हेमचंद यादव विेश्वविद्यालय के कुलसचिव भूपेन्द्र कुलदीप ने किया दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ
हेमचंद यादव विेश्वविद्यालय के कुलसचिव भूपेन्द्र कुलदीप ने किया दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ
भिलाई। विकसित भारत एटदरेट 2047 एवं बौद्धिक संपदा का अधिकार और आईपीआर पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन छत्तीसगढ वाणिज्य एवं विज्ञान महाविद्यालय एवं वितरागा रिसर्च फाउंडेशन रायपुर तथा हेमंचद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग के संयुक्त तत्वावधान में छत्तीसगढ वाणिज्य एवं विज्ञान महाविद्यालय सेक्टर 6 किया गया। इस संगोष्ठी में गोवा, नागपुर, रायपुर, दुर्ग,राजनंादगांव सहित अन्य विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों के प्रमुख संचालकों और अधिष्ठाताओं जिसमें हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के कुलसचिव भूपेन्द्र कुलदीप, हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अधिष्ठाता डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव, इशू एंड चेलेंज ऑफ आईपीआर इन इंडिया पर नागार्जुन पीजी कॉलेज ऑफ साइंस रायपुर की प्रोफेसर एंड हेडअप डिपार्टमेंट ऑफ फिजिक्स डॉ. अंजलि अवधिया, आरजीएनआईआईएम नागपुर के एग्जॉमिनर ऑफ पेटेंट एंड डिजाईन हिमांशु चन्द्राकर, डा. दादा वैद्य कॉलेज गोवा यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर एंड हेड पोस्ट ग्रेजूएट एंड रिसर्च डिपार्टमेंट इन एजूकेशन के असिस्टेंट प्रोफेसर संजयन टी एस, महाविद्यालयीन विकास परिषद हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग के संचालक डॉ. प्रीतालाल ने बौद्धिक संपदा का अधिकार और आईपीआर पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किये। वहीं राजनंादगांव संस्कार सिटी कॉलेज की प्राचार्या श्रीमती गुरमीत कौर, छग वाणिज्य एंव विज्ञान महाविद्यालय की प्राध्यापक श्रीमती शाहीन बेगम, मैत्री महाविद्यालय की श्रीमती सौजन्या सिंह, बेमेतरा कॉलेज, उदय महाविद्यालय सहित कई महाविद्यालयों के संचालकों, प्राचार्यों, प्राध्यापकों ने इसमें भाग लेते हुए बौद्धिक संपदा का अधिकार और आईपीआर पर अपना अभिमत व्यक्त करते हुए बौद्धिक संपदा का संरक्षण कराने और नही कराने पर उसका लाभ और हानि को बेहतर तरीके से छात्रों को कई महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान किये।
इसके साथ ही सीजीव्हीव्हीएम की कई छात्रों ने इस दो दिवसीय संगोष्ठी के विषय में अपने विचार रखते हुए बताया कि इस संगोष्ठी के माध्यम से उन्हे क्या लाभ हुआ और इसका उनके भविष्य मे क्या प्रभाव पडेगा। दोनो दिनों के संगोष्ठी का संचालन छग वाणिज्य एवं विज्ञान महाविद्यालय की प्राध्यापक सुश्री आशा रानी एवं श्रीमती शाहीन बेगम ने किया और आभार प्रदर्शन महाविद्यालय की एचओडी डॉ. श्रीमती पूनम वर्मा ने किया। ज्ञातव्य हो कि इस संगोष्ठी के 13 मार्च को शुभारंभ हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग के कुलसचिव भूपेन्द्र कुलदीप ने किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत भाषण महाविद्यालय की प्राचार्य श्रीमती अनघा अगासे ने