छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

कोने-कोने में फैली है बिमारियों वाला गाजर घास ,सफाई नही होने से पड़ रहा है लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर

भिलाई । रेलवे कालोनी भिलाई-3 और चरोदा के कोने-कोने पर गाजर घास फैली हुई है। इससे कालोनी में रहने वाले रेल कर्मी और उनके परिवार में दमा, खांसी, बुखार व त्वजा के संबंधित रोग की आशंका बढ़ गई है। इस जहरीली खरपतवार के उन्मूलन के प्रति रेलवे प्रशासन की गंभीरता नदारद रहना चर्चा का विषय बना हुआ है।

भिलाई-3 और चरोदा के रेलवे कालोनी में रहने वालों का स्वास्थ्य खतरे में है। यह खतरा कालोनी के कोने-कोने पर गाजर घास का पनपने से है। कालोनियों में आवास के सामने, पीछे तथा अन्य खुली जगहों पर गाजर घास लहलहा रही है। इसकी पतियों  में काले छोटे-छोटे रोमों में पाया जाने वाला रासायनिक पदार्थ पार्थिनम मनुष्यों में एलर्जी का प्रमुख कारण है। दमा, खांसी, बुखार व त्वजा रोग का भी कारण यही पदार्थ है। भिलाई-चरोदा के रेलवे कालोनी में रहने वाले अनेक लोग इन दिनों ऐसी बीमारी का सामना कर रहे हैं। हालांकि इसे वायरल बुखार कहा जा रहा है, लेकिन इसका मूल कारण गाजर घास होने की सभावना से इकार नहीं किया जा सकता।

भिलाई-3 में रेलवे के ज्यादातर अधिकारी निवास करते हैं। इसके बावजूद यहां के बंगला कैटेगरी के आवास ही नहीं बल्कि अन्य कर्मचारियों को आबंटित आवासों के सामने और पीछे गाजर खास को भरमार बनी हुई है। चरोदा में भी जोन-1 से लेकर 3 तक बने रेलवे आवासों के आसपास की ऐसी ही दशा है। खेल मैदानों से लेकर आवासीय क्षेत्र में जहां जहां खाली जमीन है, वहां गाजर घास के चलते बीमारी फैलने की आशंका बनी हुई है। गाजर घास पशुओं के लिए भी हानिकारक है। इसकी हरियाली के प्रति लालायित होकर मवेशी इसके करीब जाते जरुर हैं लेकिन इसकी तीखी गंध और फड़वाहट के चलते लौट जाते हैं। गाजर घास तेजी के साथ फैलता है। इसके फैलने से अन्य उपयोगी पेड़ पौधों को पनपने के लिए अनुकूल वातावरण नहीं मिल पा रहा है।

इस बार नहीं हुई सफाई

बारिश शुरू होते ही रेलवे द्वारा कालोनी में गाजर घास सहित अन्य अनावश्यक खरपतवार की सफाई के लिए ठेका आबंटित करती रही है। लेकिन इस बार जिस तरीके के हालात बने हुए हैं उससे लगता है रेलवे ने सफाई कराने के मूड में नहीं है। खासकर गाजर घास उन्मूलन को लेकर जब अन्य सरकारी विभागों में तत्परता बरती जा रही है तो रेलवे प्रशासन की उदासीनता इस लिहाज से भी लापरवाही की श्रेणी में गिना जा सकता है जब प्रधानमंत्री मोदी का स्वच्छता के प्रति खासा जोर है। गाजर घास उन्मूलन के प्रति नगर निगम अपने क्षेत्र में सजग है पर रेलवे को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

घरों में घुस रहे सांप-बिच्छू

रेलवे कालोनी में आवासों के आसपास गाजर घास के घने जंगल स्वरुप के चलते सांप और बिच्छू जैसे जहरीले जंतुओं को अनुकुल माहौल मिल रहा है। बारिश होने पर यहां रहने वाले सांप बिच्छू सुरक्षित ठिकाने की तलाश में रेलवे आवासों में घूमने लगते हैं। इस वजह से रहवासियों में हमेशा भय का माहगौल बना रहता है। सांप बिच्छुओं का खतरा केवल घरों में ही नहीं बल्कि सडक़ों पर भी बना हुआ है। रात के वक्त रेलवे स्टेशन से पैदल घर की ओर जाने के लिए लोग कालोनी की बनी सडक़ों का इस्तेमाल करते हैं। इस दौरान दोनों ओर लंबी लंबी गाजर घास से निकलने वाले जहरीले सांपों के चलते जानलेवा घटना की आशंका बनी रहती है।

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