महात्मा जोतिराव गोविंदराव फुले जी के जन्म जयंती एवं सामाजिक न्याय सप्ताह पर सह भोज में शामिल हुए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक।

महात्मा जोतिराव गोविंदराव फुले जी के जन्म जयंती एवं सामाजिक न्याय सप्ताह पर सह भोज में शामिल हुए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक।
भूपेंद्र साहू।
ब्यूरो चीफ बिलासपुर।
बिल्हा विधानसभा क्षेत्र के बूथ क्रमांक 276 ग्राम हरदीकला में सामाजिक न्याय सप्ताह कार्यक्रम के अन्तर्गत श्रीमती मंजू टण्डन के निवास मे अनुसूचित समाज के महिलाओ के साथ सहभोज किए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल।
महात्मा ज्योतिबा फूले जी एक भारतीय समाजसुधारक, समाज प्रबोधक, विचारक, समाजसेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता इन्हें महात्मा फुले एवं ”जोतिबा फुले के नाम से भी जाना जाता है सितम्बर १८७३ में इन्होने महाराष्ट्र में सत्य शोधक समाज नामक संस्था का गठन करने एवं महिलाओं व पिछडे और अछूतो के उत्थान के लिय इन्होंने अनेक कार्य किए। समाज के सभी वर्गो को शिक्षा प्रदान करने के ये प्रबल समथर्क थे। वे भारतीय समाज में प्रचलित जाति पर आधारित विभाजन और भेदभाव के विरुद्ध थे
इनका मूल उद्देश्य स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार प्रदान करना, बाल विवाह का विरोध, विधवा विवाह का समर्थन करना रहा है।
फुले समाज की कुप्रथा, अंधश्रद्धा की जाल से समाज को मुक्त करना चाहते थे। अपना सम्पूर्ण जीवन उन्होंने स्त्रियों को शिक्षा प्रदान कराने में, स्त्रियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने में व्यतीत किया।
19वीं सदी में स्त्रियों को शिक्षा नहीं दी जाती थी।
फुलेजी महिलाओं को स्त्री-पुरुष भेदभाव से बचाना चाहते थे। उन्होंने कन्याओं के लिए भारत देश की पहली पाठशाला पुणे में बनाई थीं। स्त्रियों की तत्कालीन दयनीय स्थिति से फुले बहुत व्याकुल और दुखी होते थे इसीलिए उन्होंने दृढ़ निश्चय किया कि वे समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाकर ही रहेंगे। उन्होंने अपनी धर्मपत्नी सावित्रीबाई फुले को स्वयं शिक्षा प्रदान की। सावित्रीबाई फुले भारत की प्रथम महिला अध्यापिका थीं।