कोरोना मरीजों के परिजनों ने उठाई पारदर्शिता की मांग, Family members of Corona patients raised transparency

अस्पतालों में सीसीटीवी और उसका डिस्प्ले बाहर लगाया जाए
दुर्ग – कोरोना में बढ़ते संक्रमण के बीच दुर्ग जिले के बहुत से अस्पतालों में कोरोना के मरीजों का इलाज जारी है, जहा बड़ी संख्या में हो रही मौतों को लेकर आम जनता और मरीज के परिजन आतंकित है, तो वही मरीज के परिजनों से अस्पताल प्रबंधन पैसे वसूलने से बाज़ नहीं आ रहे है, इस लॉकडाउन में जहा दुर्ग जिला प्रशासन ने बैंकों को भी बंद कर रखा है वही मरीज के परिजनों के ऊपर नगद पैसे जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है, जिससे परिजनों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है ! वही थोड़ी थोड़ी देर में मरीज की गंभीर स्थिति बताकर दवा और इंजेक्शन की मांग की जाती है जिसको लेकर भी परिजनों में भय का माहौल व्याप्त है, और डरे सहमे परिजन आशंकित होकर ना चाहते हुए भी किसी न किसी तरह उनकी डिमांड पूरी करने के मजबूर है !
वही अस्पतालों की अव्यवस्थाओं को लेकर जिस तरह से सोसल मीडिया पर विडियो और फोटो वाइरल हो रहे है, वो अपने आप में जिला प्रशासन और जिला स्वास्थ्य विभाग पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे है, अस्पतालों में फैली अव्यवस्थाओं को छुपाने कई अस्पतालों ने मरीजों के पास मोबाइल रखना भी प्रतिबंधित कर दिया है, अस्पताल के अन्दर मरीज से किस तरह का व्यव्हार, देख रेख एवं इलाज किया जा रहा है ये जानने को लेकर परिजनों में अस्पतालों और उनके प्रबंधनों के खिलाफ आक्रोश देखने को मिल रहा है और ऐसे में परिजन शासन प्रशासन की ओर टकटकी लगाए देख रहे है कि कब जिला शासन प्रशासन की नींद खुलेगी !
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इलाज़ के साथ साथ मरीज को मोरल सपोर्ट और देखरेख की बहुत जयादा जरुरत होती है और वो देखरेख मेडिकल स्टाफ नहीं कर पाता है जिसके चलते अस्पताल में अव्यवस्था के बीच मरीज की स्थिति सुधरने की बजाये बिगड़ने लगती है ! और इसलिए जिस तरह मेडिकल स्टाफ और डॉक्टर को पूरी सुरक्षा के साथ अन्दर जाने की अनुमति दी जाती है वैसी ही सुरक्षा के साथ मरीज के एक परिजन जिनको किसी भी प्रकार से कोई बिमारी ना हो उसको मरीज के साथ रहने एवं देखभाल करने की अनुमति दी जानी चाहिए ! जिससे मरीज की सही स्थिति डॉक्टर को मिलती रहे, क्योकि भले ही अस्पताल डॉक्टर के उपलब्ध होने का दावा करते है लेकिन वास्तविकता तो यह है कि डॉक्टर की संख्या सिमित है और एक डॉक्टर कई अस्पतालों में अपनी सेवा देते देखे जा रहे है और कई अस्पतालों में एक ही डॉक्टर है और वो भी पुरे दिन भर में एक राउंड ही मरीजों को देख रहे है, उनके जाने के बाद मरीज अस्पताल में भगवान् भरोसे रह जाते है, और मरीज के साथ परिजन के रहने से वो सही से देखरेख तो मरीज की करेगा ही साथ ही मरीज और डॉक्टर के बीच शेतु की तरह काम करेगा और इलाज के आभाव में हो रही मौतों की रफ़्तार कम हो सकेगी !
कोविड अस्पतालों की मोनिटरिंग के लिए जरुर जिला प्रशासन ने अधिकारियों की ड्यूटी लगा रखी है, लेकिन उन अधिकारियों को मेडिकल फील्ड अनुभव नहीं है, माना की कोरोना का संक्रमण तेज़ी से फैलता है लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि होम आइसोलेशन में 99 फीसदी लोग रिकवर हो रहे है, उसका एक बड़ा कारण यह भी हो सकता है की उसको समय से समय से दवा, पौष्टिक भोजन आहार, स्वच्छ वातावरण और परिवार का सहयोग मिलता रहता है, जिससे की उसको कोरोना जैसी बिमारी से लड़ने का हौसला मिलता है, और वह मानसिक रूप से मजबूत होकर कोरोना से जीत जाता है !
