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कृषि कानून वापस लेने का फैसला प्रधानमंत्री का नया जुमला तो नहीं : अलताफ

दुर्ग // मध्य ब्लाक कांग्रेस कमेटी दुर्ग के अध्यक्ष अलताफ अहमद ने कहा है कि केंद्र की भाजपा सरकार ने पांच राज्यों में हार के डर से तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है। फैसला देर से ही सही यह किसानों के हक और अधिकार व लोकतंत्र की जीत का है। भाजपा ने चुनाव से पहले अंदरूनी सर्वे कराया था जिसमें किसानों की नाराजगी के कारण सभी राज्यों में भाजपा की हार की संभावना जताई गई। इससे घबराकर भाजपा ने  कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है।

अलताफ ने कहा कि लोकसभा और राज्यसभा में कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला होने तक केंद्र की भाजपा सरकार पर भरोसा नहीं किया जा सकता। पहले भी कई बार प्रधानमंत्री ने 15 लाख रुपए देने, हर साल दो करोड़ लोगों को रोजगार देने किसानों की आय दोगुना करने सहित कई घोषणाएं की, लेकिन सत्ता हासिल करने के बाद इन घोषणाओं को जुमला कह दिया। प्रधानमंत्री की जुमला छवि के कारण आंदोलनकारी किसानों को इस घोषणा पर विश्वास नहीं है। किसान कह रहे हैं कि  लोकसभा में कृषि कानून वापस लेने का प्रस्ताव लाने के बाद ही आंदोलन से हटेंगे। क्योंकि उन्हें पीएम की घोषणा पर शंका है। किसानों को लग रहा है कि यह घोषणा भी जुमलेबाजी तक सीमित न रह जाए।

अलताफ अहमद ने कहा कि अगर केंद्र सरकार किसानों का हित चाहती है, तो देश के सबसे बड़े किसान हितैषी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मांगों को पूरा करें। भूपेश सरकार की तरह केंद्र सरकार भी धान सहित अन्य उपज का समर्थन मूल्य बढ़ाने की घोषणा करे। भूपेश सरकार की मांग पर धान से एथेनाल बनाने की मंजूरी भी तत्काल दें। उसना चावल की खरीदी का फैसला भी करें ताकि किसानों के साथ न्याय हो सके।

अलताफ ने कहा कि सात साल की सत्ता के दौरान भाजपा सरकार के सारे कुचक्र फेल हो चुके हैं। किसानों के साथ ही पूरे देश की जनता नाराज है। भाजपा के सभी पैंतरे धराशायी हो गए हैं। पांच राज्यों में अंदरूनी सर्वे में पराजय की रिपोर्ट आने के बाद भाजपा ने यह फैसला वापस लिया है। इस फैसले को लागू भी तत्काल किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार जुमलेबाजी छोड़े और छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार की तरह किसानों के हित में ठोस फैसला करे।

 

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