छत्तीसगढ़

*क्रोध में आकर चुभते हुए शब्दों का प्रयोग न करें- ज्योतिष

*क्रोध में आकर चुभते हुए शब्दों का प्रयोग न करें- ज्योतिष*
। हो सकता है, कभी आपको वे शब्द वापस लेने पड़ जाएं। यदि वापस लेने पड़ गए, तो बहुत अधिक आपको ही चुभेंगे।
संसार में रोज ऊंची नीची घटनाएं होती रहती हैं। किन्हीं भी दो व्यक्तियों के विचार 100% नहीं मिलते। जब विचार नहीं मिलते, तो आपस में टकराव उत्पन्न होता है। एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति की बात पसंद नहीं आती। दूसरे को पहले व्यक्ति की बात पसंद नहीं आती। क्योंकि सब के विचार संस्कार बुद्धि भोजन पारिवारिक सामाजिक परंपराएं अलग-अलग होती हैं। इसलिए विचारों में टकराव होना स्वाभाविक है।
इतना होने पर भी हमें इस संसार में बहुत से लोगों के साथ प्रतिदिन व्यवहार करना पड़ता है। बैठना उठना लेनदेन करना सीखना सिखाना पढ़ना पढ़ाना व्यापार करना नौकरी करना आदि ये सारे काम करने पड़ते हैं। और ये सब काम करते हुए कहीं न कहीं दूसरों के साथ टकराव भी होता ही है।
तो जब ऐसी टकराव की स्थिति उत्पन्न हो, तब उस घटना को प्रेम पूर्वक निपटाना चाहिए। शांति से समझ कर समझा कर बात को समाप्त करना चाहिए, गुस्सा करके झगड़ा करके नहीं।
हो सकता है, आपको उसकी सही बात भी समझ में न आ रही हो। क्योंकि न तो वह सर्वज्ञ है, और न ही आप सर्वज्ञ हैं। गलती दोनों में से किसी की भी हो सकती है।
यदि आपकी गलती रही और बाद में आपको समझ में आ गई, कि उस दिन उस व्यक्ति के साथ जो बात हो रही थी, उसमें मैं ही गलत था, वह व्यक्ति ठीक था। अर्थात उसकी बात ठीक थी, मेरी बात ही गलत थी। और यदि उस व्यक्ति के साथ उस दिन बात करते समय आप ने क्रोध में आकर कुछ उल्टा सीधा गलत बोल दिया था। कुछ चुभते हुए शब्द बोल दिए थे। और अब जब आपको अपनी गलती समझ में आई , तो हो सकता है आपका मन ऐसा हो जाए, कि मैं उससे जाकर माफी मांग लूं। जब आप माफी मांगने जाएंगे और कहेंगे कि मुझसे गलती हुई, उस दिन आप ठीक थे, मैं ही गलत था। उस दिन मैंने आपको क्रोध में कुछ चुभते हुए शब्द कह दिए थे, मैं अपने शब्द वापस लेता हूं।
हो सकता है, वह व्यक्ति आपको माफ़ भी कर दे। परंतु तब अपने शब्द वापस लेने पर, जब आप एकांत में बैठेंगे, तब वे आपके ही शब्द आपको बहुत अधिक चुभेंगे। और आपको अपने आप पर क्रोध आएगा, कि मैंने मूर्खता के कारण उसको ऐसे चुभने वाले शब्द क्यों कहे?
इसलिए तब आप का कष्ट और बढ़ जाएगा। *ऐसे कष्ट से बचने के लिए, सावधान रहें। कभी टकराव हो भी जाए , तो प्रेम से शांति से उस बात को निपटाएं। ऐसा न हो, कि आपके कठोर वचन आपको ही स्वयं वापस लेने पड़ें, और फिर वे कांच की तरह आप को चुभकर आपको और अधिक दुख देवें।

Related Articles

Back to top button