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मोदी केबिनेट में ‘विभीषणों’ को सम्मान

रविशंकर प्रसाद  भारत के कानून मंत्री थे..और आईटी मिनिस्टर भी थे..लेकिन भारत ने उनको ट्विटर मंत्री के तौर पर ही पहचाना..पहले उनको ट्विटर ने ब्लॉक किया फिर मोदी जी ने अपनी कैबिनेट से ब्लॉक कर दिया..ट्विटर से लड़ना उनका फुल टाइम जॉब था..वो सिर्फ बीजेपी  के खिलाफ बोलेने वालों के लिए खूंखार थे..बाकी ट्विटर ने उनका अकाउंट बंद कर दिया था..वो ऐसे ट्विटर मंत्री थे कि उनके मंत्री रहते हुए ट्विटर ने देश के उपराष्ट्रपति का ब्लूटिक हट गया..उनके ट्विटर मंत्री रहते rss के बड़े नेताओं का भी ब्लू टिक हट गया..रविशंकर प्रसाद  खुद को कानून मंत्री नहीं जज समझते थे..चेहरे पर खिसियाहट और झल्लाहट हमेशा दिखाई देती थी..उनके नजरिए में कभी नहीं दिखाई दिया कि वो भारत देश के कानून मंत्री हैं..उनके बयानों और इंटरव्यू से हमेशे ये झलकता रहा कि वो बीजेपी समर्थित लोगों के मंत्री हैं..और सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ उठ रही आवाजों से बहुत परेशान हैं..और प्रचंड ट्विटर विरोधी और कू समर्थक हैं.. रविशंकर प्रसाद के बनाए कानून पर किसानों की आफत झेलने वाले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से उनको सीखना चाहिए था..नरेंद्र सिंह तोमर का चेहरा देखकर कोई बता नहीं पाएगा कि वो किसानों की नाराजगी से परेशान है दुखी हैं या खुश हैं..

जैसे रविशंकर प्रसाद ट्विटर मंत्री थे वैसे ही देश के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन रीट्विट मंत्री थे..उनका एक ही काम था..मोदी शाह और बीजेपी (BJP) रविशंकर प्रसाद  भारत के कानून मंत्री थे..और आईटी मिनिस्टर भी थे..लेकिन भारत ने उनको ट्विटर मंत्री के तौर पर ही पहचाना..पहले उनको ट्विटर ने ब्लॉक किया फिर मोदी जी ने अपनी कैबिनेट से ब्लॉक कर दिया रविशंकर प्रसाद भारत के कानून मंत्री थे..और आईटी मिनिस्टर भी थे..लेकिन भारत ने उनको ट्विटर मंत्री के तौर पर ही पहचाना..पहले उनको ट्विटर ने ब्लॉक किया फिर मोदी जी ने अपनी कैबिनेट से ब्लॉक कर दिया को री ट्विट करना ..हर्षवर्धन डॉक्टर थे इसलिए स्वास्थय मंत्री थे.. लेकिन उनके काम कंपाउंडर जैसे भी नहीं थे..उनसे अच्छा स्वास्थ्य मंत्रालय बकरी चराना वाला बच्चा भी चला सकता था..बस उसे केवल ट्विटर चालाना सीखना पड़ता..हर्षवर्धन ने पूरी दुनिया में भारत की नाक कटाई..देश का स्वास्थ्य सिस्टम संभालने के बजाए..विपक्ष से लड़ रहे थे..हर्षवर्धन भी उसी श्रेणी में थे जिनको लगता था कि वो देश के नहीं बीजेपी (BJP) का समर्थन करने वाले लोगों के ही मंत्री हैं..कोई सवाल करे तो वो गुर्राने लगते थे..उनको लगता था विपक्ष या सवाल पूछने वालों पर झपट पड़ेंगे तो मोदी जी को इसमें कोई डाउट नहीं रह जाएगा कि उन्होंने छोटा शेर पाला है..मोदी जी ने हर्षवर्धन को मंत्रीमंडल से बाहर करके ये माना है कि हर्षवर्धन ने अपना काम ठीक से नहीं किया.. अब मनसुख मांडविया देश के स्वास्थ्य मंत्री हैं..सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर थे..इनका भी सिग्नल मोदी जी ने काट दिया है..जावडेकर जी को खुद को ही सूचना नहीं थी कि वो प्रसारण मंत्री थे..कोरोना में टीवी पर जो श्मसान वाले वीडियो प्रसारित हुए उससे बीजेपी का पर्यावरण खराब हुआ..प्रकाश जावडेकर भारत में मचे हाहाकार के बीच भारत में पाकिस्तान की गरीबी..सांप बिच्छू के प्रोग्राम चलवाने में नाकाम रहे…इस बार वो देश की मेन स्ट्रीम मीडिया के एंकरों से प्राइम टाइम में अंताकक्षरी खिलवाने में नाकाम रहे..प्रकाश जावड़ेकर के होते हुए..मीडिया को दबाने की श्रेणी में मोदी जी का नाम किंम जोंग जैसे नेताओं की श्रेणी में आ गया..इससे ज्यादा इमेज खराब क्या होगी..प्रकाश जावड़ेकर को भी लगता था कि वो भी बीजेपी समर्थित लोगों के ही मंत्री थे..और बीजेपी समर्थित न्यूज चैनलों के ही मंत्री थे..जो चैनल सवाल पूछ रहे थे..उनसे ऐसे दूर थे..जैसे उनसे उनकी निजी दुश्मनी हो..कुल मिलाकर मोदी जी कि छवि डैमेज होने से प्रकाश जावड़ेकर रोक सकते थे..लेकिन वो पूरी तरह से नाकाम साबित हुए..ऐसा लगा जैसे उनको मंत्री बना तो दिया गया था लेकिन बताया नहीं गया था..और इमेज खराब करने वालों से मोदी जी कभी दोस्ती नहीं रखते..

