कब है अखंड सौभाग्यदायक हरियाली तीज? जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व
हरियाली तीज (Hariyali Teej) अखंड सौभाग्य और उत्तम संतान की प्राप्ति के लिए रखा जाने वाला व्रत है. हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है. इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. व्रत के दिन शुभ समय में माता पार्वती, भगवान शिव और गणेश जी की पूजा करती हैं. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट के अनुसार, सती के आत्मदाह के बाद माता पार्वती ने जन्म लिया और भगवान शिव को पति स्वरूप पाने के लिए कई वर्षों तक कठोर व्रत और तप किया. उनकी मनोकामना श्रावण शुक्ल तृतीया तिथि को पूर्ण हुई, इस वजह से हर साल इस तिथि के दिन हरियाली तीज मनाई जाती है. आइए जानते हैं हरियाली तीज की तिथि, पूजा मुहूर्त आदि के बारे में.हरियाली तीज 2022 तिथि
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का प्रारंभ 31 जुलाई दिन रविवार को तड़के 02 बजकर 59 मिनट पर हो रहा है. यह तिथि अगले दिन 01 अगस्त सोमवार को प्रात: 04 बजकर 18 मिनट पर समाप्त हो रही है. ऐसे में उदयातिथि की मान्यता के आधार पर हरियाली तीज 31 जुलाई को मनाई जाएगीहरियाली तीज 2022 मुहूर्त
31 जुलाई को हरियाली तीज के दिन रवि योग बन रहा है. इस दिन रवि योग दोपहर 02 बजकर 20 मिनट से अगले दिन 01 अगस्त को प्रात: 05 बजकर 42 मिनट तक है. रवि योग में हरियाली तीज की पूजा करना उत्तम फलदायक रहेगा.इस दिन का शुभ समय या अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजे से लेकर दोपहर 12 बजकर 54 मिनट तक है. इस दिन राहुकाल शाम 05 बजकर 31 मिनट से शाम 07 बजकर 13 मिनट तक है. राहुकाल में शुभ कार्य वर्जित होते हैं.हरियाली तीज का महत्व
1. हरियाली तीज का व्रत पति के दीर्घायु जीवन के लिए किया जाता है.2. अविवाहित कन्याएं अपने मनपंसद जीवन साथी की प्राप्ति के लिए हरियाली तीज का व्रत रखती हैं. उनकी मनोकामना होती है कि जिस प्रकार से माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने व्रत से प्राप्त किया, उसी प्रकार से वे भी अपने मनचाहे जीवनसाथी को प्राप्त करें.
3. उत्तम संतान की प्राप्ति के लिए भी हरियाली तीज का व्रत रखा जाता है.
4. जिन लोगों के दांपत्य जीवन में समस्याएं हैं, उनको भी हरियाली तीज का व्रत रखना चाहिए.
5. हरियाली तीज का व्रत रखने से दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है.हरियाली तीज की पूजा
हरियाली तीज के दिन पूजा में महिलाएं माता पार्वती को हरी चुड़ियां, हरी साड़ी और श्रृंगार की सामग्री अर्पित करती हैं. माता पार्वती के साथ शिव जी और गणेश जी की भी पूजा करती हैं.