छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

भिलाई-दुर्ग के भाजपा का जिलाध्यक्ष बनाने को लेकर राजनीति में आया उबाल: The politics of making Bhilai-Durg BJP’s district president a boil

संगठन में जिला अध्यक्ष बनाने विजय-सरोज में गुटीय संघर्ष के हालात

भिलाई में भसीन या शंकरलाल देवांगन तो दुर्ग में दिनेश देवांगन या देवेन्द्र चंदेल के नामों पर लग सकती है मुहर

भिलाई। भाजपा संगठन में भिलाई-दुर्ग के भाजपा का जिलाध्यक्ष बनाने को लेकर राजनीति में उबाल आ गया है। इसके लिए लोकसभा सांसद विजय बघेल और राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय अपने-अपने समर्थकों के माध्यम से आमने-सामने आ गए हैं। करीबी की ताजपोशी के लिए दोनों नेताओं के बीच गुटीय संघर्ष के हालातों पर जिले भर की राजनीतिक निगाहें टिकी हुई है।

प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय के भिलाई व दुर्ग जिला संगठन के अध्यक्षों की नियुक्ति 15 दिसंबर से पहले कर दिए जाने का संकेत देने के बाद भाजपा की स्थानीय राजनीति में मौसम की ठंडकता के बावजूद गरमाहट भर आई है। अब तक जो सियासी चर्चा सरगर्म है उसके मुताबिक संगठन में अपने समर्थक को जिला अध्यक्ष की कुर्सी पर बिठाने लोकसभा सांसद विजय बघेल और राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं। इसके साथ ही दोनों नेताओं के समर्थकों की निगाह प्रदेश भाजपा कार्यालय से होने वाली अधिकृत घोषणा पर टिकी हुई है। हालांकि इस बार के हालात के अनुसार वैशाली नगर विधायक विद्यारतन भसीन को भिलाई भाजपा की कमान मिल सकती है। राजनीति के जानकारों की मानें तो पिछले निगम चुनाव में जिस तरह से श्री भसीन को महापौर प्रत्याशी बनाकर भाजपा के प्रदेश संगठन ने स्थानीय नताओं के गुटीय संघर्ष पर विराम लगाया था। वैसा ही निणय भिलाई जिलाध्यक्ष बनाने में भी लिया जा सकता है। वैसे अभी तक भिलाई भाजपा जिलाध्यक्ष के लिए सरोज गुट से खिलावन सिंह साहू और विजय खेमे से शंकरलाल देवांगन की दावेदारी चर्चे में है। इसी तरह दुर्ग जिला अध्यक्ष के लिए सरोज खेमा दिनेश देवांगन के नाम को सहमति दिलाने का प्रयास कर रहा है। जबकि विजय बघेल की ओर से देवेन्द्र सिंह चंदेल का नाम आगे किए जाने की चर्चा है। इस बीच यह भी चर्चा सरगर्म है कि प्रदेश संगठन भाजपा के दोनों दिग्गजों के बीच एक-एक जिला अध्यक्ष का बंटवारा कर सकता है। ऐसी स्थिति में भिलाई संगठन विजय बघेल को देकर दुर्ग में सरोज पांडेय की पसंद पर अध्यक्ष बनाए जाने की संभावनाओं को लेकर चर्चा सरगर्म है।

गौरतलब रहे कि तकरीबन डेढ़ साल से भाजपा के संगठन जिला भिलाई और दुर्ग के नये अध्यक्ष चयन का मामला लंबित है। इसके लिए बड़े नेताओं की अपने करीबी समर्थकों की राजपोशी सुनिश्चित कराने के लिए मची खींचतान को काफी हद तक जिम्मेदार माना जा सकता है। मौजूदा राज्यसभा सांसद सुश्री सरोज पाडेंय के वर्ष 2009 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीतने के साथ ही भिलाई व दुर्ग के भाजपा संगठन में उनका वर्चस्व कायम रहा है। इस बार भी सरोज समर्थक दोनों संगठन जिलों में अपना अध्यक्ष बनाने कोई कसर छोड़ते नहीं दिख रहे हैं। लेकिन इस बार समीकरण काफी बदल सा गया है। सरोज गुट को लोकसभा सांसद विजय बघेल समर्थकों से कड़ी चुनौती मिलती दिख रही है।

यहां पर यह बताना भी लाजिमी होगा कि संगठन चुनाव के तहत बूथ और मंडल अध्यक्षों की चयन सूची सार्वजनिक होते ही लोकसभा सांसद विजय बघेल ने खुलकर विरोध जताया था। श्री बघेल को पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय, श्रीमती रमशीला साहू, विधायक विद्यारतन भसीन और पूर्व विधायक डोमनलाल कोर्सेवाड़ा के साथ-साथ उनके समर्थकों का स्वस्फूर्त समर्थन मिला। विजय बघेल ने सदस्यता अभियान और बूथ व मंडल अध्यक्षों के चयन प्रक्रिया को फर्जी करार देते हुए प्रदेश व राष्ट्रीय संगठन तक शिकायतें की। जिसके बाद भिलाई व दुर्ग जिलाध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया को टाल दिया गया। लगभग डेढ़ साल से भिलाई और दुर्ग जिला संगठन अपने कार्यकाल खत्म कर चुके अध्यक्षों के नेतृत्व में ही सांगठनिक गतिविधियों को अंजाम दे रहा है।

अब जब 15 दिसंबर तक नये जिलाध्यक्षों की घोषणा हो जाने की चर्चा है तो भाजपा की स्थानीय गुटबाजी को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि आम सहमति बनाना राजधानी के बड़े नेताओं के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।

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