छत्तीसगढ़

शासन प्रशासन की लापरवाही कहें या मजदूरों की मजबूरी

मस्तूरी

 

 

मस्तूरी। शासन प्रशासन की लापरवाही कहें या मजदूरों की मजबूरी। जहां एक और छत्तीसगढ़ सरकार पलायन में गए हुए लोगों को करोना काल में करोड़ों रुपया खर्च करके घर वापसी कराया था , साथ ही गरीब लोगों को खाने-पीने से लेकर रोजगार गारंटी जैसी योजनाओं में रोजगार भी दिलाएं। जिसे लेकर छत्तीसगढ़ सरकार ने खूब वाहवाही लूटी और छत्तीसगढ़ को रोजगार के मामले में नंबर वन पर भी ले गए। लेकिन जस्ट विपरीत कुछ माह ही बीते हैं कि मस्तूरी क्षेत्र में पलायन करने वाले लोगों की संख्या बड़ी तेजी से हो रही है। सरदारों के द्वारा लोगों को पर्सनल बस में बिठाकर प्रदेश ले जाया जा रहा है। 42 सीटर बस में 50 /60लोगों को ठुस ठुस के कर भर बिना सोशल डिस्टेंस के पालन किए बड़े ही बेखौफ होकर शासन प्रशासन के नाक के नीचे से धड़ल्ले से लोगों को पलायन करवाया जा रहा है। और शासन प्रशासन में बैठे जवाबदार अधिकारी आंख मूंद कर बैठे हुए हैं जबकि मस्तूरी मेन रोड पर कई शासनिक एवं प्रशासनिक कार्यालय है। उसके बावजूद उसी के सामने से लेवर सरदार मजदूरों को धड़ल्ले से पलायन करवा रहे।इस बात की संपूर्ण जानकारी श्रम विभाग को होते हुए भी श्रमविभाग के जवाबदार अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हुए हैं। लेकिन उन शासनीक एवं प्रशासनिक अधिकारियों की भी मजबूरियां दिखाई दे रही है क्योंकि छत्तीसगढ़ सरकार जानबूझकर अनजान बैठे हुए हैं तो नीचे में बैठे अधिकारी भी क्या कर सकते हैं। ऐसे में अगर करोना का कहर अगर बढ़ जाता है और लॉकडाउन जैसी स्थिति पुनः दोबारा बन जाता है तो इन मजदूरों का सुध कौन लेगा। पिछले वर्ष भी छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के मस्तूरी ब्लाक से सबसे ज्यादा संख्या में मजदूरों का पलायन हुआ था। इस वर्ष भी भारी संख्या मजदूरों का पलायन हों रहा है।

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