झीरम कांड काे 6 साल बीते लेकिन आज तक इसके असली दोषी गिरफ्त से बाहर
सबका संदेश न्यूज़ छत्तीसगढ़ जगदलपुर – झीरम हमले को शनिवार को छह साल पूरे हो गए लेकिन मामले में कुछ लोगों गिरफ्तारियों के अलावा जांच और सुरक्षा एजेंसियां कोई खुलासा ही नहीं कर पाईं। देश में किसी भी राजनीतिक दल पर हुए सबसे बड़े हमले के तौर पर जाना जाने वाला झीरम हमले की जांच और इस हमले के पीछे का उद्देश्य घटना के छह साल बाद भी लोगों के सामने नहीं आ पाया है।25 मई की 2013 की शाम बस्तर सहित देश को झकझोर देने वाली थी। बस्तर जिले के दरभा इलाके के झीरम घाटी में कांग्रेस के परिवर्तन यात्रा पर हुए नक्सली हमले में कांग्रेस के बड़े नेताओं समेत 29 लोग मारे गए थे। इस हमले के बाद कई राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप लगे और कांग्रेस ने इसे सुपारी किलिंग तक कहा। लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।झीरम हमले में मारे गए कांग्रेसियों को आज देंगे श्रद्धांजलि: झीरम हमले में मारे गए लोगों को शनिवार को कांग्रेस भवन में श्रद्वांजलि अर्पित की जाएगी। श्रद्धांजलि कार्यक्रम सुबह 11 बजे से शुरू होगी।
एनआईए बस्तर से काम समेटने में लगी है, 40 तक सदस्यों की जगह सिर्फ तीन :इस मामले की जांच के लिए लगाए गए एनआईए अब धीरे-धीरे बस्तर से काम समटने में लगी है। स्थानीय वन विकास के रेस्ट हाउस में तीन कमरों में चल रहे एनआईए के दफ्तर में गिनती के तीन कर्मचारी ही बैठे हैं। ये भी सुबह निर्धारित समय पर कुछ देर के लिए आते हैं और फिर यहां से चले जाते हैं। जबकि हमले के तुरंत बाद 25 से 40 सदस्यों वाली एनआईए की टीम यहां काम कर रही थी। इस मामले से जुड़े अफसरों की मानें तो एनआईए ने न्यायालय में चार्जशीट पेश कर दी है। इसमें करीब 140 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इनमें स्थानीय पुलिस की मदद से करीब 40 आरोपियों की गिरफ्तारियां हुई हैं। इसके बाद एनआईए के पास यहां करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है।
एनआईए ने कुछ लोगों की गिरफ्तारी की फिर मामला ठंडे बस्ते में चला गया
पिछले चार महीनों से एसआईटी जांच की शुरुआत ही नहीं कर पाई :बताया जा रहा है कि तीन सदस्यीय टीम इस मामले में फरार आरोपी, जिन्हें स्थायी वारंटी घोषित किया जा चुका है, उनकी गिरफ्तारी के इंतजार में रुकी हुई है। इनकी गिरफ्तारी भी पूरी तरह से स्थानीय पुलिस के कंधों पर डाल दिया गया है। इसके बाद प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुई और कांग्रेस की सरकार बनी तो कांग्रेस ने एसआईटी का गठन कर दिया। एसआईटी को एनआईए मामले से संबंधित दस्तावेज नहीं दे रही है। ऐसे में पिछले चार महीनों से एसआईटी जांच की शुरुआत ही नहीं कर पाई है। झीरम कांड के तुरंत बाद घटना के संबंध में नक्सलियों की ओर से प्रेस रिलीज करने वाले जीवीके प्रसाद ने कुछ समय पहले ही पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। 6 साल पहले झीरम हमले को लेकर नक्सलियों का पक्ष जीवीके प्रसाद के माध्यम से ही बाहर आया था लेकिन इसके सरेंडर के बाद भी झीरम हमले से जुड़ी कोई महत्वपूर्ण जानकारी पुलिस को नहीं लग पाई। इसके अलावा हाल ही में सीसी मेंबर सिंधु नरसिंह रेड्डी उर्फ जगन्ना ने भी सरेंडर किया लेकिन एनआईए, पुलिस या अन्य जांच एजेंसियां इनसे भी कुछ नहीं उगलवा पाई।
झीरम कांड करने वाली डिविजन ने विधायक को मारा :छह साल पहले नक्सलियों ने जिस झीरम घाटी को कांग्रेसियों के खून से लाल किया था वहां हालात काफी हद तक सुधरे हैं लेकिन अब भी लाल आंतक का साया यहां से हटा नहीं है। झीरम घाटी हमले के तुरंत बाद झीरम में दो कैंप खोले गए। इसके अलावा पखनार में भी कैंप खोला गया है लेकिन अभी भी टाहकवाड़ा से लेकर झीरम तक एक बड़ा पैच पुलिस की पहुंच से बाहर है।
इस बार नक्सलियों ने जश्न का फरमान जारी नहीं किया :पहले हर साल नक्सली 25 मई और इसके आसपास आम सभा, नाटक, नाच-गाने का आयोजन करवाते थे। पिछले साल भी 25 मई के दिन नक्सलियों ने बीजापुर और गढ़चिरौली में हुई मुठभेड़ के विरोध में बंद का आह्वान किया था लेकिन इस साल ऐसा कोई फरमान ही जारी नहीं किया।
विज्ञापन समाचार हेतु सपर्क करें-9425569117/9993199117