प्रस्तुत किया। संगोष्ठि के दूसरे दिन 14 मार्च को दूसरे सत्र समापन समारोह के मुख्य अतिथि भी हेमचंद यादव विष्विद्यालय के कुलसचिव भूपेन्द्र कुलदीप थे। समापन सत्र में इस संगोष्टी में भाग लेकर अपना व्याख्यान एवं शोध प्रस्तुत करने वालों को कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भूपेन्द्र कुलदीप, विशिष्ट अतिथि छग वाणिज्य एवं विज्ञान महाविद्यालय के संचालक मो. ताहिर खान, प्राचार्य श्रीमती अनघा आगासे, संस्कार सिटी कॉलेज की प्राचार्या श्रीमती गुरमीम कौर, डॉ. पूनम वर्मा ने सीजीव्हीव्हीएम के प्राध्यापक संजय सिंह सहित अन्य महाविद्यालयों से इस संगोष्ठी में भाग लेने आये प्राचार्यों, प्राध्यापकों को प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर उनको सम्मानित किया गया। कार्यक्रम समापन के पूर्व देश एकता पर आधारित यहां के छात्रों ने मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ ही हिन्दी सहित कई भाषाओं राष्ट्रागान प्रस्तुत कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। श इस राष्ट्रीय संगोष्ठि में आईपीआर पर पेनल डिस्कशन हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अधिष्ठाता डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव ने प्रस्तुत किया।
इस दौरान उन्होंने प्रोजेक्टर के माध्यम से जब वे अमेरिका में व्याख्यान देने गये थे उस समय की वहां्र के और भारत के पेटेंटस एवं वहां के शिक्षा और भारत के शिक्षा में किस प्रकार का अंतर है, उसकी विस्तृत रूप से जानकारी दी। वहीं महाविद्यालयीन विकास परिषद हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग के संचालक डॉ. प्रीतालाल ने बौद्धिक संपदा का अधिकार और आईपीआर पर विषय पर बडे ही सारगर्भित तरीके से सरल भाषा में संबोधित करते हुए कहा कि जब हम अपने दिमाग से विचार को किसी बात को जो बाकी सबसे अलग है, नया है, किसी ना किसी रूप में उपयोगी है, जिसका हम सृजन करते है उसको हम किसी कृति के रूप में प्रस्तुत करते हैं तो उसे हम बौद्धिक संपदा अधिकार कहते हैं। यदि उसे हम प्रोटेक्ट नही करेंगे तो जो हमारी बुद्धि है हमारा सृजन है, हमारी रचना है उसका प्रयोग अपने फायदे के लिए कोई ना कोई दूसरा कर लेगा। इसीलिए इसका संरक्षण करना चाहे कोई हमारा आईडिया हो, विचार हो, हमारी कोई कृति हो, रचना हो,किताब हो, या कोई डिजाईन या कोई भी मौलिक धारणा हो, उसका संरक्षण बहुत महत्वपूर्ण और बहुत जरूरी है क्योंकि जब हम कोई नया करते है तो उस नवा करने के कारण इसका फायदा होता है, यदि किसी व्यक्ति को साहसी को लाभ कमाना या नाम कमाना है तो उसको कुछ नया करना होगा। जब नया करना होता है तो व्यक्ति कुछ नया तकनीक या नया डिजाईन खोज लेता है या तो वह उत्पादन का लागत कम कर लेता है या लोगों को आकर्षित कर पाता है कि उसने कुछ नया किया है। उसका नतीजा क्या होता है कि उसकी सेल्स या डिमांड बढ जाती है, यही चीज आईपीआर के बारे में लागू होता है, कि उसका डिमांड बढ जाता है और लोग उसका उपयोग करने के लिए या लेने का काम करते है तो उसका हमें फायनेशियली लाभ होता है। इसका तात्पर्य ये है कि जिसका ये बौद्धिक संपदा है उसको ये अधिकार व लाभ मिलना चाहिए। किसी भी कृति