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लिफ्ट इरिगेशन के माध्यम से खेतों में पहुंचेगा खारुन का पानी, Kharun water will reach the fields through lift irrigation

दुर्ग। पाटन विकासखंड के बोरेन्दा गांव के किसान केवल खरीफ के मौसम में फसल ले पाते थे। यहां पर सिंचाई पूर्ण रूप से वर्षा आधारित हुआ करती थी। किसान चाह कर भी रबी मौसम में कोई फसल नहीं ले पाते थ। अपने खेतों को सूखा देखने पर विवश अन्नदाता को उम्मीद की किरण दिखाई सौर सामुदायिक सिंचाई परियोजना ने बीते 9 नवंबर को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बोरेन्दा गांव में 3 करोड़ 30 लाख रुपए की लागत से लिफ्ट इरिगेशन पर आधारित सौर सामुदायिक सिंचाई परियोजना का शुभारंभ किया। इस परियोजना के शुरू होने से किसानों को एक नई उम्मीद मिली है। लिफ्ट इरिगेषन सिस्टम पर आधारित इस परियोजना से 100 हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा निर्मित हुई है, इस योजना से क्षेत्र के 217 किसानों को फायदा पहुंचेगा।  बोरेन्दा के किसान इसलिए भी खुश हैं क्योंकि अब उन्हें खेती के लिए बारिश की बाट नहीं जोहनी पड़ेगी और 12 महीने उनकी फसलों को सिंचाई की सुविधा मिल सकेगी। किसान बताते हैं अब परियोजना षुरू हो गई है इसलिए उन्होंने अपने खेतों को रबी फसल लेने के लिए तैयार करना षुरू कर दिया है। बोरेन्दा के साथ इस साल रबी के सीजन में गेहूं चना इत्यादि की फसलें ले सकेंगे । पहले अपने खेत तक पानी लाने के लिए 495 नग पाइप लग जाते थे। जिसका खर्च भी बहुत आता था। अब किसानों को बिना परेशानी मिलेगा भरपूर पानी- बोरेन्दा के सरपंच श्री टुमेश्वर साहू बताते हैं कि नदी के किनारे होने के बाद भी बोरेन्दा के किसान के खेत इसलिए सूखे रह जाते थे। बोर कराने के बाद भी पानी नहीं निकलता था। इसलिए किसान पाइप लाइन बिछाकर पानी ले जाते थे। 400 से 500 नग तक पाइप लग जाते थे। जिस पर किसान का काफी खर्च हो जाता था। इस परियोजना के शुरू हो जाने से किसानों को सिंचाई के लिए मुफ्त में भरपूर पानी मिल सकेगा। सरपंच ने सभी किसानों की ओर से मुख्यमंत्र भूपेश बघेल और क्रेडा विभाग का आभार व्यक्त किया। वर्षा पर ही निर्भर थे खरीफ की फसल भी पानी की कमी से कई बार पक नहीं पाती थी और रबी में तो कोई फसल नहीं होती थी, किसानों को लंबे समय से था इंतजार। यहां लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी बोर में नहीं निकलता था पानी,इसलिए किसान बसंत साहू ने किसानों के लिए कुछ ठोस पहल करने की ठानी और आज उसी का नतीजा है कि सौर सामुदायिक सिंचाई परियोजना यहां शुरू हो सकी।

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