*यदी आप दंड को सदा याद रखेंगे, तो आप गलतियां कभी नहीं करेंगे. अपराधों से बचेंगे – ज्योतिष ।*

दंड का भय, और बड़ों की शर्म, ये दो चीजें अपराध करने से बचाती हैं। जिसको किसी के भी दंड का भय नहीं है, और बड़ों की शर्म नहीं है, वह व्यक्ति कभी नहीं सुधर सकता।”
यदि लोग गलत काम करते हैं, कानून तोड़ते हैं, और यदि वे अपराधी लोग प्रशासन की पकड़ में आ जावें, तो प्रशासन उन्हें दंड दे देता है। “यदि दंड की मात्रा बहुत कम हो अथवा दंड दिया ही न जाए, तो इस स्थिति में अपराधी का सुधार नहीं होता।” “यदि दंड भी दिया जावे और कठोर दंड दिया जावे, तब ‘एक अपराधी’ को दंड देने से और उसका समाचार सूचना देश भर में फैलाने से करोड़ों व्यक्ति सुधरते हैं। यह उन सब लोगों पर उस दंड का प्रभाव पड़ता है।”
तब लोग ऐसा सोचते हैं कि *”इस व्यक्ति ने अपराध किया, और इसको यह कठोर दंड मिला। यदि हम भी ऐसे अपराध करेंगे, तो हमें भी इसी प्रकार से कठोर दंड मिलेगा। परन्तु हम दंड भोगना नहीं चाहते। इसलिए हम ऐसा अपराध नहीं करेंगे।
इसके अतिरिक्त एक दूसरा पक्ष भी है। जो बड़ों की शर्म होती है, उस कारण भी व्यक्ति अपराध करने से बचता है।” तब व्यक्ति यह सोचता है कि यदि मैं इस तरह से गलतियां करूंगा, तो बड़े लोग मुझे अच्छा नहीं मानेंगे. अथवा मेरे अपराध की सूचना जब बहुत लोगों तक पहुंचेगी, तो बहुत से लोग मुझे अच्छा नहीं मानेंगे। खराब व्यक्ति मानेंगे। मेरी बहुत बदनामी होगी। अपमान होगा। और हो सकता है, कुछ उग्र स्वभाव के लोग मेरी पिटाई भी कर दें। तब मुझे अच्छा नहीं लगेगा।” इस कारण से भी व्यक्ति शर्म के मारे बुराई से बचता है, और अपराध नहीं करता।
वास्तव में यदि गहराई से देखें, तो यह जो बड़ों की शर्म वाली दूसरी बात बताई है, यह भी एक प्रकार का दंड ही है। तो सार यह हुआ कि “दंड के बिना कोई व्यक्ति सुधरता नहीं है।”इसलिए वेदों में कहा है कि “यदि आप दंड को सदा याद रखेंगे, तो आप गलतियां कभी नहीं करेंगे. अपराधों से बचेंगे।”
हमने यहां दंड को दो भागों में बांटकर थोड़ा विस्तार से समझा दिया। अब आगे आप स्वयं समझदार हैं। इस प्रकार से ईश्वर, समाज, राजा के दंड के भय को और बड़ों (सच्चे वैदिक विद्वानों/संन्यासियों) की शर्म को सदा याद रखें। अपराधों से बचें। बदनामी से बचें। दुखों से बचें। अच्छे काम करें, अनुशासन में रहें, स्वयं सुखी हों, और दूसरों को भी सुख देवें।”
ज्योतिष कुमार