आत्महत्या की रिर्पोटिंग से संबंधित मीडिया कर्मियों के लिए कार्यशाला का किया गया आयोजन
सोसाईड की रिर्पोटिंग को लेकर सजग रहे मीडिया
दुर्ग। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मीडिया कर्मियों के लिए आत्महत्या जैसे प्रकरणों में मीडिया कर्मियों की रिर्पोंटिंग से संबंधित होटल कैम्बियन में कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में यह बात खुलकर सामने आया कि आत्महत्या सभ्य समाज पर एक अभिशाप की तरह है। अत्यधिक तनाव, अवसाद की स्थिति से गुजर रहे लोगों में इसकी संभावना अधिक होती है। यह एक मानसिक समस्या है। आत्महत्या के मामलों को महिमा मंडित करना, उसके कारणों और तरीकों की चर्चा करना अवसाद में जी रहे लोगों को उकसा सकता है। मीडिया को ऐसी खबरों के प्रकाशन को लेकर संवेनदशील होना चाहिए। इस दौरान इसके विषय विशेषज्ञों द्वारा बताया गया कि तनावग्रस्त लोगों की मानसिक स्थिति का किसी को पता नहीं होता। ऐसी स्थिति में प्राणघातक कदम उठाने से भी परहेज नहीं करते। ऐसे कई मामलों में जान गंवाने वाले लोगों के संबंध में मीडिया जगत में छपने वाली खबरों को लेकर सजगता जरूरी है। वर्तमान समय में मीडिया जगत ऐसी खबरों को काफी चटाकेदार बनाने का प्रयास करता है। सनसनीखेज हेडिंग के साथ खबरों को ऐसे परोसा जाता है जिसे पढऩे वाले भी प्रेरित होते हैं। मीडिया को लोगों की विचार प्रक्रिया को समृद्ध करना चाहिए और सकारात्मक मानसिकता को बढ़ावा देना चाहिए।
इस कार्यशाला में सीएफएआर की राष्ट्रीय संयोजक आरती धर ने बताया कि एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार दुर्ग-भिलाई में आत्महत्या करने वालों का घनत्व सर्वाधिक है। छत्तीसगढ़ इस मामलें में राष्ट्रीय स्तर पर चौथा है। उन्होंने कहा कि यह एक मानसिक समस्या है जिसकी रोकथाम की जा सकती है। इसके लिए जरूरी है कि आप अपने आसपास के लोगों के व्यवहार पर नजर रखें तथा जरा सी भी शंका होने पर उन्होंने जिला अस्पताल के स्पर्श केन्द्र में ले जाएं या जाने की सलाह दें।
उन्होंने आगे कहा कि क्सर एक तनावग्रस्त व्यक्ति अपने जीवन में घातक कदम उठाता है जिससे उसकी जान चली जाती है। ऐसे केसेस में अखबारों में प्रकाशित होने वाली खबरों में कई बार ऐसी बातें लिखी होती है जिसे पढ़कर दूसरे लोग भी ऐसे आत्मघाती कदम उठाने के लिए मजबूर हो जाते हैं। एक रिपोर्टर अपनी खबर को खास बनाने के लिए कई तथ्य प्रस्तुत करता है जो अकारण ही किसी के लिए प्रेरणा बन जाता है। कुछ लोग तो हीरो बनने के लिए ऐसा कदम उठाते हैं ताकि अखबार में फोटो छपे और लोगों के बीच चर्चा का विषय बने। आरती धर ने कहा कि एक रिपोर्टर को ऐसी भाषा के प्रयोग से बचना चाहिए जो किसी के लिए घातक साबित हो। अक्सर देखा गया है कि अखबारों में छपने वाली खबरों से लेकर टीवी रिपोर्टिंग के दौरान आत्मघाती कदम उठाने वाले व्यक्ति को लेकर भाषा भ्रांतियां होती हैं जो उचित नहीं होता।
विषय विशेषज्ञ आरती धर ने आगे बताया कि संवेदनशील मामलों में रिपोर्टिंग करते समय लोगों को सकारात्मक सोच के लिए प्रेरित करना चाहिए। तनाव सभी की जीवन का हिस्सा है लेकिन इससे बचने के रास्ते भी हैं। एक अच्छा मनोचिकित्सक सही रास्ता बता सकता है। तनाव के कारण कई हो सकते हैं इनमें से कई बार ऐसा होता है उस तनाव से व्यक्ति पार नहीं पा पाता और आत्मघाती कदम उठा लेता है। ऐसा करने के बाद उसके परिवार पर क्या बीतती है यह वह नहीं जानता। मीडिया ऐसे लोगों का दर्द प्रस्तुत कर सकता है जिसके घर में ऐसी कोई घटना हुई हो। इससे ऐसे लोग जो इस प्रकार की इच्छा रखते होंगे वे भी एक बार अपने पीछे सोचेंगे।
एनसीडी सेल के नोडल अधिकारी डॉ आरके खण्डेलवाल ने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा आत्महत्या की रोकथाम के लिए मीडिया को जारी गाइडलाइंस की विस्तृत जानकारी दी। मनोवैज्ञानिक डॉ शमा हमदानी ने आत्महत्या के कारणों की समीक्षा करते हुए कहा उसकी रोकथाम के उपायों की चर्चा की।
मीडिया कर्मियों ने भी रखी अपनी बात
कार्यशाला के अंत में मीडिया कर्मियों ने भी अपनी बात रखी। इस मौके पर न्यू प्रेस क्लब ऑफ भिलाई नगर की अध्यक्षा भावना पाण्डेय ने कार्यशाला की सराहना करते आयोजकों को धन्यवाद दिया। उन्होंने अपने जीवन से जुड़ा एक किस्सा भी सुनाया जो इस कार्यशाला के विषय से संबंधित था। वरिष्ठ पत्रकार कमल शर्मा ने भी ऐसे ही आत्मघाती किस्से को सामने रखा जिसस में समाज सेवा के नाम पर पुलिस को अपने कर्तव्य से रोका जो किसी की जान जाने का कारण बना। उन्होंने बेहद ही सालीनता के साथ अपनी बातों को रखा। ऐसा ही एक किस्सा पत्रकार रघुनंदन पंडा, अशोक पंडा, शफीक खान ने भी सुनाया। कार्यशाला में दुर्ग भिलाई क्षेत्र के वरिष्ठ पत्रकार दीपक रंजन दास, न्यू प्रेस क्लब की कोषाध्यक्ष अनुभूमि भाकरे ठाकुर, कार्यालय सचिव राजेश अग्रवाल, कार्यकारिणी सदसय
तनवीर अहमद, शमशीर सिवानी, मोहनराव, आकाशराव, अनिल पंडा, मिथलेश ठाकुर सहित बडी संख्या में दुर्ग भिलाई के पत्रकार एवं मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी गंभीर सिंह ठाकुर, नोडल अधिकारी डॉ आरके खंडेलवाल, मनो चिकित्सक डॉ आकांक्षा गुप्ता दानी, दिल्ली से पहुंची प्रोग्राम ऑफिसर रंजना द्विवेदी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
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