देश दुनिया

OPINION: आत्मनिर्भर गांव की पुरानी अवधारणा को नई टेक्नॉलॉजी से ताकत दे रहे हैं पीएम मोदी | nation – News in Hindi

OPINION: आत्मनिर्भर गांव की पुरानी अवधारणा को नई टेक्नॉलॉजी से ताकत दे रहे हैं पीएम मोदी

पंचायती राज दिवस के मौके पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सरपंचों से बात करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.

राष्ट्रीय पंचायत दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने बिना भाषण दिए बहुत महत्वपूर्ण संदेश दिए. उन्होंने साफ किया कि इस कोरोना संकट के दौरान और इसके बाद भी गांव टेक्नॉलॉजी के इस्तेमाल से और मजबूत किए जाएंगे.

जगदीश उपासने
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) अपने समय से आगे सोचने वाले नेता हैं, ये तो हम बहुत सुन चुके हैं, लेकिन राष्ट्रीय पंचायतीराज दिवस पर इसका एक उदाहरण फिर देखने को मिला. इस मौके पर उन्होंने देश भर के सरपंचों- पंचायत प्रतिनिधियों से वीडियो कॉंफ्रेसिंग से बात की. इस तरह से उन्होंने टेक्नॉलॉजी का सदुपयोग किया. उन्होंने सबका आह्वान किया और कहा कि कोरोना महासंकट ने सबसे बड़ा सबक हमे ये दिया है कि हमको आत्मनिर्भर होना पड़ेगा. गांवों को जिस तरह से डिजिटाइज्ड किया जा रहा है, जिस तरह से वहां ब्रॉडबैंड पहुंचाया जा रहा है या ई-ग्राम स्वराज पोर्टल योजना के तहत जो कुछ किया जा रहा है, उससे भी ये साफ दिखता है कि टेक्नॉलॉजी में भी सरकार गांवों को मजबूत कर रही है. आज प्रधानमंत्री ने ये साफ संदेश दिया है कि लोकतंत्र की सबसे छोटी इकाई गांवों को सब तरफ से मजबूत बनाया जाएगा.

गांवों की मजबूती की दिशा में ठोस कदम
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस संकट ने हमें सिखाया कि गांव, जिला और राज्य सब आत्मनिर्भर बनें. आज उन्होंने आज ई-ग्रामस्वराज पोर्टल और एप लांच किया और स्वामित्व योजना के बारे में बताया. ई -ग्राम स्वराज्य पोर्टल तो उन्होंने अभी छह राज्यों में लांच किया है. आगे चल कर उसे और जगहों पर लागू किया जाएगा. इसका मतलब ये है कि वे गांवों को और मजबूत करने वाले हैं. गांवों को मजबूत करने के लिए आप देखें कि भारत सरकार ने 2 लाख करोड़ रुपया रखा है.सरपंचों से संवाद
इसलिए उन्होंने सरपंचों के जो अनुभव सुने उसमें उन्होंने पूछा कि सरकार की जो योजनाएं हैं जैसे किसान सम्मान निधि योजना या फिर गरीब कल्याण की योजनाए कैसी चल रही है. इनका लाभ लाभार्थियों को मिल रहा है कि नहीं मिल रहा है. फिर एक बात एक सरपंच से उन्होंने कहा कि किसानों को उनका उत्पाद बेचने के लिए जहां वो है वहां क्या इंतजाम है. जैसे पुणे की एक सरपंच से उन्हों कहा कि वे अपने केंद्र पर जाएं और अपने को रजिस्टर करें और अपने उत्पादों को वहीं पर बेंचे. वैसे ही कर्नाटक के सरपंच से भी कहा कि खेती के उत्पादों को किसान कैसे ऑन लाइन बेच सकते हैं. असम के सरपंच से भी उन्होंने ये बात कही. दरअसल उन्होंने टेक्नॉलॉजी का इस्तेमाल इतने बड़े पैमाने पर और इसके जरिए व्यवस्था में ट्रांसपरेंसी लाने की बात की.

अब बीच में कोई पैसे नहीं खाता
किसी समय राजीव गांधी ने कहा था कि एक रुपया भेजा जाता है तो कुछ पैसे ही पहुंचते हैं. उन्होंने सरपंच से पूछा कि कितने पैसे पहुंचते हैं, तो सरपंच वने कहा कि सब पहुंचता है. बस्ती के एक सरपंच ने कहा कि सारा पैसा पहुंचता है. वे बहुत खुश थीं. तो इस तरह से टेक्नॉलॉजी को सिर्फ लागू करना ही नहीं बल्कि इफेक्टिव बनाना, इस दिशा में ये प्रयास है. इसका लाभ गांवों को मिले और गांव मजबूत हो.

