छत्तीसगढ़

कोरोना के चलते कवर्धा में 150 से अधिक गुड़ फैक्ट्री बंद, ठेकेदार लौटे गए उत्तरप्रदेश, हजारों मजदूर बेरोजगार

कवर्धा. कोरोना ने लाखों लोगों की रोजी-रोटी छीनी। इसमें जिले के गुड़ उद्योग संचालक और मजदूर भी है। कोरोना काल में करीब 150 गुड़ उद्योग बंद हो गए। कबीरधाम जिला गन्ने की फसल के लिए विख्यात है। यहां पर दो सहकारी शक्कर कारखाना है वहीं। हर वर्ष 300 से अधिक गुड़ फैक्ट्री भी संचालित होता रहा। लेकिन कोरोना काल का प्रभाव गुड़ फैक्ट्री पर पड़ा इसके चलते इस वर्ष अनुमानित 150 से अधिक गुड़ फैक्ट्री बंद हो गए। दो भ_ा तक संचालित होने वाले अधिकतर गुड़ फैक्ट्री बंद पड़े हैं, जबकि अधिक भ_े वाले फैक्ट्री ही चल रहे हैं। इसमें अधिकतर फैक्ट्री उत्तर प्रदेश के ठेकेदार चला रहे थे, जो वापस लौट गए। वहीं स्थानीय किसान भी थे, जो अब गन्ने की फसल ले रहे हैं। गुड़ उद्योग के चरमाने से हजारों मजदूर बेरोजगार हो गए हैं।

हो रहा नुकसान
गुड़ उद्योग संचालक जल्लु चंद्रवंशी के अुनसार पिछले वर्ष गुड़ उद्योग में काफी अधिक दाम पर गन्ने की बिक्री हुई थी। अधिकतम 380 रुपए प्रति क्विंटल तक जा पहुंचा था, इसका लाभ तो किसानों को मिला, लेकिन छोटे गुड़ उद्योग पर असर पड़ा। छोटे गुड़ उद्योगों को काफी नुकसान उठाना पड़ा। इसके चलते यह वर्ष इसका संचालन नहीं कर सके। दूसरी ओर जो बड़े गुड़ उद्योग संचालक हैं वह 8 से 10 भ_ा लगाते हैं और बड़ी मात्रा में गन्ना खरीदी करते हैं इससे उनका नुकसान नहीं होता। इनके सभी माल उचित दाम पर बिक जाते हैं।

गुड़ खाने के लिए नहीं
गुड़ उद्योग संघ के अध्यक्ष झम्मन चंद्रवंशी ने बताया कि अभी गन्ने की कीमत 240 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जा रहा है। यह 260 रुपए तक पहुंच चुका था लेकिन मौसम बिगड़ते ही इसके दाम में कमी आ गई। उन्होंने बताया कि कबीरधाम जिले में जितने भी गुड़ उद्योग है वहां खाने के लिए गुड़ तैयार नहीं किया जाता। यहां पर केवल तरल रूप में गरमा गर्म राब को टीन के डिब्बों में भर देते हैं और बिहार, ओडि़सा, पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्य में बेच देते हैं। जिले के बाजार में जो खाने का गुड़ बिक्री होता है उसे व्यापारी मध्यप्रदेश से मंगाते है। वहीं स्थानीय किसान अपने लिए गुड़ उद्योग संचालन के अंतिम दौर में तैयार करते हैं।

शक्कर कारखाना में मुनाफा अधिक
शक्कर कारखाना में पूर्व घोषणा के मुताबिक गन्ना प्रति क्विंटल 355 रुपए की दर से खरीदा जाता है लेकिन अब तक भुगतान 261.25 रुपए की दर से किया गया। इस पर जो बचत राशि 93.75 रुपए प्रति क्विंटल का भुगतान राजीव गांधी न्याय योजना के तहत किया जा रहा है। इसके चलते ही अधिकतर किसान अपना गन्ना शक्कर कारखाना में ही बिक्री करना चाहते हैं लेकिन दोनों शक्कर करीब 9 लाख मीट्रिक टन गन्ना ही खरीद पाते हैं जबकि जिले में गन्ने का उत्पादन करीब 20 लाख क्विंटल से कहीं अधिक है। इसके चलते ही करीब 10 लाख क्विंटल से अधिक गन्ना गुड़ फैक्ट्री में जाता है।

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