छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

थनौद के मूर्तिकारों की हालत खराब, समितियों से नहीं मिल रहा ऑर्डर, सालभर की आमदनी पर पड़ा असर

भिलाई। कोरोना संक्रमण के कारण शासन प्रशासन द्वारा जो गाइडलाइन जारी की गई है उसके कारण मूर्तिकारों की हालत खराब हो गई है। दुर्ग जिले के थनौद ग्राम का हर एक परिवार कोरोना संक्रमण के कारण आए आर्थिक तंगी को भोग रहा है। एक उम्मीद थी कि गणेश चतुर्थी में इसकी भरपाई हो जाएगी लेकिन सार्वजनिक गणेशोत्सव को लेकर सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों के कारण इन्हें मूर्तियों का ऑर्डर भी नहीं मिल रहा है।

कोरोना संकट का असर आज हर आम और खास लोगों पड़ा है। इन दिनों त्योहारी सीजन चल रहा है और कुछ दिन बाद कृष्ण जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी व नवरात्र शुरू हो जाएंगे। जन्माष्टमी से लेकर नवरात्रि तक यह ऐसा समय होता है जब मूर्तिकारों के लिए आमदनी के रास्ते खुलते हैं। विशेषकर गणेश चतुर्थी में मूर्तिकारों की अच्छी आमदनी होती है और इसी से उनका वर्ष भर का खर्च चलता है। कोरोना संक्रमण के कारण शासन का एक दिशा निर्देश जिसमें कहा गया है कि पंडाल में दर्शन के दौरान कोई कोरोना संक्रमित होता है तो इसकी जिम्मेदारी समिति की होगी। इस निर्देश के कारण समितियों द्वारा मूर्ति का ऑर्डर नहीं दिया जा रहा जिसके कारण थनौद के मूर्तिकारों के समक्ष गंभीर आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है।

गांव के 50 परिवारों का व्यवसाय मूर्तिकला

थनौद के मूर्तिकार गिरधारी कुंभकार बताते हैं कि पूरे गांव में 50 परिवार मूर्तिकला के सहारे जीवन यापन कर रहे हैं। इस वर्ष प्रशासन ने अधिकतम 4 फीट की मूर्ति स्थापित करने का निर्देश जारी किया। इससे हमें कोई परेशानी नहीं थी लेकिन कोरोना संक्रमण की जिम्मेदारी समिति पर डालने से हमें ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं। जितनी भी बड़ी समितियां जो लाखों की मूर्तियों का ऑर्डर देती थी उन्होंने हाथ खींच लिया। गिरधारी कुंभकार बताते हैं कि प्रतिवर्ष यही एक सीजन होता है जब हम पांच से 7 लाख रुपए तक कमा लेते हैं। इस वर्ष हमें इससे वंचित रहना पड़ सकता है। इस वर्ष के लिए जो इन्वेस्टमेंट किया है वह भी डूबता नजर आ रहा है।

शासकीय कार्य सीधे मूर्तिकारों को मिले

थनौद के मूर्तिकार इस संकट काल में सरकार से आस लगाए बैठे हैं। मूर्तिकारों का कहना है कि सरकार द्वारा जहां कहीं के लिए भी मूर्तियों का टेंडर जारी किया जाता है वे सभी काम सीधे मूर्तिकारों को ही मिलना चाहिए। पहुच वालों को ठेका देने से वे हम जैसे मूर्तिकारों से ही काम कराते हैं। सीधे मूर्तिकारों को काम मिलने से शासन के साथ ही हम मूर्तिकारों को भी लाभ मिलेगा। एक सीजन के अलावा हमारे पास सालभर करने के लिए काम होगा। मूर्तिकारों ने सरकार से अपील करते हुए कहा है इस संकट की घड़ी में उन पर ध्यान दिया जाए।

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