सवा लाख से ज्यादा पंचायतें ब्रॉडबैंड पर
कोरोना महासंकट में गांवो को कैसे मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने में कैसे इस्तेमाल किया जाए ये प्रधानमंत्री ने दिखाया. हमने देखा है कि प्रधानमंत्री जबसे आए हैं तब से उन्होंने प्राद्योगिकी का बहुत इस्तेमाल किया है. उन्होंने बोला भी कि छह साल पहले सौ पंचायतें पहले ब्रॉडबैंड से जुड़ी हुई थी, आज सवा लाख से ज्यादा हैं. सारी पंचायतों को हम जोड़ रहे हैं. वैसे ही देश में आज कॉमन सर्विस सेंटर देश भर में तीन लाख से ज्यादा हैं. साथ ही गांव के विश्वासी व्यक्ति उसे संभालता है. इसके जरिए वो लोगों को जरूरी कागज निकाल कर दे देता है. गांवों के लोगों को बहुत से जिन कागजों के लिए जिला और तहसील मुख्यालयों के चक्कर काटने होते थे वे रुक गए हैं.

छोटे प्रयासों को बड़ा मंच दिया किसी समय गांधी जी ने हिंद स्वराज में कहा था कि गांव ही हमारी सबसे बड़ी शक्ति है. भारत गांवों में बसता है. मोदी जी उसको चरितार्थ कर रहे हैं और वे टेक्नॉलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं. आधुनिकता का पुरानी चीजों से कैसे संगम किया जाए इसके लिए मोदी जी एक सही उदाहरण हैं. उन्होंने कहा भी गांव अपने संस्कारों और परंपराओं से कोरोना महासंकट से निपट रहे हैं. उन्होंने कहा कि कैसे गांवों ने अपने आपको सुरक्षित रखा है.

जम्मू-कश्मीर के एक सरपंच ने कोरोना महासंकट से निपटने के लिए अपनाए गए दो तरीके भी बताए, जो वे लोग अपना रहे हैं- रिस्पेक्ट ऑल, सस्पेक्ट ऑल. स्टे होम, स्टे सेफ. दो गज दूर. ये गांवों में अपनाया जा रहा है. दुनिया भर में ये संदेश जाए. इसे प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया. उन्होंने पठानकोट के एक सरपंच को कहा कि यूरिया का उपयोग कम करिए. तो गांव को हर तरह से सशक्त बनाने के लिए उन्होंने बहुत से छोटे छोटे संदेश दिए जो प्रभावी हैं. बिना कोई भाषण दिए. ये मोदी जी की खूबी है. एक बात इस कार्यक्रम से सिद्ध होती है कि अब भारत सरकार पंचायतों को आत्मनिर्भर बना रही है.

गांव तैयार होंगे तभी बड़े उद्योग आएंगे
कोरोना महासंकट के बाद जब बड़े बड़े देश चीन से अपना बेस शिफ्ट कर रहे हैं, भारत में आ रहे हैं – फेसबुक ने अभी भारत में एक बड़ा निवेश किया है – फेसबुक अगर करता है तो इस बात का सुबूत है कि बड़ी कंपनियां अब भारत की तरफ आशा भरी निगाह से देख रही हैं. लेकिन अगर बड़े उद्योगों के कच्चे माल के लिए हमारे गांव तैयार नहीं होते तो बड़े उद्योग सफल नहीं हो पाएंगे ये मोदी जी  जानते हैं इसीलिए उन्होंने आज आत्मनिर्भरता का मंत्र गांवों को दिया. गांव आत्मनिर्भर बने तो उन्हें क्या दिया जाना चाहिए, इसलिए ई-स्वराज कौशल, स्वामित्व योजना. स्वामित्व योजना के तहत जमीनों की मैपिंग किया जाए, जिससे झगड़े न हों. जो खाली जमीनें हैं उनका सदुपयोग किया जा सके. ये इनोवेटिव सोच है. आगे की सोच है. मेरा मानना है कि मोदी जी ने राष्ट्रीय पंचायती दिवस का सही उपयोग किया और एक बड़ा संदेश दुनिया को और देश को दिया.

(यह लेखक के निजी विचार हैं.)

यह भी पढ़ें: जानें क्‍या है स्‍वामित्‍व योजना, ग्राम स्‍वराज पोर्टल-ऐप से क्‍या होगा फायदा

News18 Hindi पर सबसे पहले Hindi News पढ़ने के लिए हमें यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें. देखिए देश से जुड़ी लेटेस्ट खबरें.


First published: April 24, 2020, 2:37 PM IST



Source link

Related Articles

Back to top button