इतिहास गवाह है कि विभीषणों को सत्ता मिलती ही मिलती है…वैसे ही मोदी जी की नई कैबिनेट में हुआ है..खुद को मोदी जी का हनुमान बताने वाले..चिराग की रौशनी छीनने वाले..चाचा पशुपति पारस को मोदी मंत्रीमंडल में खाद्य मंत्री बनाया गया है…इस विस्तार  में दलबदलुओं को इनाम मिला है..मसलन शिवराज ने कांग्रेस छोड़कर आए ज्योतिरादित्य को विभीषण कहा था..उनको भी इनाम मिल गया नागरिक उड्यन मंत्री बनाया गया है…कांग्रेस छोड़कर आए नारायण राणे को एमएसएमई मंत्री बनाया गया है..टीएमसी से आए नीशीथ प्रमाणिक को भी मंत्री बनाया गया है.. 43 मंत्रियों के मंत्रिमंडल में 36 नए मंत्रियों को शामिल करना, दर्जन भर पुराने मंत्रियों को हटाना..महिलाओं को जगह देना..पिछड़ों को बहुत बड़ी संख्या में शामिल करना..एसीएसटी को भी अच्छी जगह देना..बहुत अच्छा कदम है..इसकी सराहना की जानी चाहिए..लेकिन बात तब बनेगी जब मंत्रीमंडल बदलने से जनता को फायदा हो..तेल के दाम कम हों..महंगाई कम हों..रोजगार मिलें..नौकरियां मिलें..किसानों की समस्या हल हों..अगर ऐसा नहीं होता है..तो मंत्रीमंडल बदलने से केवल उन नेताओं का भला होगा जो मंत्री बने हैं..और बीजेपी की चुनावी रणनीति कामयाब होगी..जनता जहां खड़ी थी वहीं खड़ी रह जाएगी..चलते चलते आपको जानकारी बताते चलें..पीयूष गोयल को रेल मंत्री से हटाकर अश्विनी वैष्णव को रेल मंत्री बनाया गया है..रविशंकर प्रसाद की जगह किरण रिजुजु को कानून मंत्री बनाया गया है..प्रकाश जावड़ेकर की जगह पर अब अनुराग ठाकुर सूचना प्रसारण और खेल मंत्री हैं..श्रम मंत्री संतोष गंगवार की जगह पर अब भूपेंद्र यादव श्रम मंत्री होंगे..पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान अब शिक्षा मंत्री होंगे. हरदीप पुरी अब पेट्रोलियम मंत्री होंगे. मोदी जी के मंत्रिमंडल में अब टोटल 11 महिलाएं हैं..यूपी से 7 नए और कुल 15 मंत्री हैं…

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