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किसान आंदोलन: सरकार और किसानों के बीच तनातनी का असर, बढ़ सकते हैं फल-सब्जियों के दाम

कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनकारी किसानों द्वारा दिल्ली के अधिकांश बॉर्डर पर प्रदर्शन जारी रहने के साथ, व्यापारियों और कृषि उपज मंडियों ने रविवार को कहा कि इस सप्ताह राजधानी शहर में फलों और सब्जियों की कीमतों में तेज बढ़त की संभावना है। जब तक किसानों और सरकार का मसला हल नहीं हो जाता, ये बरकरार रहेगा। फिलहाल तीन महीने पहले संसद द्वारा पारित तीन विवादास्पद कानूनों के खिलाफ बीते 12 दिनों  से किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है।

आजादपुर कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) के अध्यक्ष आदिल खान ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में आपूर्ति किए जाने वाले फलों और सब्जियों के 80% से अधिक दिल्ली के आजादपुर कृषि बाजार से आता है। यहां औसतन एक दिन में  फल और सब्जी का आगमन लगभग 5,500 मीट्रिक टन तक गिर गया है, जबकि पिछले साल इसी समय के दौरान लगभग 11,500 मीट्रिक टन की आपूर्ति हुई थी।

खान ने कहा, “केंद्र सरकार को किसानों की मांगों को सुनना चाहिए और जल्द से जल्द इस मुद्दे को हल करना चाहिए। अब तक, फलों और सब्जियों की कीमत में उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई है क्योंकि व्यापारी पिछले एक सप्ताह से स्थानीय आपूर्ति को पूरा कर रहे हैं और राज्य से बाहर नहीं भेज रहे हैं। लेकिन अब लगभग खत्म हो गया है और आपूर्ति में गिरावट बहुत अधिक है। ”

कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के 12 वें दिन भी अन्नदाता राजधानी की सड़कों पर डटे हुए हैं। किसानों और सरकार के बीच शनिवार को पांचवें दौर की बातचीत बेनतीजा रही है। कांग्रेस, टीआरएस, द्रमुक और आप ने केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संघों द्वारा आठ दिसंबर को ‘भारत बंद के आह्वान के प्रति रविवार को अपना समर्थन जताया। इन कानूनों को निरस्त किये जाने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन पिछले 11 दिन से जारी है। इन विपक्षी पार्टियों से पहले शनिवार को तृणमूल कांग्रेस, राजद और वामपंथी दलों ने भी बंद का समर्थन किया था। किसानों की मांग पर सरकार लगातार उनसे बातचीत कर रही है और आंदोलन खत्म करने के लिए अपील कर रही है। सरकार बीच का रास्ता निकालने की कोशिश मे जुटी है, लेकिन किसान नेता तीनों कृषि कानूनों की वापसी से कम मानने के लिए तैयार नहीं हैं।

 

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