गरीबों और असहायों के लिए सोमनाथ में बाबा उमाकान्त जी महाराज निशुल्क भोजन भण्डारे का शुभारम्भ
*गरीबों और असहायों के लिए सोमनाथ में बाबा उमाकान्त जी महाराज निशुल्क भोजन भण्डारे का शुभारम्भ*
सबका सँदेश कान्हा तिवारी –
29.01.2021, प्रातः 8:30
सोमनाथ, गुजरात
धर्मभूमि सोमनाथ, गुजरात में बाबा उमाकान्त जी महाराज निशुल्क भोजन भंडारे का शुभारंभ करते हुए बाबा जय गुरु देव आश्रम उज्जैन से पधारे परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज जी ने कहा प्रेमियों ! ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि असहाय लोगों को भोजन मिल जाए | जैसे अभी लॉकडाउन में बहुत लोग असहाय थे और आप प्रेमियों ने भोजन पूरे देश के साथ-साथ विदेशों में भी बांटा | आपके भंडारे तीर्थ स्थानों जैसे चित्रकूट, अयोध्या आदि में और दार्शनिक स्थानों पर भी विभिन्न प्रदेशों में चल रहे हैं | एक भंडारे की शुरुआत आज प्रेमियों यहां कर दो | ये गुरु महाराज की दया का प्रसाद है। भोजन अलग होता है और प्रसाद अलग होता है । तो प्रेमियों आप जय गुरु देव नाम ध्वनि बोलकर गुरु महाराज का प्रसाद बनाकर फिर इसे बांटना। इससे लोगों को लाभ होगा।
*अतिथि देवो भव: वाली परम्परा भारत देश में खत्म होती जा रही है*
महाराज जी ने बताया कि रोटी खिलाना, पानी पिलाना- ये बहुत पुण्य के काम हैं। पहले के लोगों को खाने और रहने की कोई चिंता-फिकर नहीं होती थी, कहीं भी जाता था। किसी भी गृहस्थ के दरवाजे पर रोटी खिलाना, पानी पिलाना, ठहरने के लिए स्थान देना – ये वह अपना धर्म समझता था। लोग कहते थे कि मेहमान आ गए, मेहमान नहीं भगवान आ गए। अतिथि देवो भव: । आज लेकिन धीरे-धीरे भारत देश की यह परंपरा खत्म होती जा रही है लेकिन इसके बावजूद भी विदेशों की अपेक्षा अपने देश भारत में यह है। प्रेमियों! इस परंपरा को बनाए रखने की जरूरत है ।
*महाराज जी ने कहा असहायों की मदद करना बहुत बड़ा धर्म है*
आप देखो सोमनाथ जी का यह मंदिर है। अगर कोई भूखा है तो भगवान का दर्शन भी करने जा नहीं सकता, कमजोरी आ जाती है। असहायों की मदद करना यह बहुत बड़ा धर्म है। असहाय वह होता है जिसके पास सब कुछ होते हुए भी जरूरत की चीज नहीं मिल पाती। मान लो दुकान बंद हो गई, जेब में लाख रुपया भी पड़ा है और भोजन और खाने की चीज नहीं मिल पा रही है तो नींद नहीं आएगी ।
*प्रेमियों! ऐसी व्यवस्था जगह-जगह पर आप बनाओ कि असहाय लोगों को भोजन मिल जाये*
आप लोग जितने भी यहां पर इकट्ठा हो, आप लोग हमारे पास आते हो, आप लोगों को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि जगह-जगह असहायों को भोजन मिल जाए। जैसे अभी लॉक डाउन लगा हुआ था, बहुत लोग असहाय थे और आप लोगों ने पूरे देश में भोजन बांटा। विदेशों में भी जहां प्रेमी हैं वहां भी समय-समय पर लोगों को भोजन कराते रहे।
*बाबा उमाकान्त जी महाराज जी द्वारा चित्रकूट, अयोध्या आदि तीर्थ और दार्शनिक स्थानों पर निशुल्क भोजन भण्डारे चल रहे हैं*
महाराज जी ने बताया आपके भंडारे तीर्थ स्थानों जैसे चित्रकूट में, अयोध्या में और दार्शनिक स्थानों पर कई प्रदेशों में चल रहे हैं। ऐसे एक भंडारे की शुरुआत आज आप प्रेमियों सोमनाथ गुजरात में भी कर दो ।
महाराज जी ने कहा कि प्रेमियों बांटते रहो। कोई काम शुरू करो तो रोको नहीं। और बैठाकर भी खिलाओ जैसे अयोध्या में। वहां पर जो लोग मंदिर बनाते हैं और उनके लिए खाना है और कार्यकर्ताओं के लिए, जो आर्टिस्ट लोग आते हैं उनके लिए भी जनरल भंडारा है ।
*बाबा उमाकान्त जी महाराज द्वारा अयोध्या मन्दिर निर्माण के लोगों और अतिथियों के लिये दो भण्डारे चल रहे हैं*
महाराज जी ने बताया कि अयोध्या में दो भंडारे चल रहे हैं। एक तो जो वहां के मंदिर निर्माण में जो लोग काम करते हैं, कार्यकर्ताओं के लिए, जो अतिथि लोग आते हैं और जो पूरा स्टाफ लगा हुआ है – उनके लिए है। और एक जनरल भंडारा भी वहां चलता है। कोई भी आए, कोई भी खाए। भंडारा भी है चल रहा है और वहां से पैकेट भी रोज बांटे जाते हैं ।
*महाराज जी ने कहा किसी से एक पैसे का भी सहयोग मत लेना*
एक चीज का ध्यान रखना आप सब लोग। आप लोग आपस में, जितने भी नामदानी हो, सतसंगी हो, वही मिलकर के करना, मांगना मत किसी से, एक पैसा मत मांगना, किसी से कोई भी सहयोग मत लेना। और आप अधिकारीगण, जितने लोग बैठे हो, आपसे मेरा निवेदन है कि कोई अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए अगर कोई बात आपसे करें तो समझ लो कि वह कच्चा आदमी है।
*महाराज जी ने कहा अगर कोई आपसे व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए पैसा माँगता है तो वो बाबाजी का पक्का आदमी नहीं है*
महाराज जी ने कहा कि अगर व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए कोई बात करता है या आपसे पैसा या कोई ऐसी मदद के लिए चीज मांगता है तो समझो वह कच्चा आदमी है। प्रेमियों! जब आप सेवा करो तो निस्वार्थ भाव से करो।
जब कल रात 10 बजे हमारी इच्छा हुई कि कल से शुरुआत हो जाए तो हमने निर्णय ले लिया और आपने उत्साह करके जो आज से शुरुआत कर दिया है तो चलाते रहेंगे। प्रेमियों! मुझे अभी जाना है। हमारा कार्यक्रम आगे लगा हुआ है। अगर गुरु महाराज जी की दया हुई तो मैं जल्दी फिर आऊंगा।