परवानी गुट के लोगों ने किया श्रीचंद सुंदरानी से सवाल

बरलोटा को क्यों देना पड़ा त्याग पत्र देना और वापस लेने के बाद भी क्यों नही थे सक्रिय
दुर्ग। छत्तीसगढ चेम्बर्स ऑफ कामर्स के चुनाव के समय तरह तरह सवाल सामने आने लगे है। और दोनो गुट द्वारा एक दूसरे पर आरोप भी लगाये जा रहे है, इसी तरह का आरोप एक गुट द्वारा दूसरे गुट पर लगाते हुए कहा गया है कि कि अमर पारवानी के चेम्बर अध्यक्ष बनने के बाद उनकी बढ़ती लोकप्रियता से कुछ लोग भयभीत हो गए थे…उन्हें अपने राजनितिक वजूद पर खतरे का बादल मंडराता हुआ दिखने लगा था तबसे ही अमर पारवानी को दुबारा मौका ना मिले इसलिए वे हर प्रकार के हथकंडे को अपनाते हुए उन्हें रोकने में लगे हुए हैं, इस बात को समस्त छत्तीसगढ़ वासियों को एवं चेम्बर के सभी सदस्यों को समझनें की आवश्यकता हैं । अमर पारवानी के शानदार कार्यकाल के बावजूद, जैन जितेंद्र बरलोटा को प्रत्याशी बनाया गया था , लेकिन उनका कार्यकाल पूर्ण रूप से विवादित रहा और श्रीचंद के द्वारा अपने सगे भाई को चेम्बर का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया…..ताकि चेम्बर श्रीचंद सुंदरानी के जेब में ही रहें और वे चेम्बर को अपने हिसाब से चला सकें….और अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक सके….अमर पारवानी जैसे जुझारू व्यक्ति जिनका शानदार कार्यकाल रहा….जिन्होंने छत्तीसगढ़ चेम्बर के अध्यक्ष ना होते भी कैट के माध्यम से व्यापारी हितों के लिए हमेशा काम किया , अमर पारवानी जो प्रदेश के समस्त व्यापरियों को व्यक्तिगत रुप से जानते एवं पहचानते हैं ,प्रदेश का चाहे कोई भी छोटा व्यापारी हो अथवा बड़ा व्यापारी सभी के तकलीफों पे वे खड़े होते आये हैं , यही खूबी अमर पारवानी को बाकी लोगो से अलग बनाती हैं और सबसे खास बात यह हैं कि अमर पारवानी पर किसी भी राजनीतिक दल का लेबल नहीं लगा हैं और जो केवल और केवल व्यापारी हित के लिए ही लड़ते आये हैं ।
चेम्बर्स के कुछ सदस्यों का कहना है कि अमर पारवानी की उपरोक्त खूबियों को देखते हुए प्रदेश के समस्त व्यापरियों का यह दायित्व बनता हैं कि वे सब मिलकर अमर पारवानी को छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष पद पर विजयी बनाकर छत्तीसगढ़ चेम्बर को मजबूत और शसक्त बना सके ।