OPINION: चुनावी साल में प्रवासी कामगार CM नीतीश कुमार के लिए चुनौती | blog-bihar-cm-nitish-kumar-migrant-labourer-assembly-election-covid-19 | – News in Hindi

देश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे प्रवासी मजदूरों, छात्रों और पर्यटकों को आवाजाही की केंद्र सरकार से अनुमति मिल गई है. बिहार और झारखंड के लिए ये बड़ी खबर है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) पर काफी समय से इस बात का दबाव था कि वो अपने प्रवासी मजदूरों और कोटा में फंसे छात्रों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए क्यों नहीं कदम उठा रहे हैं. यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने राज्य के प्रवासी मजदूरों और छात्रों को उनके गृहराज्य तक पहुंचाने की विशेष व्यवस्था मुहैया करा कर नीतीश कुमार पर दबाव बढ़ा दिया था. नीतीश लगातार बिहार विपक्ष के निशाने पर थे. बीजेपी ने अपनी ही सरकार में इस मुद्दे पर नीतीश से अलग लाइन ले ली थी. नीतीश कुमार हमेशा यही कहते रहे कि लॉकडाउन (Lockdown) के लिए जो दिशा-निर्देश केंद्र ने तय किए हैं वो उसका पालन भर कर रहे हैं और गाइडलाइन प्रवासियों को बाहर से बुलाने की इजाजत नहीं देता है.
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन शुरू से नीतीश के उलट अपनी व्यवस्था से प्रवासी मजदूरों, कामगारों और छात्रों को लाने के पक्ष में थे. खैर केंद्र से अनुमति मिल जाने के बाद अब बिहार और झारखंड के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं. बिहार सरकार ने कुछ दिनों पहले बताया था कि करीब 17 लाख प्रवासी बिहारियों ने राज्य सरकार से अपने घर वापस लौटने के लिए संपर्क किया है. एक अपुष्ट आंकड़े के मुताबिक देश के अलग-अलग राज्यों में करीब 80 लाख कामगार बिहारी रहते हैं. अगर हम इस आंकड़े को ना भी मानें और 17 लाख वाले आंकड़े को स्वीकार कर लें, तो भी नीतीश कुमार के सामने अब कई अहम सवाल पहाड़ सी मुसीबत की तरह खड़े हैं.
पहला, लाखों की संख्या में मजदूरों को किस तरह लाया जाएगा? दूसरा, इतनी बड़ी तादाद में लोगों को कितने दिनों में लाया जा सकेगा? तीसरा, जो प्रवासी लौटेंगे वे सोशल डिस्टेंसिंग के मानकों का कितना पालन कर पाएंगे? चौथा, नियम के मुताबिक बाहर से आने वालों को दो हफ़्ते तक क्वारंटाइन में रहना जरूरी है. ऐसे में 17 लाख लोगों को क्वारंटाइन में रखने की बिहार सरकार के पास क्या व्यवस्था है? पांचवां, लाखों की संख्या में आने वाले मजदूरों को सरकार के पास कब तक खिलाने की व्यवस्था है? छठा, लंबे समय तक बीसियों लाख लोगों को बैठा कर नहीं खिलाया जा सकता, सरकार के पास उनके रोजगार के लिए क्या योजना है? सातवां, दो दिनों के भीतर बिहार के सात जिलों में कोरोना वायरस ने अपना पांव पसारा. इसकी वजह बाहर से आने वाले लोगों को बताया गया. कई मामलों में लोगों ने अपने घर का पता गलत बताया. ऐसे में लाखों प्रवासियों के घर के सही पते को सुनिश्चित करने की सरकार के पास कितनी पुख़्ता मशीनरी है? आठवां, लोगों के लौटने के बाद ईश्वर ना करें बड़ी संख्या में अगर कोरोना पॉजिटिव की संख्या सामने आ गई तो उनके लिए राज्य सरकार के पास मेडिकल इंतजाम क्या है?
नीतीश कुमार की छवि ना सिर्फ़ कुशल प्रशासक की रही है, बल्कि उन्हें एक दूरदर्शी नेता भी माना जाता है. नीतीश अपने राज्य के मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रशासनिक सच्चाइयों से अच्छी तरह वाकिफ हैं. यही वजह है कि लॉकडाउन के दौरान वो मजदूरों और छात्रों की किसी भी तरह की आवाजाही के सख़्त खिलाफ थे. जाहिर है चुनावी साल में नीतीश कुमार के सामने भारी चुनौती है.
डिस्क्लेमरः ये लेखक के निजी विचार हैं.
ये भी पढ़ें-COVID-19: कोरोना की चेन तोड़ने को बिहार में कल से होगी डोर टु डोर स्क्रीनिंग
2019 में AES ने ली थी 144 से अधिक बच्चों की जान, इस बार कितनी तैयार है सरकार
News18 Hindi पर सबसे पहले Hindi News पढ़ने के लिए हमें यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें. देखिए पटना से जुड़ी लेटेस्ट खबरें.
First published: April 29, 2020, 9:51 PM IST