मुख्यमंत्री बाल संदर्भ शिविर में रसमड़ा सेक्टर के 26 गंभीर कुपोषित बच्चों का हुआ स्वास्थ्य परीक्ष
दुर्ग / जिले के एकीकृत बाल विकास परियोजना दुर्ग ग्रामीण के अंर्तगत रसमड़ा सेक्टर में गंभीर कुपोषित एवं मध्यम कुपोषित बच्चों की सेहत में सुधार के लिए मुख्यमंत्री बाल संदर्भ शिविर का आयोजन किया गया। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रसमड़ा के चिकित्सक डॉ तारेंद्र देशमुख द्वारा 8 गंभीर कुपोषित और 18 मध्यम कुपोषित बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। गंभीर कुपोषित बच्चों को कुपोषण के चक्र से बाहर लाकर कुपोषण की दर में कमी लाने के लिए इस योजना का संचालन किया जा रहा है। डॉण् देशमुख द्वारा सभी 26 कुपोषित बच्चों की स्वास्थ्य जाँच कर विटामिन बी काम्पलेक्सए मल्टी विटामिन,कैलिश्यम व लीवर टॉनिक दवाएं वितरण किया गया। महिला पर्यवेक्षक शशी रैदास ने बतायाए श्रसमड़ा सेक्टर के 18 आंगनबाड़ी केंद्रों के 2से 5 वर्ष उम्र के बच्चों का औसत वजन और लंबाई में कमी के आधार पर 102 बच्चों की जांच में 26 गंभीर कुपोषितों की पहचान की गई। आंगनबाड़ी में पंजीकृत हितग्राहियों में 2 अति कुपोषित बच्चों को चिकित्सक की सलाह पर पोषण पुनर्वास केंद्र भेजा गया है। बाल संदर्भ योजना के तहत गंभीर कुपोषित एवं मध्यम कुपोषित बच्चों को चिकित्सकीय परीक्षण की सुविधाए चिकित्सक द्वारा लिखी गई दवाएं तथा आवश्यकतानुसार बाल रोग विशेषज्ञों की परामर्श की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। शशी रैदास ने कहाए आंगनबा?ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं महिला बाल विकास विभाग के माध्यम से बच्चों एवं महिलाओं के पोषण में सुधार के लिए निरंतर काम कर रही हैं। कुपोषण मुक्ति अभियान के तहत गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ सुपोषित छत्तीसगढ़ बनाने के लिए योजनाएं संचालित की जा रही हैं।
ऐसे करें बच्चों का देखभाल महिला पर्यवेक्षक शशी रैदास बताती हैं, श्माता के गर्भवती होने से लेकर बच्चे के मानसिक व शारीरिक विकास के लिए पहले 1000 दिन सुनहरे होते हैं । इस दौरान बच्चों को विशेष देखभाल की जरुरत होती है बच्चे के जन्म से पूर्व व बाद में पोषण आहार से बच्चे के विकास के साथ शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है। शिशुओं को 6 माह तक मां द्वारा केवल स्तनपान ही जरुरी होता है। 6 महिने के बाद से बच्चे को ऊपरी आहार देने की शुरुआत करनी चाहिए। इन सुनहरे 1000 दिन में किसी प्रकार की कमी होने पर वह पूर्ति बच्चे को दोबारा नहीं हो सकती है। महिला पर्यवेक्षक ने बतायाए आंगनबाड़ी केंद्रों में गर्भवती महिलाओं व शिशुवती माताओं के लिए पोषण आहार व रेडी.टू दृईट का वितरण किया जाता है। 2 साल की आयु के बाद खेलकूद के कारण बच्चों को बढते उम्र के साथ ज्यादा ऊर्जा की जरुरत पड़ती है। ऐसे में बच्चों को हर दो.दो घंटे में प्रोटीन व वसायुक्त पौष्टिक भोजन खिलाने में माताओं को अच्छी तरह देखभाल करना चाहिए। बच्चों की साफ.सफाई के साथ साबून से नहलाने व साफ सुथरा कपड़ा भी जरुरी है ।