शशि थरूर बोले- भारत में सिद्धांत और परिपाटी के रूप में धर्मनिरपेक्षता खतरे में है

केंद्र की सत्तासीन बीजेपी को घेरा
कांग्रेस हिंदूवाद और हिंदुत्व के बीच अंतर करती है
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘मैं लंबे समय से यह कहता आया हूं कि ‘पेप्सी लाइट’ का अनुसरण करते हुए ‘भाजपा लाइट’ बनाने के किसी भी प्रयास का परिणाम ‘कोक जीरो’ की तरह ‘कांग्रेस जीरो’ होगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस किसी भी रूप और आकार में भाजपा की तरह नहीं है तथा हमें ऐसे किसी का भी कमजोर रूप बनने का प्रयास नहीं करना चाहिए जो कि हम नहीं हैं. मेरे विचार से हम ऐसा कर भी नहीं रहे हैंथरूर ने कहा, ‘‘कांग्रेस हिंदूवाद और हिंदुत्व के बीच अंतर करती है. हिंदूवाद जिसका हम सम्मान करते हैं, वह ‘‘समावेशी है और आलोचनात्मक नहीं है’’ जबकि हिंदुत्व राजनीतिक सिद्धांत है जो अलग-थलग करने पर आधारित है.’’
राहुल गांधी के बयानों का किया जिक्र
यह पूछने पर कि क्या ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द खतरे में है, उन्होंने कहा, ‘‘यह महज एक शब्द है; अगर सरकार इस शब्द को संविधान से हटा भी देती है तो भी संविधान धर्मनिरपेक्ष बना रहेगा.’’
उन्होंने कहा कि पूजा-अर्चना की स्वतंत्रता, धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, अल्पसंख्यक अधिकार, सभी नागरिकों के लिए समानता, ये सभी संविधान के मूल ताने-बाने का हिस्सा हैं और एक शब्द को हटा देने से ये गायब नहीं होने वाले.
उन्होंने कहा, ‘‘सत्तारूढ़ दल ऐसा करने का प्रयास कर सकता है: यहां धर्मनिरपेक्षता को खत्म करने और इसके स्थान पर सांप्रदायिकता को स्थापित करने के सम्मिलित प्रयास निश्चित ही हो रहे हैं जिसके तहत भारतीय समाज में धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए कोई स्थान नहीं है.’’ आभूषण ब्रांड तनिष्क के विज्ञापन में अंतर-धार्मिक विवाह दिखाने पर उठे विवाद के बारे में पूछे जाने पर थरूर ने कहा कि इसने एक और उदाहरण पेश किया है कि कैसे ‘‘प्रतिक्रियावादी और कुछ कट्टर दक्षिणपंथी तत्व’’ बड़े हो गए हैं और यहां तक कि सत्ता में बैठे लोगों ने भी इस पूरे घटनाक्रम से जल्द ही दूरी बना ली.’’
गौरतलब है कि तनिष्क ने अपने उस विज्ञापन को वापस ले लिया था जिसमें दो अलग-अलग धर्मों को मानने वाले लोगों के परिवार को दिखाया गया था. तनिष्क ने सोशल मीडिया पर तीखे हमले होने के बाद अपना विज्ञापन वापस ले लिया था.
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के मुद्दे पर थरूर ने कहा कि वह इस बारे में संसद में पहले ही अपना मत व्यक्त कर चुके हैं और यह रिकॉर्ड में है.
उन्होंने कहा कि यह सिर्फ 370 को निरस्त करने का मुद्दा नहीं है, बल्कि नेहरू जी ने भी कहा था कि यह अस्थायी प्रावधान है. लेकिन संविधान में स्पष्ट है कि यह कैसे किया जाना चाहिए. इसलिए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप अनुच्छेद 370 पर चर्चा के किस ओर खड़े हैं-कुल मिलाकर विभिन्न मत किसी भी लोकतंत्र की जीवनरेखा होते हैं.
थरूर ने कहा…लेकिन इसे जिस तरह क्रियान्वित किया गया, रातों-रात हमारे साथी नागरिकों पर उनकी ही सरकार ने जिस तरह नियंत्रण कार्रवाई की, सभी भारतीयों को प्रदत्त लोकतांत्रिक अधिकारों का जानबूझकर निरादर करना देश के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है. बिहार विधानसभा चुनाव के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि राज्य के मुद्दे राज्य सरकार के प्रदर्शन से जुड़े होते हैं.