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यदि आप को मन की शांति चाहिए, तो प्रदर्शन से बचें – ज्योतिष

यदि आप को मन की शांति चाहिए, तो प्रदर्शन से बचें – ज्योतिष

और अपने जीवन को सादा सरल बनाएं, इसी से शांति मिलती है।
आजकल चारों तरफ प्रदर्शन का वातावरण है। चमक दमक फैशन दिखावा ही सब ओर छाया हुआ है। मकान हो कार हो मोबाइल फोन हो, कंप्यूटर हो कपड़े हों आभूषण हों जूते हों, अथवा और भी ऐसी कोई चीज हो, तो अधिकतर लोग इन चीजों का उपयोग या खरीदारी, इस भावना से नहीं करते, कि हमें अपना जीवन चलाने के लिए इन वस्तुओं की आवश्यकता है। बल्कि इस भावना से इन वस्तुओं का उपयोग या खरीदारी करते हैं कि लोग देखें, हमारे पास कितनी अच्छी कार है, कितना बढ़िया बंगला है, उसमें कितना महंगा फर्नीचर है। हमारे कपड़े ब्रांडेड हैं। ऊंची ऊंची कंपनियों के और महंगे महंगे पदार्थ घड़ियां मोबाइल फोन कंप्यूटर इत्यादि हम प्रयोग करते हैं। हम बड़े धनवान बुद्धिमान संपन्न सुखी व्यक्ति हैं। इस प्रकार का दिखावा लोग करते हैं। इस दिखावे का उद्देश्य यही होता है कि लोग उनकी वस्तुओं को देखकर उन से प्रभावित होवें, और उनकी प्रशंसा करें। शायद आप में से भी बहुत से लोग ऐसा ही करते होंगे।
यदि आप भी ऐसा करते हों, और यदि किसी व्यक्ति ने आप की ऐसी मंहगी मंहगी वस्तुओं को देखकर प्रशंसा नहीं की, तो आपको मन ही मन बहुत कष्ट होगा, अशांति उत्पन्न हो जाएगी। आप सोचेंगे, मैंने अपनी प्रशंसा सुनने के लिए इतना खर्चा किया, इतना परिश्रम किया। दूर दूर से ढूंढ ढूंढ कर ये सब वस्तुएं लाया, इतना कष्ट उठाया, फिर भी इसने मेरी और मेरी वस्तुओं की प्रशंसा नहीं की!!!
और यदि कोई व्यक्ति आप की इन मंहगी वस्तुओं को देखकर आपकी थोड़ी सी प्रशंसा कर भी दे, तो उससे आपको जो थोड़ा सा सुख होगा, वह सुख भी क्षणिक सुख होगा। कुछ क्षणों के बाद वह समाप्त हो जाएगा। फिर आप उसके वाक्य को अपने मन में दोहरा दोहरा कर कुछ सुख और बढ़ा लेंगे। वह भी दो चार बार ही दोहरा पाएंगे। और चार बार दोहराने से जो सुख मिलेगा, वह भी एक दो मिनट से अधिक लंबा नहीं चलेगा। तो बस इतने से सुख के लिए आप इतनी भाग-दौड़ करते हैं? इतना पैसा खर्च करते हैं? सिर्फ एक वाक्य सुनने के लिए। उस पर भी कभी आपको एक दो मिनट का सुख मिलता है। और यदि कोई प्रशंसा न करे, तो भारी दुख भी भोगना पड़ता है।
और मान लीजिए कि यदि किसी व्यक्ति को आपकी वस्तुएं पसंद नहीं आई, वह आप की वस्तुओं को देखकर नाक भौं चढ़ाने लगा, तब तो आपके दुख की कोई सीमा ही नहीं रहेगी। मन में अतिक्रोध उत्पन्न हो जाएगा। ऐसी स्थिति में शांति तो क्या मिलेगी? आपका मन पूरी तरह से अशांत/ बेचैन हो जाएगा।
इसलिए ऋषियों ने कहा है, यदि आप शांति से आनंद से जीना चाहते हैं, तो फैशन दिखावा फिजूलखर्ची इत्यादि न करें। अपना जीवन सीधा-साधा बनाएं। सादगी सरलता से नम्रता से सभ्यता से अपना जीवन जीएं। तो आप सुखी हो सकते हैं। आपको शान्ति मिल सकती है।
और यदि आप की आवश्यकता हो, तो अपनी आवश्यकता के हिसाब से भले ही आप ऊंचे महंगे कपड़े मकान मोटर गाड़ी आदि भी खरीद लें, उत्तम क्वालिटी के लिए मंहगा खरीद लें, इस बात का विरोध नहीं है। परंतु भावना का ध्यान रखें। वह मुख्य है। आवश्यकता के हिसाब से भले ही महंगा सामान खरीदें। प्रदर्शन की भावना से न खरीदें। ऐसी स्थिति में कोई आपकी प्रशंसा करे, या न करे। यहां तक कि कोई निंदा भी कर दे, तब भी आपके मन की शांति बनी रहेगी। आपको परेशानी नहीं होगी।

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