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आदिवासी कला एवं संस्कृति विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न

आदिवासी कला एवं संस्कृति विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न
आदिवासी संस्कृति को सहेजने का काम सराहनीय-जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती नेताम
जनजाति वर्ग ने अपनी संस्कृति की विविधता को समेटे रखा है-कलेक्टर श्री अभिजीत सिंह
नारायणपुर 15 जुलाई 2020- आदिवासी संग्राहालय में छत्तीसगढ़ राज्य की अनुसूचित जनजातियों विशेषकर विशेष पिछड़ी जनजातियों की जीवन शैली से संबंधित विषयवस्तुओं के प्रदर्शन, सांस्कृतिक विशिष्टता के आधार पर आर्टिफेक्ट संकलन हेतु दक्षिण आदिवासी क्षेत्र नारायणपुर, कांकेर और कोण्डागांव के अनुसंधान अधिकारियों का दल आज आदिवासी कला एवं संस्कृति विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला में सम्मिलित हुए। कार्यशाला जिला पंचायत नारायणपुर के सभाकक्ष में हुई। इस कार्यशाला में आदिवासियों के रहन-सहन, खान-पान, आर्थिक जीवन, विशिष्ट आवास प्रकार, कृषि उपयोगी उपकरण, शिकार, उपकरण, खाद्य प्रसंस्करण तकनीक, तेल पेराई, रस्सी निर्माण, बांस बर्तन निर्माण, अनाज कुटाई एवं पिसाई, धार्मिक जीवन एवं विश्वास, सामाजिक लोकनृत्य, संगीत वेषभूषा, श्रंृगार आभूषणों, गोदना आदि विषयों पर कार्यशाला आयोजित हुई।
जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती श्यामबती नेताम ने कहा कि आदिवासी संस्कृति को सहेजने का जो काम शासन द्वारा किया जा रहा है, वह सराहनीय है। उन्होंने कहा कि पहले और अभी के समय में बहुत ज्यादा परिवर्तन आ गया है। पहले जो लोक कला और संस्कृति देखने को मिलती थी, अब वह विलुप्त होने लगी है। यहां की वेषभूषा, खान-पान, रहन-सहन में भी बहुत अधिक बदलाव आ गया है। आदिवासी विकास विभाग द्वारा जो संस्कृति का दस्तावेजीकरण कार्य किया जा रहा है। उसका सबसे अधिक फायदा नई पीढ़ी को होगा। वे इसे देखकर महसूस कर सकेंगे कि हमारे पूर्वज कैसे जीवन यापन करते थे।
कलेक्टर श्री अभिजीत सिंह ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि यहां की संस्कृति बहुत संपन्न है। जिले के जनजाति वर्ग ने अपनी संस्कृति की विविधता को समेटे रखा है, उसे अब संग्रहित करने का समय है। उन्होंने कहा कि कार्यशाला में उपस्थित बुद्धिजीवी वर्ग ने जिले की आदिवासी संस्कृति के बारे में जो जानकारी दी है, वह बहुत ही महत्वपूर्ण है। इससे मुझे भी बहुत कुछ जानने का मौका मिला। कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि हमारी संस्कृति कितनी विविधता से भरी है। आज सभी लोक स्वीकार करते हैं कि हमारी संस्कृति को समझना बहुत आवश्यक है। कलेक्टर ने जिले में आये अनुसंधान दल को आश्वस्त किया कि जिले की संस्कृति को दस्तावेजीकरण/संकलन के काम में जिला प्रशासन द्वारा हर संभव मदद दी जायेगी। जिससे आने वाली पीढ़ी हमारी संस्कृति की झलक को देख और समझ सके।
कार्यशाला में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री राहुल देव ने कहा कि जो दल जिले की आदिवासी संस्कृति का संकलन करने आये हैं। उन्हें जिले की सभी महत्वपूर्ण जगहों पर लेकर जाये, जिससे उन्हें यहां की संस्कृति का दस्तावेजीकरण करने में आसानी हो सके। कार्यशाला में जिले के महत्वपूर्ण लोग उपस्थित हुए और अपने विचारों को रखा। जिससे मुझे भी रोचक बातें जानने और सुनने को मिली। उन्होंने संग्राहालय का उद्देश्य बताते हुए कहा कि संग्राहालय परम्परागत संस्कृति एवं धरोहर को बचाना है। कार्यशाला में जनप्रतिनिधी, समाज प्रमुख आदि ने भी आदिवासी संस्कृति के बारे में अपने विचार रखे। इस अवसर पर जनपद अध्यक्ष नारायणपुर श्री पंडीराम वड्डे, संगठन पदाधिकारी श्री रजनू नेताम के अलावा सहायक आयुक्त आदिवासी विकास श्री के.एस. मसराम, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत नारायणपुर श्री घनश्याम जांगड़े, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत ओरछा श्री फागेश सिन्हा सहित अन्य अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।