छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

स्मार्ट वर्क और नवाचार से बाल संप्रेक्षण गृह का हुआ जबर्दस्त कायाकल्प, Smart work and innovation led to tremendous rejuvenation of child care home

दुर्ग / 17 मार्च 2021/तस्वीर बदलने की चाह और स्मार्ट वर्क से किस तरह असंभव से लगने वाले बदलाव भी हासिल किये जा सकते हैं। इसकी झलक मिलती है दुर्ग जिले के बाल संप्रेक्षण गृह और प्लेस आफ सेफ्टी में। दो बरस पहले यहाँ से अनुशासनहीनता की खबरें आती थीं, अब परिसर का माहौल बिल्कुल बदल गया है। अपने हुनर को निखारने का माहौल हर तरफ नजर आता है। बच्चों के हाथों में गाँधी जी की पुस्तक नजर आ रही है। बच्चों खूबसूरत पेंटिंग्स से पूरा परिसर सजा हुआ है। कहीं वालीबाल खेलते बच्चे नजर आ रहे हैं और कहीं इत्मीनान से कैरम खेलते। कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे के मार्गदर्शन में महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने विभागीय मदद एवं प्रशासनिक मदद से ऐसे कदम उठाये जिनसे संस्था में सीखने का माहौल एवं अच्छे नागरिक के रूप में विकसित होने में मदद मिली।
उल्लेखनीय है कि कलेक्टर ने यहाँ बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर करने की दिशा में निर्देश दिये थे। साथ ही कैंपस की सुरक्षा बढ़ाने एवं बच्चों के मनोरंजन एवं टीचिंग के पूरे इंतजाम करने के निर्देश दिये थे। इनका सुखद नतीजा सामने आया है और कैंपस बहुत सुंदर और सुविधाओं से परिपूर्ण हो गया है। यहाँ के बेहतर माहौल  में बच्चों काफी कुछ रचनात्मक सीखेंगे जो उनके सुखद भविष्य की नींव बनेगा।
छोटे-छोटे पर प्रभावी बदलावों से निखरी तस्वीर- डीएमएफ की मदद से पूरे कैंपस में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इन 37 कैमरों के माध्यम से कैंपस की गतिविधि पर नजर रखी जाती है। इससे इस बात की आशंका निर्मूल हो जाती है कि बाहर से किसी तरह की गलत सामग्री बच्चों तक पहुँचे। यह कैमरे दीवार के भीतर लगाये गए हैं ताकि इन्हें नुकसान नहीं पहुँचाया जा सके। लापरवाह कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई और व्यवस्था की निरंतर मानिटरिंग की गई। भरा हुआ रचनात्मक चीजों में लगा हुआ दिमाग- जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री विपिन जैन ने बताया कि बच्चों को रचनात्मक गतिविधियों में लगाया गया। हिंदी में कहावत होती है खाली दिमाग शैतान का घर। यदि बच्चों को रचनात्मक गतिविधियों में लगा दिया जाए तो वे अच्छी बातें सीखेंगे भी और उनका दिमाग इधर-उधर नहीं भटकेगा। अच्छी-अच्छी किताबें यहाँ लाइब्रेरी के रूप में रखी गई हैं। इसमें गाँधी-नेहरू एवं अन्य महापुरुषों का जीवन वृतांत है। कुछ मनोरंजक कहानियाँ हैं। ऐसी कहानियाँ बच्चों का मनोरंजन भी करती हैं और उन्हें नैतिक रूप से समृद्ध करती हैं। टीवी की व्यवस्था कैंपस में है। इंडोर गेम में कैरम, चेस, लूडो आदि हैं तथा वालीबाल, बैडमिंटन आदि का कोर्ट भी हैं। इस तरह इंडोर और आउटडोर दोनों तरह के गेम्स में बच्चे मस्त रहते हैं।
छोटी-छोटी प्रतियोगिताओं के माध्यम से रचनात्मकता को बढ़ावा- त्योहारों में या अन्य आयोजनों में बच्चों की प्रतियोगिताएं होती हैं। अभी महाशिवरात्रि के अवसर पर शिवलिंग बनाओ प्रतियोगिता हुई और बच्चों ने बहुत सुंदर शिवलिंग बनाये। उनकी खूबसूरत तस्वीरों से पूरा परिसर अटा पड़ा है। कुछ बच्चे तो बहुत ही अच्छे पेंटर हैं। एक बच्चे ने काशी में शिव जी के प्रवास पर तस्वीर बनाई है जिसमें शिव जी अन्नपूर्णा के द्वार भिक्षा माँगने याचक के रूप में आते हैं। अभी यूनिसेफ की टीम भी यहाँ आई थी और उन्होंने भी इसकी विशेष रूप से प्रशंसा की। पढ़ाई की विशेष व्यवस्था और नैतिक शिक्षा का पाठ भी- हर दिन यहाँ विशेष रूप से पढ़ाई हो रही है। इसमें गणित, विज्ञान और नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाया जाता है। कक्षाएं सुबह दस बजे से चार बजे के बीच होती हैं। जिन बच्चों को अन्य हुनर सीखना होता है उनके लिए भी व्यवस्था है। प्लेस आफ सेफ्टी के एक बच्चे ने यहाँ रहकर इतनी अच्छी सिलाई सीख ली कि अपने साथियों के नाप के कपड़े तैयार कर लिये। इनकी फिटिंग और इनमें हाथ की सफाई स्पष्ट तौर पर निखर कर आई है। खाने-नाश्ते की मुकम्मल व्यवस्था- बच्चों को अच्छा खाना मिले। उन्हें पूरी तरह से सुविधा मिले। इसकी विशेष व्यवस्था की गई है। बच्चों को दो टाइम खाना और दो टाइम नाश्ता दिया जाता है। इसके अलावा शुद्ध पेयजल, कूलर आदि सारी व्यवस्था की गई है। बच्चों के रिक्रिएशन के लिए अलग से भवन भी बन रहा है। फिलहाल प्लेस आफ सेफ्टी और संप्रेक्षण गृह दोनों की नई बिल्डिंग भी तैयार हो रही है।

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