परिजनों की माने तो कोरोना ने उनको अपना शिकार नहीं बनाया है बल्कि हमारे बीच व्याप्त भ्रष्ट सिस्टम ने उनको अपना निशाना बनाया है, वही आम जन की माने तो कोरोना के नाम से जहा भ्रष्ट सिस्टम ने कालाबाजारी को बढ़ावा दिया है, तो वही भ्रष्ट सिस्टम ने गरीब दिहाड़ी मजदूरों को निचोड़कर मौत के मुहाने पर लाकर छोड़ दिया है ! लगातार बढ़ते लॉकडाउन में अब जिले के जनप्रतिनिधि भी भूमिगत हो गए है कम से कम उनको तो आम जन को हौसला देने सामने आना चाहिए था, वो तो हमारे दुर्ग जिला सांसद विजय बघेल का भला हो कि कम से कम उन्होंने कलेक्टर से बात कर बढ़ने वाले लॉकडाउन में कुछ तो रियायत दिलवाई है, नहीं तो हमारे दुर्ग विधायक तो हमेशा घर बैठकर अख़बारों की सुर्ख़ियों को पढ़कर आतंक के घेरे में समायें रहते है ! और समाचार के कतरनों को सोसल मीडिया में वाइरल कर दुर्ग की जनता के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का प्रयास करते रहते है, और तो और इस कोरोना काल में अपनी जान को जोखिम में डालकर कार्य करने वाले अधिकारीयों की हौसला अफजाई करना छोड़ उलटे उनकी शिकायत करने से भी बाज़ नहीं आते है !
टीकाकरण केन्द्रों से हो सकता है कोरोना का बड़ा विस्फोट
टीकाकरण केन्द्रों से वाइरल होती तस्वीरों में साफ़ दिखाई देता है की स्वास्थ्य कर्मचारी लोगो को बिना दस्ताने पहने टीका लगाने का कार्य कर रहे है, जो कभी भी कोरोना के बड़े विस्फोट का कारण हो सकता है, और सोचने वाली बात तो यह भी है कि एक स्वास्थ्य कर्मी टीका लगाते समय अगर दस्ताने पहनता भी है तो वो कोरोना के संक्रमण से अपने आपको जरुर बचा पाने में कामयाब हो सकता है लेकिन अगर दस्ताने पहने रहने के बावजूद वो कोरोना संक्रमण व्यक्ति के संपर्क में आता है तो उसके बाद संक्रमित हुए वही दस्ताने को पहनकर वो टीका लगाते समय और भी कितने लोगो को संक्रमित करेगा, जो एक विचार करने का बड़ा विषय हो सकता है क्योकि इससे बड़ा संक्रमण फैलने की सम्भावना से इनकार भी नहीं किया जा सकता !
रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का शिकार हो रहे है मरीज के परिजन
कोरोना के मरीजों की जीवनदायनी इंजेक्शन रेमडेसिविर की कालाबाजारी इन दिनों जोरो पर है, सूत्रों की माने तो ये पूरा खेल निजी अस्पतालों की मिलीभगत में खेला जा रहा है, कोरोना मरीज के परिजनों से इंजेक्शन रेमडेसिविर की डिमांड की जाती है जिसको लेकर परिजन भटकते हुए कालाबाजारी का शिकार होते है, और 4800 रूपये प्रिंट के इस इंजेक्शन को 12 से 13 हज़ार रूपये में खरीदकर अस्पताल तक पहुचाते है, अब ये बड़े जांच का विषय हो सकता है कि वो इंजेक्शन उनके मरीज को लगाया भी जा रहा है या नहीं, या फिर वो इंजेक्शन फिर से किसी को कालाबाजारी का शिकार बनाने दलालो के हाथ सौपा जा रहा है !
परिजनों को राहत पहुचाने जिला प्रशासन को करना होगा विचार
निजी अस्पतालों में भर्ती कोरोना संक्रमित मरीजों के परिजन कई तरह की आशंकाओं को लेकर चिंतित है, तो जिला प्रशासन को सोसल मीडिया पर वाइरल रही आम जनता की मांग पर विचार करते हुए, सभी अस्पतालों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की व्यवस्था कर अस्पताल के बाहर उसको डिस्प्ले करे और सीसीटीवी कैमरे का लिंक परिजनों के मोबाइल पर दिया जाए, जिससे कम से कम जिला प्रशासन, अस्पताल और परिजनों के बीच एक पारदर्शिता तो बनी रहेगी ! इसके साथ ही साथ देखरेख और इलाज में हो रही लापरवाही पर भी अंकुश लगेगा ! और कही न कही बढ़ते मौतों के आंकड़ों में ब्रेक लगने की भी पूरी सम्भावना बनेगी !
कोरोना अस्पताल की व्यवस्थाओं को लेकर जिला प्रशासन को रोजाना प्रेस विज्ञप्ति जारी कर वीडियो और फोटो पत्रकारों को उपलब्ध कराया जाना चाहिए, जिससे आमजन को भी अस्पताल और अपने मरीज को लेकर संतुष्टि बनेगी और भयावहत: के माहौल मुक्ति भी मिलेगी !