का संरक्षण जरूरी है क्योकि केाई किताब लिखी कॉपी राईटस करा सकता है कोई नया पेंटिंग्स बनाया है या कोई म्यूजिकल यानि नया सूर ताल या कोई नई धुन आपने बनाई उसको कोई चुरा नही सकता इसलिए इसको कॉपीराईटस कराना जरूरी है नही तो उसको दूसरा अपने नाम से पेटेंट कराकर लाभ लेने का काम करता है। वहीं समापन सत्र के मुख्य अतिथि हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के कुलसचिव भूपेन्द्र कुलदीप ने संबोधित करते हुए कहा कि ये जो दो दिन के संगोष्ठी का यहां आयोजन किया गया इसमें यहा उपस्थित छात्र-छात्राएं काफी लाभान्वित हुए है, उनके लिए आईपीआर और बौद्धिक संपदा का अधिकार नया था जिसकी जानकारी इनके लिए बेहद जरूरी था क्योंकि आपके लिए ये जीवन में बहुत लाभदायक होगा। ये जो इंसान है उसको ईश्वर ने किसी ना किसी गुण से जरूर नवाजा है, किसी को अच्छा लिखना आता है किसी को अच्छा गाना आता है, तो कोई कहानी अच्छा लिखता है तो कोई कविता अच्छा लिखता है, तो कोई एकदम नया चीज इजाद करता तो उसकी ये बौद्धिक संपदा है तो इसका संरक्षण कैसे करे ये आपको जानना बहुत जरूरी है, यही जानकारी देने के लिए सीजीव्हीव्हीएम प्रबंधन आप सबके लिए ये कार्यशाला का आयोजन किया है कि आपकी बौद्धिक संपदा को कोई चुरा न सके व दूसरा उपयोग ना कर सके इसलिए आप इसकी जानकारी लेकर इसका अपने नाम से संरक्षित करवा लें। यदि आप अच्छा डांस कर लेते है, कोई अच्छा रेसिपी बना लेते है, या कुछ नया करते है तो उसको अपने नाम से संरक्षित करवा ले। श्री भूपेन्द्र ने एक महत्वपूर्ण उदाहरण देते हुए कहा कि हल्दी भारत का उत्पादन है और उसे भारत ने अपने नाम पेटेंट नही कराया या उसे पेटेंट कराने में देर कर दी तो आज उसको अमेरिका ने पेटेंट करवा लिया। इसलिए हमारी जो चीजें है उसे अपने नाम पेटेंट कराना आवश्यक है। उन्होंने आगे कहा कि हमको और आप सबको भगवान ने 1400 ग्राम दिमाग दिया है, इस दिमाग का या इस दिमाग की उपज का या इस संपदा का आप कितना संरक्षित कर सकते है, ये दो दिन का संगोष्ठी आपको यही सिखाता है, आप यहां से ये जो सीख कर जाते है तो आज के बाद आप जो भी सोचेंगे या अपनी डायरी में लिखेंगे ये भी आपकी एक संपदा है, आप एक शिक्षक हैं या शिक्षक बनने जा रहे है तो आपके पढाने की अच्छी शैली है जो इन बच्चों को पसंद आ रही हो, तो ये आपकी शैली केवल इन 40 बच्चों में ही रह जायेगी इसलिए आप इसको संरक्षित करवाईये ये आपकी बौद्धिक संपदा है। इसका आप विडियो बनाकर अपने मोबाईल व सोशल मीडिया में डालिये ताकि आपकी इस शैली से और बहुत सारे बच्चे लाभान्वित हो। उन्होंने बताया कि भारत यदि गर्वनमेंट कॉलेज मे असिस्टेंट प्रोफेसर आप है तो सबसे अधिक वेतन शिक्षक की है एक राष्ट्रपति से अधिक वेतन है यहां के शिक्षक की। आप बीएड कर रहे है, आप शिक्षक बन रहे है तो आप आज से ये प्रयास करिये कि आज से हम जो भी करेंगे इसका संरक्षण करेंगे। ये आपको अपके प्राध्यापक या मेंटर बता देंगे। इस दौरान महाविद्यालय के सभी प्राध्यापक, गालिब मेमोरियल स्कूल की प्राचार्य सुश्री गुणालक्ष्मी सहित स्कूल की सभी शिक्षिकाएं एवं महाविद्यालय व स्कूल में कार्यरत सभी लोग उपस्थित थे। उक्त जानकारी सीजीव्हीव्हीएम के पीआरओं शमशीर सिवानी ने दी।