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ट्विन टावर किसने बनाया,मालिक कौन है ,क्या ऐसा हुआ जिसके कारण गिराने की नौबत आई..पूरी जानकारी संक्षिप्त में

कौन है ट्विन टावर का मालिक?
ये ट्विन टावर सुपरटेक कंपनी ने बनाया था। सुपरटेक कंपनी के मालिक का नाम आरके अरोड़ा है। आरके अरोड़ा ने 34 कंपनियां खड़ी की हैं। ये कंपनियां सिविल एविएशन, कंसलटेंसी, ब्रोकिंग, प्रिंटिंग, फिल्म्स, हाउसिंग फाइनेंस, कंस्ट्रक्शन तक के काम करती हैं। यही नहीं, मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो आरके अरोड़ा ने तो कब्रगाह बनाने तक की कंपनी भी खोली है।

दो मार्च, 2012 को टावर नंबर 16 और 17 के लिए फिर से संशोधन किया गया। इन दोनों टावरों को 40 मंजिल तक करने की अनुमति दी गई। इनकी ऊंचाई 121 मीटर तय कर दी गई। वहीं दोनों टावरों के बीच की दूरी भी नौ मीटर रखी गई, जबकि यह 16 मीटर से कम नहीं होनी चाहिए।

और कहां हुई नियमों की अनदेखी?
सुपरटेक को 13.5 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी। परियोजना का 90 फीसदी यानी करीब 12 एकड़ हिस्से पर 2009 में ही निर्माण पूरा कर लिया गया था। 10 फीसदी हिस्से को ग्रीन जोन दिखाया गया। 2011 आते-आते दो नए टावरों के बनने की खबरें आने लगीं। 12 एकड़ में जितना निर्माण किया गया, उतना एफएआर का खेल खेलकर दो गगनचुंबी इमारतों के जरिये 1.6 एकड़ में ही करने का काम तेजी से जारी था। अंदाजा लगाया जा सकता है कि 12 एकड़ में 900 परिवार रह रहे हैं, इतने ही परिवार 1.6 एकड़ में बसाने की तैयारी थी।

सुपरटेक कंपनी को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने साल 2022 के मार्च महीने में दिवालिया घोषित कर दिया था। बता दें कि सुपरटेक नाम से आरके अरोड़ा के पास कई कंपनी है लेकिन जिसे एनसीएलटी ने दिवालिया घोषित किया है।

मालिक के 34 कंपनियां फिर भी सुपरटेक दिवालिया, जानें ट्विन टावर के मालिक आरके अरोड़ा की कहानी

सुपरटेक कंपनी को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने साल 2022 के मार्च महीने में दिवालिया घोषित कर दिया था। बता दें कि सुपरटेक नाम से RK आर के अरोड़ा के पास कई कंपनी है लेकिन जिसे NCLT एन सी एल टी ने दिवालिया घोषित किया है।

नोएडा :- नोएडा सुपरटेक ट्विन टावर (Supertech Twin Tower) को आज ब्लास्ट कर दिया जाएगा। एक जानकारी के मुताबिक मलबे से कंपनी को करोड़ों का मुनाफा होगा,
परंतु क्या आप जानते हैं कि सुपरटेक ट्विन टावर (Twin Tower Owner) को बनाने वाले मालिक की कंपनी सुपरटेक दिवालिया भी घोषित हो चुकी है। आइए जानते हैं कपंनी के दिवालिया होने की कहानी और इसके मालिक RK आर.के अरोड़ा के बारे में

नोएडा के ट्विन टावर को बनाने वाली कंपनी सुपरटेक है और इसके फाउंडर आरके अरोड़ा हैं। आरके अरोड़ा 34 अन्य कंपनियों के भी मालिक हैं। इसके अलावा आरके अरोड़ा ने कब्रगाह बनाने-बेचने के लिए भी कंपनी खोली है। साथियों के साथ मिलकर 7 दिसंबर 1995 को इस कंपनी की शुरुआत की थी। कंपनी ने 12 शहरों में रियल स्टेट प्रोजेक्ट लॉन्च किया है। इनमें मेरठ, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना प्राधिकरण क्षेत्र और दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर के कई शहर शामिल हैं।

