जनता का विश्वास खो रही कोंडागांव पुलिस, आदिवासी समाज ने लगाया डरा धमका कर रुपये लूटने का आरोप
कोंडागांव। जिस तरह से रोज कोंडागांव पुलिस के नये नये कारनामे सामने आ रहे है उससे तो यही प्रतीत हो रहा है कि अब जनता पुलिस के ऊपर भी विश्वास करना छोड़ देगी क्योंकि अब तक जितने भी मामले उजागर हुये है सभी मे पुलिस की संलिप्तता नजर आ रही हैं।
इसी क्रम में एक और मामला सामने आया है, जिसमें ग्राम मछली के सेवा निवृत्त वयोवृद्ध शिक्षक के साथ पुलिस थाना विश्रामपुरी के तीन पुलिस अधिकारियों द्वारा गंदी-गंदी गाली देने व मारपीट किए जाने के बाद 1 लाख रुपए वसूलने की शिकायत करने पीडित के साथ आदिवासी समाज के लोग पुलिस अधीक्षक कोण्डागांव से मिलने पहुंचे और थाना प्रभारी भापेन्द्र साहू एवं ए एस आई श्री शोरी एवं एस आई पटेल के विरुद्ध अत्याचार कर रकम लुटने के मामले में एफआईआर दर्ज कर, तत्काल बर्खास्त करने की मांग की गई।
पत्र में लेख है कि 66 वर्षीय सेवानिवृत शिक्षक लच्छूराम नाग, जाति गोड़, ग्राम मछली तहसील बड़ेराजपुर, जिला कोण्डागांव का निवासी है। 2 अक्टूबर 2020 को थाना विश्रामपुरी से ए.एस.आई श्री शोरी एवं एस.आई.श्री पटेल के द्वारा बिना किसी सर्च वारंट एवं पूर्व सूचना के घर में घुसकर रात्रि लगभग 7 बजे लच्छूराम को जातिगत व अन्य गंदी गाली दी, चोरी का इल्जाम लगाया और मारपीट करते हुए गाड़ी में बिठाकर थाना विश्रामपुरी ले गये। जहां थाना प्रभारी विश्रामपुरी ने लच्छूराम नाग को 01 घण्टे के अन्दर 1 लाख रुपये देने, अन्यथा एफआईआर कर जेल भेज देने की दमकी दी। जेल जाने के डर से घबराकर लच्छूराम अपने परिवार से बात करना चाहा तो मोबाईल छीनकर रख लिया गया, बात करने नहीं दिया गया। इसी दौरान पूर्व सरपंच सखाराम मरकाम एवं पुत्र थाना पहुंचे तो उनसे राशि व्यवस्था कर एक घंटे में एक लाख रुपए लाकर थाना में देने कहा। सखाराम एवं लच्छूराम के पुत्र ने किसी से मांगकर 1 लाख रुपये थाना प्रभारी को दिया, तब जाकर लच्छूराम नाग को छोड़ा गया। यह घटना अतिसंवेदनशील प्रतीत होता है, क्योंकि हमारा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, जिसमें हम आदिवासी भोले भाले एवं शांतिपूर्वक जीवन व्यतित करते हैं तथा इस तरह की घटना से हम क्षेत्रवासियों को आघात पहुंचा है। इसके पूर्व भी थाना प्रभारी द्वारा उक्त तरह की कई कृत्य किए गए हैं, जिसकी सूचना समाज द्वारा पूर्व में भी दी जा चुकी है, किन्तु ऐसे दोषियों के उपर आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई, जिससे पूरा आदिवासी समाज आक्रोषित है एवं प्रशासन से मांग करते हैं कि 48 घण्टे के अन्दर 1 लाख रुपये के हर्जाना सहित पीड़ित व्यक्ति को समाज के समक्ष वापस कर, दोषियों के विरुद्ध तत्काल बर्खास्त की कार्यवाही कर आदिवासी प्रताड़ना, अनुसूचित जनजाति अत्याचार अधिनियम के तहत कार्यवाही की जावे। अन्यथा सर्व आदिवासी समाज एवं स्थानीय समुदाय द्वारा चक्का जाम कर उग्र धरना प्रदर्शन किया जाएगा। जिसकी सम्पूर्ण जवाबदारी शासन प्रशासन की होगी।
इस पूरे मामले में पूछे जाने पर एसडीओपी दीपक मिश्रा ने बताया कि विश्रामपुरी में पदस्थ तीन पुलिस अधिकारियों पर बड़ी रकम लेने की शिकायत मिली है, मामले की जांच की जा रही है, जो भी दोषी पाया जाएगा उस पर कार्रवाई की जाएगी।