छत्तीसगढ़

मिशन स्वराज के मंच पर “बेटी पढ़ाओ या बेटी बचाओ” विषय पर हुई सार्थक वर्चुअल चर्चा – प्रकाशपुन्ज पाण्डेय

*मिशन स्वराज के मंच पर “बेटी पढ़ाओ या बेटी बचाओ” विषय पर हुई सार्थक वर्चुअल चर्चा – प्रकाशपुन्ज पाण्डेय*

समाजसेवी, राजनीतिक विश्लेषक और मिशन स्वराज के संस्थापक प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने मीडिया को अवगत कराया कि प्रत्येक शनिवार की तरह ही कल 3 अक्टूबर 2020 को दोपहर 2 बजे मिशन स्वराज के मंच पर ‘चर्चा आवश्यक है’ की अगली कड़ी में “बेटी पढ़ाओ या बेटी बचाओ” विषय पर एक वर्चुअल चर्चा का आयोजन किया गया जिसका उद्देश्य है कि समाज में महिलाओं पर जो अत्याचार और हिंसा हो रही है उसे कैसे रोका जाए? इस चर्चा में शामिल होने के लिए विभिन्न राज्यों से वक्ताओं को आमंत्रित किया गया था। इस चर्चा में शामिल होने वाले अतिथियों के नाम इस प्रकार हैं –
1. वनमाला ताई राठौर – महाराष्ट्र महिला कांग्रेस की उपाध्यक्षा व यवतमाल जिले की महिला कांग्रेस की अध्यक्षा।
2. क्रांति धोटे राउत – यवतमाल जिले की महिला राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की अध्यक्षा व अधिवक्ता।
3. प्रियंका कौशल यादव – वरिष्ठ पत्रकार और दार्शनिक।
4. मीनल चौबे – भाजपा नेत्री
5. प्रकाशपुन्ज पाण्डेय – संस्थापक, मिशन स्वराज, राजनीतिक विश्लेषक व समाजसेवी।

प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने बताया कि इस चर्चा में सभी वक्ताओं ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर अपने अपने विचार रखे। इस चर्चा में केवल महिलाओं को शामिल करने का तात्पर्य यह था कि एक महिला ही दूसरे महिला का दर्द समझ सकती है। ताज़ा हालात में जो हाथरस में हुआ उससे भारत की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत खराब हुई है। लेकिन उससे भी ज्यादा दुखद बात यह है कि जिस बच्ची के साथ ऐसा दुष्कर्म होता है, फिर वह चाहे राजस्थान में हो, महाराष्ट्र में हो, मध्यप्रदेश में हो, केरल में हो या देश की किसी भी अन्य हिस्से में हो, उसकी आत्मा को कितना कष्ट पहुंचता होगा, यह समाज को सोचने की जरूरत है। सभी वक्ताओं ने एक स्वर में ऐसे दुष्कर्म का विरोध किया और इसके निदान के लिए कुछ बिंदुओं पर एक सुर में सब ने अपनी सहमति जताई और वह बिंदु इस प्रकार हैं –

1. संस्कार व पारिवारिक जीवन के मूल्यों की शिक्षा की ज़िम्मेदारी प्रत्येक व्यक्ति की होनी चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं ही संस्कारी होना होगा।
2. बेटा-बेटी में फर्क और भेद-भाव मिटाना अनिवार्य है। इसके बारे में व्यापक रूप से जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है।
3. बचपन से ही बच्चों को अच्छे-बुरे स्पर्श और आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
4. विदेशों की तर्ज पर महिला उत्पीड़न के लिए कठोरतम कानून बनाने की जरूरत है जिसके तहत 1 महीने के अंदर दोषी को सज़ा दी जाए और उसे कोई भी कानूनी मदद न दी जाए।
5. महिला उत्पीड़न के मामले में सरकार को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर एक साथ कार्य करने की अत्यधिक आवश्यकता है।
6. सरकार को संपूर्ण रूप से नशाबंदी करनी होगी क्योंकि नशे के मद में व्यक्ति पशु हो जाता है और उसे अच्छे-बुरे का होश नहीं रहता और न ही उसे किसी का डर रहता है।
7. फिल्मों और एंटरटेनमेंट चैनलों पर जिस प्रकार से पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण करते हुए सेक्स और नंगापन परोसा जा रहा है उस पर त्वरित अंकुश लगाने के लिए सरकारों को मजबूत इच्छाशक्ति की आवश्यकता है।

प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने कहा कि सभी वक्ताओं की यह आम राय बनी कि कम से कम एक बार देश की जनता और सरकारों को उपरोक्त बिंदुओं पर विचार विमर्श करने के बाद उन्हें एक मजबूत इच्छाशक्ति कार्यान्वित करने की अत्यधिक आवश्यकता है। यकीनन ऐसे मजबूत कदमों से समाज में महिलाओं के उत्पीड़न पर अंकुश लगेगा और तभी भारत पुन: एक बार मजबूत राष्ट्र बनेगा और विश्वगुरु बनने की राह पर अग्रसर होगा।

*प्रकाशपुन्ज पाण्डेय, मिशन स्वराज, रायपुर, छत्तीसगढ़*
7987394898, 9111777044

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