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प्राईवेट डॉक्टरों के साथ मारपीट व तोडफ़ोड़ की घटना का विरोध डॉक्टरों ने किया हड़ताल

हड़ताल पर जाने से दुर्ग – भिलाई की अस्पताले रही बंद

मरीजो व परिजनों को करना पड़ा असुविधाओं का सामना

दुर्ग। नगर के एक विवादित अस्पताल के डॉक्टरों से मारपीट व तोडफ़ोड़ की घटना के विरोध में बुधवार को दुर्ग-भिलाई के प्राइवेट डॉक्टर हड़ताल पर रहे। हड़ताल से करीब 6 सौ प्राइवेट हॉस्पिटल बंद रहे। जिससे इलाज के लिए प्राइवेट हॉस्पिटल पहुँचे मरीजों व उनके परिजनों को असुविधाओं का सामना करना पड़ा। कई मरीजों ने जिला अस्पताल पहुँचकर उपचार प्राप्त किया। फलस्वरूप जिला अस्पताल में आम दिनों की अपेक्षा बुधवार को मरीजों की ज्यादा भीड़भाड़ रही। हड़ताली प्राइवेट डॉक्टर अपना कामकाज बंद कर बुधवार को सुबह मानस भवन के सामने जुटे। यहाँ उन्होंने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन दुर्ग-भिलाई के बैनरतले धरना में बैठकर स्पर्श हॉस्पिटल में हुए घटना के विरोध में जमकर आक्रोश जताया। धरना में समाजसेवी प्रताप मध्यानी भी शामिल हुए। उन्होंने डॉक्टरों की मांगों को जायज बताते हुए घटना की कड़े शब्दों में निंदा की। धरना उपरांत इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रतिनिधि मंडल ने कलेक्टर व एसपी को ज्ञापन सौंपकर डॉक्टरों की सुरक्षा पर जोर दिया और बनाए गए कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने की मांग की। प्रायवेट डॉक्टरों के हड़ताल को जिला अस्पताल व सेक्टर-9 अस्पताल के डॉक्टरों ने भी समर्थन देकर बुधवार को काली पट्टी लगाकर विरोध जताया। धरना को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की नवनिर्वाचित अध्यक्ष डॉ अर्चना चौहान ने संबोधित करते हुए कहा कि डॉक्टरों से मारपीट व हॉस्पिटल में तोडफ़ोड़ की घटना निंदनीय हैं। डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए कानून बनाएँ गए हैं, लेकिन इन कानूनों का पालन नहीं हो रहा है। जिसके चलते डॉक्टरों से मारपीट की घटनाएँ सामने आ रही हैं। केन्द्र व राज्य सरकार डॉक्टरो की सुरक्षा को लेकर गंभीर हो और कानून के पालन के दिशा में उचित कार्यवाही सुनिश्चित करवाए। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के भिलाई अध्यक्ष डॉ टी अख्तर ने कहा कि डॉक्टरों का पेश सेवाभाव से जुड़ा होता है। वह मरीजो का हरसंभव अच्छा इलाज करने का प्रयास करता है, लेकिन किसी मरीज की मौत हो जाती है, तो इसके लिए मरीज के परिजन डॉक्टर को जिम्मेदार ठहराते हैं। यह उचित नहीं है। अगर यही हाल रहा तो डॉक्टर गंभीर मरीज का इलाज करने से कतराएगा। जिसका असर मरीज व उसके परिजनों को सहन करना पड़ सकता हैं। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों से मारपीट व तोडफ़ोड़ करने की घटना गैर जमानती धारा के अंतर्गत आती है। फिर भी पुलिस को जितना सहयोग डॉक्टर को करना चाहिए वह नहीं करती। पुलिस को इस ओर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। घटना को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अन्य वरिष्ठ डॉक्टरों ने भी संबोधित कर घटना के खिलाफ विरोध जताया। धरना में वरिष्ठ चिकित्सक अजय गोवर्धन, प्रभात पांडे, आर.एस.नायक, शरद पाटणकर, प्रशांत श्रीवास्तव, ए.पी. सावंत, ज्योति गुरुबख्शानी, आर.पी. गुलाटी, कौशलेन्द्र ठाकुर, एम.के. सर्राफ, सुधीर शुक्ला, डॉ. हमदानी के अलावा अन्य डॉक्टर शामिल हुए।

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