छत्तीसगढ़

पंचायतों के खाते में 15वें वित्त की लाखों की राशि, पर आहरण की अनुमति नहीं

पंचायती राज अधिनियम में भले ही ग्राम पंचायतों को वित्त और प्रशासन के मामले में अधिकार संपन्न होने की बात कही गई है, लेकिन वास्तव में सरपंच उधार के भरोसे पंचायत को संचालित कर रहे हैं। पंचायतों के खाते में 15वें वित्त की लाखों की राशि है, पर आहरण की अनुमति नहीं है।

पंचायतों में सरपंच ग्राम विकास के कार्य में अपने घर के पैसे से पंचायत का काम कर रहे हैं। सरपंचों को स्वास्थ्य , पेयजल , स्वच्छता के साथ कोरोना से लड़ाई के लिए खर्च करना मुश्किल हो गया है। ज्ञात हो कि पंचायतों को गांवों में मूलभूत और विकास के कार्य कराने के लिए वित्त आयोग राशि जारी करती है जो सीधे पंचायत के खाते में जमा होता है। इसे पंचायत ग्राम पंचायत के अनुमोदन से ग्रामीणों को सुविधाएं देने और विकास कार्य के लिए खर्च करती है।

ज्यादातर पंचायतों में 14वें वित्त की राशि खत्म हुई

अभी तक 14वें वित्त की राशि से गांव में जल , सड़क , प्रकाश व्यवस्था जैसे मूलभूत कार्य कराए जाते रहे हैं। इस वर्ष दो माह पूर्व 15वें वित्त की प्रथम किस्त की राशि भेज दी गई है । कोरोना काल में जहां पंचायतों को गांवों में कई अतिरिक्त खर्च करने पड़ रहे हैं। इससे कोविड-19 से गांवों को सुरक्षित रखा जा सके। इस समय सरपंचों के हाथ खाली होने से गांवों में जनकल्याण के कार्य प्रभावित होने लगे हैं । लेकिन ज्यादातर गांव में 14वें वित्त की राशि खत्म हो गई है।

प्रवासी मजदूरों पर खर्च की गई राशि भी नहीं मिली

जिले के अधिकतर पंचायतों में क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए थे, जहां प्रवासी मजदूरों को 15 -15 दिनों तक आवासीय सुविधाएं देकर रखा गया था। इसके लिए पंचायतों को निर्देशित किया गया था कि क्वारंटाइन सेंटरों के संचालन में जो खर्च होगा उसे पंचायतों को भुगतान कर दिया जाएगा लेकिन कई माह बीत जाने के बाद भी पंचायतों को खर्च की गई राशि नहीं मिली है। अब सरपंच अपने खर्च की गई राशि के लिए जनपद से जिला पंचायत तक चक्कर काट रहे हैं। वहीं दुकानदार सरपंचों से पैसा लेने मांग कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में कोई लाकडाउन नहीं है फिर भी वहां ग्रामीण विकास के कई कार्य ठप है, क्योंकि वित्त आयोग की राशि के आहरण पर रोक लगी है। लाखों रुपये क्वारंटाइन सेंटरों पर पहले से ही खर्च हो चुके हैं। इसी कारण से कई सरपंच अब कर्जदार हो गए हैं।

 

 

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