रायपुर : जैविक खाद से आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर गौमाता समूह की महिलाएं
गोबर से तैयार दिये से दीपावली में जगमग होगा घर-आंगन
छत्तीसगढ़ शासन की सुराजी गांव योजना एवं गोधन न्याय योजना से ग्रामीणों विशेषकर गौठानों से जुड़ी महिला स्व-सहायता समूहों के जीवन में बदलाव आ रहा है। ग्रामीण महिलाओं ने गोबर को अपनी आर्थिक और सामाजिक स्थिति मजबूत करने का जरिया बना लिया है। कभी परिवार पर आश्रित रहने वाली गौमाता समूह की महिलाएं आज परिवार की धुरी बन गई हैं।
विकासखण्ड मस्तूरी के ग्राम पंचायत वेद परसदा में निवासरत 13 महिलाओं के पास आजीविका को कोई जरिया नहीं था। सुराजी गांव योजना एवं गोधन न्याय योजना के शुरू होने से उन्हें उम्मीद की किरण नजर आई। अध्यक्ष रैतकुंवर मरावी के साथ मिलकर 12 महिलाओं ने एक समूह बनाया और उन्होंने आजीविका के लिए कुछ करने का निश्चय किया। कृषि विभाग एवं पंचायत विभाग के अधिकारियों द्वारा जब उन्हें योजना संबंधी जानकारी दी गई तो उन्होंने जैविक खाद बनाने का निर्णय लिया। जैविक खाद बनाने के संबंध में कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा उन्हें प्रशिक्षित किया गया। समूह की अध्यक्ष श्रीमती रैतकुंवर मरावी ने बताया कि इस गौठान में जैविक खाद बनाने के लिए 5 टांके पूर्व से है एवं 10 टांके अभी मनरेगा से स्वीकृत किये गये हैं। हमने सुराजी योजना में 15 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाया जिसमें से 12 क्विंटल खाद वन विभाग को एवं 03 क्विंटल खाद अन्य लोगों को विक्रय किया है। उन्होंने बताया कि गोधन न्याय योजना के तहत् 05 क्विंटल से अधिक खाद तैयार कर लिया है एवं अब इसकी पैकेजिंग कर विक्रय किया जायेगा। समूह की महिलाओं ने कहा कि इस काम को करने से हमारी आर्थिक स्थिति बेहतर होते जा रही है। आने वाले दिनों में वर्मी खाद का हम वृहद पैमाने पर उत्पादन एवं विक्रय कर अपने मुनाफे को और बढ़ाने के लिए प्रयास करेंगे। गौमाता समूह की महिलाओं ने आत्म निर्भरता की दिशा में एक कदम और बढ़ाते हुए गोबर से ही रंग-बिरंगे दीये भी इस बार तैयार किये हैं। इन दीयो से इस दीवाली पर कई घर भी रोशन होंगे। समूह की महिलाओं ने गोबर से 1600 दीये तैयार किये हैं।