32 मंजिल की इमारत खड़ी कैसे हो गई?
कहानी 23 नंवबर 2004 से शुरू होती है। जब नोएडा अथॉरिटी ने सेक्टर-93ए स्थित प्लॉट नंबर-4 को एमराल्ड कोर्ट के लिए आवंटित किया। आवंटन के साथ ग्राउंड फ्लोर समेत 9 मंजिल तक मकान बनाने की अनुमति मिली। दो साल बाद 29 दिसंबर 2006 को अनुमति में संशोधन कर दिया गया। नोएडा अथॉरिटी ने संसोधन करके सुपरटेक को नौ की जगह 11 मंजिल तक फ्लैट बनाने की अनुमति दे दी। इसके बाद अथॉरिटी ने टावर बनने की संख्या में भी इजाफा कर दिया। पहले 14 टावर बनने थे, जिन्हें बढ़ाकर पहले 15 फिर इन्हें 16 कर दिया गया। 2009 में इसमें फिर से इजाफा किया गया। 26 नवंबर 2009 को नोएडा अथॉरिटी ने फिर से 17 टावर बनाने का नक्शा पास कर दिया।

दो मार्च 2012 को टावर 16 और 17 के लिए एफआर में फिर बदलाव किया। इस संशोधन के बाद इन दोनों टावर को 40 मंजिल तक करने की अनुमति मिल गई। इसकी ऊंचाई 121 मीटर तय की गई। दोनों टावर के बीच की दूरी महज नौ मीटर रखी गई। जबकि, नियम के मुताबिक दो टावरों के बीच की ये दूरी कम से कम 16 मीटर होनी चाहिए।

अनुमति मिलने के बाद सुपरटेक समूह ने एक टावर में 32 मंजिल तक जबकि, दूसरे में 29 मंजिल तक का निर्माण भी पूरा कर दिया। इसके बाद मामला कोर्ट पहुंचा और ऐसा पहुंचा कि टावर बनाने में हुए भ्रष्टाचार की परतें एक के बाद एक खुलती गईं। अब दोनों टावर गिरा दिए गए।

👉1999 में खोली कंपनी

जानकारी के मुताबिक सुपरटेक लिमिटेड के अस्तित्व में आने के ठीक 4 साल बाद 1999 में उनकी पत्नी संगीता अरोड़ा ने सुपरटेक बिल्डर्स एंड प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी खोली। वहीं आर के अरोड़ा ने बेटे के साथ मिलकर अलग-अलग सेक्टरों में पांव जमाने के लिए कंपनियां खोली। सुपरटेक कंपनी को ही 2004 में नोएडा अथॉरिटी ने एमराल्ड कोर्ट के लिए जमीन आवंटित की थी।

👉2022 में कंपनी घोषित हुई दिवालिया

बता दें कि सुपरटेक कंपनी को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने साल 2022 के मार्च महीने में दिवालिया घोषित कर दिया था। बता दें कि सुपरटेक नाम से आरके अरोड़ा के पास कई कंपनी है, लेकिन जिसे एनसीएलटी ने दिवालिया घोषित किया है। वह रियल एस्टेट में काम करने वाली सुपरटेक है जिसने ट्विन टावरों का निर्माण किया है।

👉432 करोड़ रुपये का है कर्ज

एक जानकारी के मुताबिक सुपरटेक पर करीब 432 करोड़ रुपये का कर्ज है। यह कर्ज यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व में बने बैंक के कंसोशिर्यम से लिया गया था। कर्ज नहीं चुकाने पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने कंपनी के खिलाफ याचिका दायर की थी। इसके बाद NCLT ने बैंक की याचिका स्वीकार कर इन्सॉल्वेंसी की प्रक्रिया का आदेश दिया था।

फ्लैट बायर्स ने 2009 में आरडब्ल्यू बनाया। इसी आरडब्ल्यू ने सुपरटेक के खिलाफ कानूनी लड़ाई की शुरुआत की। ट्विन टावर के अवैध निर्माण को लेकर आरडब्ल्यू ने पहले नोएडा अथॉरिटी मे गुहार लगाई। अथॉरिटी में कोई सुनवाई नहीं होने पर आरडब्ल्यू इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा। 2014 में हाईकोर्ट ने ट्विन टावर तोड़ने का आदेश जारी किया। इस लड़ाई में यूबीएस तेवतिया, एसके शर्मा, रवि बजाज, वशिष्ठ शर्मा, गौरव देवनाथ, आरपी टंडन, अजय गोयल ने अग्रणी भूमिका निभाई।

👉पूरे मामले में सुपर टेक ने कहा
ट्विन टावर मामले पर सुपरटेक का बयान आया है। बयान में कहा गया है कि प्राधिकरण को पूरा भुगतान करने के बाद हमने टावर का निर्माण किया था। हालांकि, माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने तकनीकी आधार पर निर्माण को संतोषजनक नहीं पाया है और दोनों टावरों को ध्वस्त करने के आदेश जारी किए। हम सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का सम्मान करते हैं। हमने करीब 70000 से अधिक लोगों फ्लैट्स तैयार करके दे दिए हैं। बाकी लोगों को भी निर्धारित समय में फ्लैट देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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