*मौसम में नमीपन व ठण्डकता से चने सहित अन्य फसलो पर कीटों के प्रकोप की आशंका*

*बेमेतरा:-* कृषि प्रधान ज़िला अंचल में इनदिनों बेतहासा ठंड एवं नमी के कारण चने की फसल पर प्रतिकूल असर दिखाई पड़ रहा है। जिसमें सीजन में आकस्मिक वर्षा व ठँडकता ने फसलो को कीट लगने की सम्भावना बढा दी है।चूंकि वर्तमान में रबी की फसल के रुप में चना सहित दलहन-तिलहन की फ़सले ली जा रही है जो इन दिनों अपने अंतिम चरण में होने के कारण फसल के पकने के इंतज़ार है,चूंकि इसी बीच दो-तीन हफ्ते पूर्व समूचे जिलेभर में आकस्मिक बरसात ने काफी परेशानी बढा दी थी।जिसके कारण मौसम पर भी काफी प्रभाव पड़ा। लिहाजा अत्यधिक ठंड पड़ने की वजह से कीटों का हमला फसलो पर खूब दिखने लगा है, जो फसल की गुणवत्ता एवं उपज पर बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा रहा है।बताया जा रहा है कृषि प्रधान व कृषि संपन्न बेमेतरा ज़िले के चारो विकासखण्ड इलाको के अंतर्गत करीब हज़ारो एकड़ रकबे के क्षेत्र में चने सहित दलहन व तिलहन की खेती की जाती है,फलस्वरूप बड़ी मात्रा में हरसाल चने,गेहूं सहित अन्य फसल की उपज होती है, जो इस बार मौसम के कारण कीट-पतंगों के प्रभाव में असर पड़ना तय है, जिससे किसान वर्ग काफी चिंतित है।
*यूरिया की कालाबाजारी से आज भी किल्लत जारी*
चूँकि विगत वर्षभर से कृषि कार्य मे उपयोगी यूरिया, डीएपी व अन्य जरूरी खाद की कालाबाजारी पूरे जिलेभर में लगातार देखने को मिल रही हव, जिससे कृषि कार्य के लिए किसानों को यूरिया, डीएपी जैसे खाद के लिए भटकना पड़ता है, जो कि किसानों के लिए काफी कष्टदायक साबित होता है, जबकि वर्तमान में यह जिला कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे का गृहज़िला है। लिहाजा क्षेत्र में किसानों की यह समस्या और भी गम्भीर हो जाती है। वर्तमान में यूरिया की वास्तविक मूल्य बाज़ारो में 600रुपये बोरी बताई जाती है, किन्तु कालाबाजारी के खेल में उसे दोगुने से ढाई गुणे कीमत पर बेचकर किसानों को कृषि कार्य के लिए सोचने पर विवश कर रहा है, क्योंकि एक ओर मौसम का कहर दिखाई दे रहा है तो दूसरी ओर यूरिया डीएपी सरीखे उपयोगी व जरूरी खाद सामग्रियों की कालाबाजारी से हो रही किल्लत बड़ी समस्या बनकर उभर रही है जिस पर शासन-प्रशासन को गम्भीरता से ध्यान देने की जरूरत है।