सिर्फ एक दिन में तैयार किए वर्मी कम्पोस्ट के 10 बेड
कम समय में डी कंपोजर की मदद से अच्छी क्वालिटी की खाद हो रही तैयार
दुर्ग। छत्तीसगढ शासन द्वारा गोधन न्याय योजना की शुरुआत के साथ किसानों और पशुपालकों के लिए अतिरिक्त आमदनी की राह तो खुल ही गई है, साथ ही महिला स्व-सहायता समूहों को आजीविका के साधन भी उपलब्ध हो रहे हैं। दुर्ग ब्लॉक के ग्राम चंदखुरी की सिंधुजा महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने अब तक अपने परिश्रम एवं कौशल से 45 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट खाद बनाकर बेच चुकी हैं। इतना ही नहीं इन महिलाओं ने सिर्फ 1 दिन में में लो कॉस्ट का वर्मी कंपोस्ट बेड तैयार कर एक उदाहरण प्रस्तुत किया है कि महिलाएं यदि ठान ले तो उनके लिए कोई काम मुश्किल नहीं है। ग्राम पंचायत की सचिव सुश्री कामिनी चंद्राकर ने बताया कि सिर्फ 22 हजार 500 रुपए की लागत से एक मिस्त्री की मदद से इन महिलाओं ने वर्मी कम्पोस्ट के 10 बेड तैयार किये हैं। जिसकी खासियत है कि कम समय में अच्छी खाद बनकर तैयार हो जाती है।
महिलाओं के काम करने के लिए बन रहा है हॉल- चंदखुरी की सरपंच श्रीमती हेमलता देशमुख ने बताया कि गौठान रोजगार के केंद्र के रूप में विकसित हो रहे हैं । महिलाओं के काम करने के लिए एक पक्का हॉल भी तैयार किया जा रहा है जहाँ वे आराम से अपना काम कर सकेंगी। बारिश के दिनों में उनको कोई तकलीफ नहीं होगी।
आमदनी आने लगी बढऩे लगा उत्साह- चंदखुरी गौठान समिति के अध्यक्ष श्री मनोज चन्द्राकर ने बताया कि शुरुआत में महिलाओं को ये संशय था कि उनकी मेहनत का फल क्या होगा तो उन्होंने विश्वास दिलाया कि काम शुरू कीजिए अपने आप फायदा नजर आएगा। अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने खाद बनाना सीखा और जब आमदनी आने लगी तो उनके आत्मविश्वास और उत्साह दोनों बढोत्तरी हुई। अब एक और समूह को तैयार कर फलदार पौधों की एक बाड़ी तैयार की गई है जहां अमरूद, पपीता, एप्पल बेर के पौधे लगाए गए हैं। यहां भी गौठान में बने खाद और कीटनाशक का ही उपयोग किया जा रहा है।
आत्मनिर्भर होने की चाह में कडी मेहनत कर रही हैं महिलाएं, खाद के साथ-साथ केंचुआ कल्चर पर भी कर रही फोकस- सिन्धुजा स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती संतोषी देवांगन बताती हैं कि सभी महिलाएं घर पर समय व्यतीत करती थी घर के कामकाज करने के बाद उनके पास काफी समय खाली बचता था लेकिन करने को कुछ नहीं था अब वह घर के सारे काम खत्म कर सीधे आ जाती हैं और साथ मिलकर वर्मी कंपोस्ट खाद बनाती हैं अब तक 45 क्विंटल खाद बनाकर बेच चुकी है फिर बाद में में उनको लगता था पता नहीं उनकी मेहनत का मेहनत का कोई परिणाम निकलेगा कि नहीं लेकिन शासन और प्रशासन के सहयोग से उनकी मेहनत रंग लाई और उन्हें अच्छी आमदनी भी हो रही है। उनको यकीन नहीं था कि वे वर्मी कंपोस्ट का बेड भी बना लेंगे भी बना लेंगे लेकिन गौठान समिति के अध्यक्ष और ग्राम पंचायत के सचिव के उत्साहवर्धन और सतत् मार्गदर्शन से उनको हिम्मत मिली और उन्होंने यह काम 1 दिन में पूरा कर लिया यह सोचकर काफी अच्छा लगता है, संतोषी बताती है कि अब उनके समूह की महिलाएं खाद निर्माण के साथ-साथ केंचुआ कल्चर का काम भी सीखना चाहती हैं।
आपसी सहयोग से महिलाएं सीख रहीं वर्मी कंपोस्ट बनाना- दुर्ग ब्लॉक के चंदखुरी की दीदियों ने पाटन ब्लॉक के आर जामगांव की दीदियों को सिखाए वर्मी कम्पोस्ट बनाने के गुर कुछ कर गुजरने की चाह में महिलाएं अब एक दूसरे की मदद से अपना कौशल उन्नयन कर आत्मनिर्भरता की राह अपना रही हैं। कुछ ऐसा ही नजारा आज दुर्ग के चंदखुरी ग्राम के गौठान में नजर आया जहां पाटन ब्लॉक के आर जामगांव की चार स्व-सहायता समूहों की महिलाएं वर्मी कंपोस्ट खाद बनाना सीखने आई हैं। जब आर जामगांव की महिलाओं को यह पता चला कि उनकी चंदखुरी की बहनें इतना अच्छा काम कर रही हैं तो उन्होंने पूछा कि क्यों ना वह भी यह काम सीख कर अतिरिक्त आमदनी अर्जित करने की राह पर चलें। कुछ सीखने की धुन में आर जामगांव की यह महिलाएं चंदखुरी आई हैं और चंदखुरी की महिलाओं ने ज्ञान और कौशल बांटने से बढता है की भावना को आत्मसात करते हुए इन महिलाओं को आज दिन भर अपने सभी क्रियाकलापों के बारे में जानकारी दी और साथ मिलकर इनको वर्मी खाद बनाना सिखाया।