दुर्गम बीहड़ इलाकों में जनसेवा करना पड़ रहा मंहगा, पुलिस दे रही तमगा नक्सली सहयोगी का

सबका संदेश/कोण्डागांव। जिले के अतिसंवेदनशील क्षेत्र में पदस्थ सरकारी कर्मचारियों को पहुंचविहीन व अंतिम छोर में निवासरत व्यक्तियों तक जनकल्याणकारी योजनाओं को पहुंचाने जैसी सेवाएं देने पर पुलिस द्वारा ऐसे कर्मचारियों को सिधे तौर पर नक्सलियों को सहयोग देने का आरोप लगाए जाने का मामला सामने आया है। यह मामला जिला कोण्डागांव के अंतर्गत आने वाले अतिसंवेदनषील, पूर्व में माओवादगढ़ माने जाने वाले, दुर्गम इलाके के ग्राम पंचायत कडेनार व बेचा का है। जहां आदिवासी जन बहुलता से निवासरत हैं और शासन द्वारा बनाई गई अधिकांष जनकल्याणकारी योजनाओं से पूरी तरह वंचित हैं। ऐसेे अंतिम छोर में बसे ग्रामों में निवासरत गरीबजन तक शासन द्वारा बनाई गई योजनाओं को पहुंचाने हेतु कलेक्टर नीलकंठ टेकाम द्वारा आदिवासी बाहुल्य बस्तर में स्थानीय जनों द्वारा बहुतायत से उपयोग में लायी जाने वाली बोली गोण्डी में “नावा बेस्ट नार्र” का नाम दिया गया। जिसका अर्थ है मेरा गांव सबसे सुंदर। कलेक्टर द्वारा नावा बेस्ट नार्र योजना शुरु कर जमीनी स्तर के कर्मचारियों को निर्देष दिया गया कि वे सभी अपने कार्य क्षेत्र के आमजनों के बीच पहुंचकर पूरी ईमानदारी से काम करते हुए, ग्रामीणों को शिक्षा, स्वास्थ्य, सुपोषण के लिए जागरुक करें।
कलेक्टर कोण्डागांव के निर्देषों का पालन करते हुए ही अतिसंवेदनषील क्षेत्र में बसे ग्राम पंचायत कडेनार एवं बेचा जैसे दुर्गम स्थान पर वर्षों पूर्व से पदस्थ प्रकाश बागडे पीटीएस आयुष विभाग एवं रजबती बघेल आं.बा. कार्यकर्ता (चिकपाल) द्वारा भी अपने कर्तव्यों का पालन ईमानदारी से करते हुए शासन की मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान सहित जिला प्रषासन द्वारा निर्देषित कार्यों को जमीनी स्तर पर मुर्त रुप दिए जाने का प्रयास करते हुए ग्राम कडेनार व बेचा सहित उनके आश्रित ग्रामों के ऐसे ग्रामीणजन जो वर्षों से राषन कार्ड, आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र आदि आवष्यक दस्तावेज सहित बैंक खाते नहीं होने से कई शासकीय योजनाओं के लाभ से वंचित थे, वहीं गंभीर कुपोषित बच्चों वाली माताएं जो जिला मुख्यालय में स्थापित सुपोषण केंद्र तक आने से डरती थीं, ऐसे सभी ग्रामीणजनों को समझा-बुझा कर जिला मुख्यालय तक लाकर व जिला प्रषासन की मदद से सभी को पात्रता अनुसार निरंतर लाभ पहुंचाया जा रहा है।
वर्तमान में लाॅक डाउन के मद्देनजर भी उक्त क्षेत्र में निवासरत गरीबजनों तक सूखा राषन पहुंचाने में भी इनके द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है। लेकिन अंदरुनी क्षेत्र के ग्राम कडेनार, कडियामेटा में माओवाद उन्मुलन हेतु स्थापित संयुक्त पुलिस बल कैम्प में पदस्थ कुछ पुलिस अधिकारियों द्वारा प्रकाष बागडे एवं रजबती बघेल जैसे जिला प्रषासन द्वारा सराहे जा रहे कर्मचारियों पर नक्सलियों का मदद्गार होने का आरोप लगाते हुए, उनका मनोबल तोडा जा रहा है।
ऐसे में बड़ा प्रष्न यह उठता है कि ऐसे क्षेत्र में बसे गरीबजनों के उत्थान हेतु कौन काम करना चाहेगा ? वैसे उक्त मामले में प्रकाष बागडे एवं रजबती बघेल ने कर्मचारी होने के नाते कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक कोण्डागांव को लिखित में सूचना देकर समस्या का समाधान करने का निवेदन किया है। वहीं दोनों कर्मचारियों के पक्ष में सरपंच कडेनार व बेचा उप सरपंच भी साथ नजर आए। अब देखने वाली बात यह होगी कि संबंधित उच्चाधिकारियों द्वारा उक्त दोनों कर्मचारियों की समस्या का समाधान किस तरह किया जाता है।