छत्तीसगढ़

सिखों की १०वें गुरु गोविन्द सिंह जी की जयंती पर बलवीर विश्वकर्मा ने बनाया पेन से उनके पेंटिंग।

सिखों की १०वें गुरु गोविन्द सिंह जी की जयंती पर
बलवीर विश्वकर्मा ने बनाया पेन से उनके पेंटिंग।

छत्तीसगढ़ कबीरधाम जिले के कुंडा तहसील के ग्राम गिरधारी कांपा में रहने वाले” तिनका तिनका राष्ट्रीय पेंटिंग अवार्ड विजेता बलवीर कुमार विश्वकर्मा “के हाथों एक अलग ही जादूगरी है ।वो किसी की भी पेंटिंग मिनटों में खूबसूरत बनता है। आज सिखों के दसवें गुरु गोविन्द सिंह जी की जयंती प्रकाश पर्व पर अपनी पेन से पेंटिंग करके उनकी वीरता और बलिदान की भावना को याद, किया वही उनकी याद में उनकी पेंटिंग समर्पित किया । बलवीर बताते हैं।कि मेरा बचपन सिख भाइयों के साथ बिता है । मैंने सिख गुरू नानक देव जी के लिए की कविता लिखे हैं जो सिख धर्म के साथ पुरे मानव जीवन में बदलाव लाने के लिए काफी है। “खुदा तो, देखा नहीं मैं,
पर लगता है,खुदा मुझे…
बातें इनकी, सिधि सिधि,
एक ओंकार,ही रटते हैं।
भाव इनके,विचित्र है,
मानवता की पुजारी,
लगता है मुझे”
एक तिनका रचना गुरु गोविन्द सिंह जी को समर्पित है। गुरु गोविन्द सिंह जैसा आज तक पैदा नहीं हुआ है और ना ही होगा क्योंकि गुरु गोविन्द सिंह जी स्वयम में एक ईश्वर थे वो मानवता के दिलों में एक तिनका दीप प्रज्वलित करने आये थे ।आज उन्हीं के बदौलत पुरे विश्व में आज सिख समाज बड़े बड़े काम कर रहे हैं
मुझे लगता है कि ऐ सब गुरु की असिम कृपा ही तो है।*वाहे गुरु का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह*

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