छत्तीसगढ़

उसने पाले 5 बेटे, वे 5 मिलकर नहीं पाल पा रहे एक मां, माँ को स्टेशन पर छोड़कर भागा बेटा

छत्तीसगढ़ बिलासपुर  सबका संदेस न्यूज़- बड़ा बेटा घर पर नहीं था तब महिला को छोड़ा स्टेशन में
बिलासपुर. बेटे-बेटियों को मां से मिलने वाले प्यार-दुलार पर ये लाइनें लिखी हैं देश के मशहूर शायर मुनव्वर राणा ने। राणा की चर्चित किताब में मां के किरदार को पूजा गया है लेकिन एक मां को उसके पांच बेटों ने ही जिलालत की जिंदगी दे दी। फिर मां कहती है कि मेरे बेटों को कुछ मत कहना। छोड़ दो। अब पढि़ए इस मां की पूरी कहानी। यह मां पिछले तीन दिनों से बिलासपुर रेलवे स्टेशन पर भूखी-प्यासी बैठी थी। पिटाई की वजह से पेट, कूल्हे कई जगह दर्द हो रहा था। कोई ऐसा नहीं मिला,जिससे दर्द बयां कर सके लेकिन शुक्रवार को जब उसे शहर के ऐसे लडक़े दिखे जो भूखों को खाना बांट रहे थे तो इस मां ने आपबीती बतायी। इस मां ने बताया कि उसके तीन बेटे रेलवे स्टेशन पर यह कह कर छोड़ गए कि खाना लेने जा रहे हैं लेकिन तीन दिन हो गए अब तक नहीं लौटे हैं।
कौन है ये मां और कैसे पहुंची बिलासपुर
मोहिद्दीन बीबी उम्र 72 साल पश्चिम बंगाल और ओडिसा के बार्डर के पास स्थित सिंगारपुर की रहने वाली है। यह सिंगारपुर पश्चिम बंगाल में आता है। मोहिद्दीन बीबी के पांच बेटे हैं। तीन दिन पहले उसके तीन बेटे सफी इब्राहिम, नुराइन इब्राहिम व जहांगीर इब्राहिम रेलवे स्टेशन लेकर आए। कुछ देर रुकने के बाद खाने-पीने का सामान लेकर आने की बात कहकर चले गए, लेकिन तीन दिन गुजर जाने के बाद भी उसके बेटे वापस नहीं आए। भूख-प्यास से बेटों की राह देखती बुजुर्ग महिला रोने लगी। राह चलते लोगों ने जब इसका कारण पूछा तो उसने अपनी आपबीती सुनाई।हिंदी आती नहीं, वृद्धाश्रम बना ठिकाना
चूंकि महिला बंगाली भाषा में बात कर रही थी, इससे लोगों को कुछ समझ में नहीं आ रहा था। दावत-ए-आम के संस्थापक शेख अब्दुल मन्नान ने जब महिला से बातचीत किया तो उन्हें इस बात की जानकारी हुई। उन्होंने तुरंत अपने सदस्यों के साथ महिला को मसानगंज स्थित वृद्धा आश्रम में शिफ्ट किया। 
बेटे करते थे मारपीट
महिला ने बताया कि कुछ साल पहले उसके पति की मृत्यु हो गई थी, तब से वह अपने पांचों बेटों के साथ रहती है। उसके बेटे घर छोडकऱ चले जाने की बात कहते हुए आए दिन मारपीट करते थे। स्टेशन में छोडऩे से पहले रस्सी से बांधकर उसकी जमकर पिटाई की थी। जिसके निशान चेहरे पर साफ दिखाई दे रहे हैं।

दावत-ए-आम की पहल सराहनीय 
दावत-ए-आम के सदस्य प्रति शुक्रवार को रेलवे स्टेशन, बस स्टैण्ड, मंदिरों में गरीबों लोगों को खाने का पैकेट बांटते हैं। रात 11 बजे खाना बांटते समय इनकी नजर महिला पर पड़ी। महिला की आपबीती सुनकर तुरंत उन्होंने उसे मसानगंज स्थित वृद्ध आश्रम में शिफ्ट किया। इस दौरान दावत-ए-आम के शेख अब्दुल मन्नान, आरिफ सिद्दीकी, मोहम्मद समीर, अफजल खान, सुल्तान, साबिर, रियाज, शाहरुख, खुशतर, जीशान, खोखर, आसिफ, अरबाज, शेख रहमान, युवराज तोड़ेकर, ग्यासुद्दीन, गणेश, अरफान खान आदि का योगदान सराहनीय है।

 

 

 

 

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