रहे मामलों को देखते हुए यह आरोप पूरी तरह गलत भी नहीं लगते। हाईकोर्ट ने आदेश की कॉपी महाधिवक्ता कार्यालय के जरिए मुख्य सचिव को भेजने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव को इस मामले पर विस्तृत जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। साथ ही उन्हें खुद मामले का परीक्षण करते हुए जरूरी होने पर ईओडब्ल्यू को प्रकरण सौंपने के भी निर्देश दिए गए हैं। हाईकोर्ट ने 28 जून को अगली सुनवाई निर्धारित करते हुए उम्मीद जताई है कि महाधिवक्ता खुद उपस्थित होंगे।

मुआवजा रोकने पर क्लर्क को सस्पेंड करने दिए थे निर्देश

बिलासपुर- रायपुर फोरलेन को लेकर प्रस्तुत जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह जानकारी सामने आई थी कि देवरी बाईपास के लिए जमीन अधिग्रहण का मुआवजा रायपुर एसडीएम के पीए ने रोका हुआ है। हाईकोर्ट ने रायपुर- बलौदा बाजार के कलेक्टर- एसडीएम सहित संबंधित पीए मिश्रा को भी तलब किया था। हाईकोर्ट ने मुआवजा रोकने को गंभीर मानते हुए 14 सालों से पदस्थ एसडीएम के पीए को 24 घंटे के अंदर सस्पेंड करने के निर्देश दिए थे।

 

 

 

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