छठ घाट पर पूजा वेदी संवारने में जुटे श्रद्धालू
नहाय-खाय की विधान के साथ छठ महापर्व शुरू
भिलाईं। छठी मैया और सूर्यदेव की आराधना का छठ महापर्व आज नहाय खाय की विधान के साथ शुरू हो गया है। इस पर्व के लिए प्रशासन की छूट मिलने के बाद श्रद्धालु परिवार छठ घाट पर पूजा वेदी को संवारने में जुट गए हैं। पर्व की पवित्रता को देखते हुए नगर निगम का अमला तालाबों पर सफाई अभियान चला रही है।
संतान और पूरे परिवार की सुख, शांति व समृद्धि के लिए मनाये जाने वाले छठ महापर्व का आज से आगाज हो गया है। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व के पहले दिन आज व्रती महिलाओं ने नहाय-खाय का विधान पूरा किया। इस विधान के तहत व्रती महिलाएं नहाने के बाद चांवल, चने की दाल व लौकी की सब्जी खाकर छठी मैया की आराधना में जुट गई है। आज से वे बिस्तर पर लेटना बंद कर देंगी और जमीन पर चटाई बिछाकर लेटेंगी।
छठ महापर्व में नदी व तालाबों के किनारे पूजा वेदी बनाई जाती है। इसी वेदी में पूजा अर्चना के बाद अस्ताचल और उदयाचल सूर्यदेव को व्रती महिलाएं व परिवार के लोग अध्र्य देंगे। छठ महापर्व भिलाई-दुर्ग और इसके आसपास के नगरों में रहने वाले उत्तर भारतीय मूल के लोग पूरी श्रद्धा के साथ मनाते हैं। भिलाई शहर के सेक्टर-2, सेक्टर-7 जवाहर उद्यान, रिसाली, सूर्यकुंड कोहका, सुपेला, कैम्प-1, रामनगर, शारदापारा केम्प-2, छावनी, जुनवानी सहित अन्य तालाबों में छठ व्रतधारी, परिवार के सदस्य अपनी-अपनी पूजा वेदी को रंगरोगन करने में जुट गए हैं। व्रती परिवार 20 नवंबर की शाम को घर से निकलकर छठ तालाबों में पहुंचेगा। इस दौरान अस्ताचल गामी सूर्यदेव को प्रथम अध्र्य देकर सुख शांति और समृद्धि की कामना की जाएगी। इसके ठीक अगले दिन 21 नवंबर की सुबह उदयाचल गामी सूर्यदेव को द्वितीय अध्र्य देकर छठ महापर्व का समापन होगा।
गौरतलब रहे कि पूर्व में प्रशासन ने तालाबों में छठ पर्व के आयोजन पर कोरोना संक्रमण की आशंका के चलते प्रतिबंध घोषित किया था। बाद में जनप्रतिनिधियों की पहल और व्रतधारियों की आस्था को देखते हुए प्रशासन ने गाइड लाइन के अनुसार छठ पर्व का विधान तालाबों में पूरा किए जाने की अनुमति प्रदान कर दी है। इसके बाद नगर निगम के द्वारा अपनी सीमा के सभी छठ तालाबों पर सफाई अभियान शुरू कर दिया गया है। द्वितीय अध्र्य के दौरान व्रती परिवार भोर होने से पहले ही तालाबों का रूख करता है। इसे देखते हुए निगम द्वारा तालाब पार पर प्रकाश की समुचित व्यवस्था की जा रही है।
भिलाई-चरोदा नगर निगम क्षेत्र में भी छठ महापर्व पारम्परिक विधि विधान के साथ मनाया जाता है। भिलाई-3 के गतवा और बंधवा तालाब सहित हथखोज, चरोदा बस्ती व चरोदा रेलवे कालोनी के तालाब में बड़ी संख्या में व्रतधारी परिवार अध्र्य देने जुटेंगे। लिहाजा नगर निगम के द्वारा साफ सफाई और प्रकाश व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। कुम्हारी के बड़े तालाब, जंजगिरी तालाब, डीएमसी तालाब व कुगदा तालाब में छठ पर्व के मद्देनजर नगर पालिका ने तैयारी शुरू कर दी है।
आज शाम को होगा खरना
गुरुवार की शाम को व्रती महिलाएं खरना का विधान पूरी करेंगी। खरना का मतलब शुद्धिकरण होता है। व्रती महिलाएं आज नहाय खाय के दिन एक समय का सात्विक भोजन ग्रहण कर शरीर व मन को शुद्ध करना प्रारंभ करती है। अगले दिन शाम को खरना के साथ पूर्णता मिलेगी। खरना में शुद्ध अंत:करण से कुलदेवता, सूर्यदेव व छटी मैया की पूजा करके गुड़ से बनी खीर का भोग ग्रहण करेंगी। इसके साथ ही उनका 36 घंटे का निर्जला व्रत प्रारंभ हो जाएगा। खरना के लिए खीर का निर्माण मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर किया जाएगा। खरना का विधान गुरुवार की शाम को पूरा करने के बाद व्रती महिला 21 नवंबर को सूर्यदेव को द्वितीय अध्र्य देकर ही प्रसाद सेवन कर निर्जला व्रत का समापन करेंगी।